Ranchi- हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन के अवसर पर कल सीएम हेमंत ने महामहिम द्रोपदी मुर्मू, चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में न्यायापालिका में आरक्षण का मुद्दा को उठाकर एक बार फिर से इसे चर्चा का केन्द्र में ला दिया है.
झारखंड में वरीय न्यायिक सेवा में आदिवासी समुदाय और दूसरे वंचित जातियों की भागीदारी का सवाल
महामहिम द्रोपदी मुर्मू, चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति का लाभ उठाते हुए सीएम हेमंत ने कहा आपका ध्यान एक महत्वपूर्ण विषय की ओर आकृष्ट कराना चाहता हूं, यह सवाल झारखंड के आदिवासी, दलित और दूसरी वंचित जातियों से जुड़ा है, और वह सवाल है न्यायपालिका में उनकी नगण्य उपस्थिति का. खास कर झारखंड में वरीय न्यायिक सेवा में आदिवासी समुदाय की उपस्थिति नगण्य होना एक गंभीर चिंता का विषय है. चूंकि इसी सेवा के माध्यम से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भी होती है, जिसके कारण उच्च न्यायालय में भी आदिवासी, दलित और दूसरी वंचित जातियों की भागीदारी बेहद नगण्य है, और यह परिदृश्य को पार्टिसिपेटरी डेमोक्रेसी की सेहत के लिए कदापी अच्छा नहीं कहा जा सकता.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की उपस्थिति में सवाल उठाना बेहद मह्त्वपूर्ण
ध्यान रहे कि न्यायपालिका में वंचित जातियों की भागीदारी का सवाल एक बड़ा मुद्दा रहा है, पूर्व कानून मंत्री किरण रिजिजू इसे लगातार मुद्दा बना रहे थें, हालांकि उनकी इस कोशिश को एक दूसरे नजरिये से भी देखा गया था और यह आरोप लगाया था इस मुद्दे की आड़ में किरण रिजिजू की न्यायापालिका में सरकारी हस्तक्षेप को संस्थागत करने की साजिश रच रहे हैं. इस आरोप में कितनी सच्चाई है, यह एक अलग विवाद का मुद्दा है, लेकिन न्यायापालिका में वंचित जातियों इस नगण्य भागीदारी पर सवाल तो खड़ें किये ही जा सकते हैं, अब इसी सवाल को एक दूसरे तरीके सीएम हेमंत ने भी उठाया है, और वह भी महामहिम द्रोपदी मुर्मू, चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की गरिमामयी उपस्थिति में, तब इस पर एक बार फिर से बहस की शुरुआत होना लाजमी है.
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