Ranchi-हेमंत सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए 10 हजार करोड़ की राशि का एक विशेष फंड बनाने की तैयारी में है, ताकि इस ओल्ड पेंशन स्कीम के कारण राज्य सरकार को भविष्य में किसी वित्तीय असंतुलन का सामना नहीं करना पड़े. यह पैसा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जमा किया जायेगा, राज्य सरकार इसकी नियमावलियों को अंतिम रुप देने में जुटी हुई है. इस वर्ष इस फंड में 700 करोड़ की राशि जमा की जायेगी.
हेमंत सरकार ने ओल्ड पेंशन को एक बार फिर से लागू करने का किया है फैसला
यहां बता दें कि हेमंत सरकार ने कर्मचारियों की चिरपरिचित मांग ओल्ड पेंशन का लागू करने का फैसला किया है, न्यू पेंशन स्कीम से ओल्ड पेंशन स्कीम में आने वाले सारे सेवानिवृत कर्मियों को इसी विशेष फंड से पेंशन प्रदान करने की योजना है.
अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने खत्म की थी ओल्ड पेंशन स्कीम
ध्यान रहे कि अटल बिहार बाजपेयी की सरकार में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था को समाप्त कर न्यू पेंशन स्कीम लायी गयी थी, लेकिन बाद में कर्मचारी संगठनों को द्वारा इस न्यू पेंशन स्कीम का विरोध किया जाने लगा, जिसके बाद कई राज्य सरकारों ने न्यू पेंशन स्कीम के बदले एक बार फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने का फैसला किया, झारखंड में भी कर्मचारी संगठनों की ओर से ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की मांग की जा रही थी, जिसे हेमंत सरकार ने स्वीकार कर लिया और राज्य में एक बार फिर से एक नवंबर 2022 से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया गया.
ओल्ड पेंशन स्कीम से कैसे बढ़ेगा वित्तीय दवाब
हालांकि आर्थिक मामले के जानकारों का दावा है कि राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करन से तत्काल राज्य सरकार पर कोई ज्यादा वित्तीय बोझ नहीं आयेगा. इस समय राज्य में करीबन 70 हजार कर्मी ओपीएस के दायरे में है. इनके भुगतान में राज्य सरकार को हर साल करीबन 8 हजार करोड़ का खर्च आता है. जबकि इस समय राज्य में करीबन 1.25 कर्मी नई पेंशन स्कीम के दायरे में है, यदि ये सारे कर्मी ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत आते हैं, तो राज्य सरकार पर करीबन 28 से 30 करोड़ का खर्च आयेगा. जो कर्मी न्यू पेंशन स्कीम के तहत काम कर रहे हैं , माना जाता है कि वे लोग 2025 के आसपास अपनी रिटायरमेंट के पास पहुंचेगे. इन कर्मियों के लिए राज्य सरकार पहले से ही करीबन सात सौ करोड़ का सालान अंशदान करती थी, जबकि अब उन्हे भुगतान के लिए करीबन वार्षिक रुप से 8 हजार करोड़ की जरुरत होगी. इस प्रकार करीबन 100 करोड़ का अतिरिक्त दवाब बनेगा
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