Ranchi-झारखंड के 23वें स्थापना दिवस पर पीएम मोदी के दौरे को मीडिया मैनेजमेंट का हिस्सा बताते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने बड़ा हमला बोला है, सुप्रियो ने इस बात का दावा किया है कि जैसे ही प्रधानमंत्री को इस बात की भनक लगी कि 23वें स्थापना दिवस के अवसर सीएम हेमंत इस राज्य की आदिवासी मूलवासी जनता के लिए, उनकी जिंदगी में बदलाव के लिए कई बड़ी घोषणाएं करने वाले हैं, एक साथ कई कार्यक्रमों की शुरुआत की जाने वाली, करीबन 18 हजार युवाओं को विभिन्न कंपनियों का ऑफर लेटर दिया जाना है, उनकी नींद उड़ गयी. और उन्होंने आनन-फानन में झारखंड दौरे का एलान कर दिया ताकि मीडिया की सुर्खियां बदली जा सके.
प्रधानमंत्री ना तो खुद रोजगार देते हैं और ना ही दूसरे को रोजगार देने देते हैं
सुप्रियो भट्टाचार्य ने पीएम मोदी की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह खुद तो रोजगार देने में सक्षम नहीं है, लेकिन यदि राज्य सरकार अपने संसाधनों और प्रयासों से भी युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाती है, तो भी उनके पेट में दर्द होने लगता है. इसके साथ ही सुप्रियो ने प्रधानमंत्री के उपर एचईसी को अडाणी को सौंपने की साजिश का भी आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि हर झारखंडवासी को इस बात का भरोसा था कि प्रधानमंत्री एचईसी के लिए कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं, एचईसी कर्मियों को इस बात का भरोसा दिलवायेंगे कि वह उनकी परेशानियों से अवगत है, और जल्द ही इसका समाधान होगा.
लेकिन पीएम मोदी को ना तो सरना धर्म कोड से कोई वास्ता था, और ना ही एचईसी कर्मियों की दुश्वारियों से कोई पीड़ा, वह तो महज मीडिया मैनेजमेंट करने के लिए झारखंड पहुंचे थें. उन्हे सिर्फ इस बात की फिक्र की थी कहीं सीएम हेमंत कल अखबारों की सुर्खियां नहीं बन जाय. झारखंड का आदिवासी समाज को इस बात का विश्वास था कि प्रधानमंत्री अपने इस दौरे में उनकी पुरानी मांग सरना धर्म कोड को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री तो खाली हाथ झारखंड आये थें, उनके पास झारखंड के आदिवासी मूलवासी समाज के लिए कुछ भी नहीं था, उनकी यात्रा चुनावी था, धरती आबा बिरसा मुंडा के चरण स्पर्श कर वह छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बटोरने की रणनीति के तहत आये थें. ताकि आदिवासी समाज की सवारी कर इन राज्यों में भाजपा की नैया पार हो सके.
आदिवासी समाज को बेवकूफ समझने की भूल कर रहे हैं पीएम मोदी
सुप्रियो भट्टाचार्य ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री यह भूल जाते हैं कि आज का आदिवासी समाज इतना भी बेबकूफ नहीं है, उसे अपने दोस्तों और दुश्मनों की बेहद खुबसूरत पहचान है, उसे पता है कि यह प्यार नकली है, यह दुलार झलावा है, क्योंकि वह इस बात को भूला नहीं है कि अभी चंद माह पहले ही मणिपुर में उनकी महिलाओं के साथ किस तरह की बर्बरता हुई थी. किस प्रकार आदिवासी समाज की महिलाओं को नग्ण कर उनका सामूहिक बलात्कार किया गया था, किस प्रकार उनकी बस्तियों को जलाया गया था, किस प्रकार आदिवासियों को अपना घर बार छोड़ कर कैंम्पों में शरण लेने के लिए बाध्य किया गया था. और इन कैंपों की हालत भी यह थी कि उसके बाहर निकलते ही उन्हे आग के हवाले किया जा रहा था. हालांकि बावजूद इसके जब प्रधानमंत्री रांची पंहुचे तो अपनी परंपरा और आतिथ्य भाव के साथ झारखंड ने उनको पूरा सम्मान दिया. लेकिन प्रधानमंत्री के पास झारखंडियों के लिए कोई सौगात नहीं थी.
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