Ranchi- लोकतांत्रिक पद्धति से स्वस्थ्य भारत के निर्माण का गुर सीखने झारखंड से विधायकों की एक टोली बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स (बीकेसी) स्थित जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर पहुंची है. पुणे एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से करीबन 800 विधायक पहुंचे हैं, ये सभी विधायक विभिन्न दलों से सम्बद्ध है.
हालांकि पहले दो हजार विधायकों के पहुंचने का दावा किया गया था, लेकिन प्राप्त सूचना के अनुसार अंतिम समय में सिर्फ आठ सौ विधायकों की उपस्थिति रही. झारखंड से सीपी सिंह, डॉ सरफराज अहमद, निरल पूर्ति, भानु प्रताप शाही, विनोद सिंह, नवीन जायसवाल, डॉ लंबोदर महतो, दीपिका पांडेय सिंह, किशुन दास, जयमंगल सिंह, उमाशंकर अकेला, कुशवाहा शशिभूषण मेहता, इरफान अंसारी, राज सिन्हा, पूर्णिमा सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की, समरी लाल, रामचंद्र सिंह इस कार्यक्रम में अपनी भागीदारी दर्ज करवाने पहुंच चुके हैं.
अगले दो दिनों तक विचार मंथन का दौर
एमआईटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, पुणे के उपकुलपति डॉ. मिलिंद पांडेय ने बताया है कि इन विधायकों को अगले दो दिनों तक अपने-अपने विधान सभा के विकास के लिए कल्याणकारी योजनाओं का चयन, विकास के अंतिम पायदान पर खड़े समूहों का उत्थान, उनकी सामाजिक और आर्थिक बेहतरी में तकनीक का इस्तेमाल, अधिकारियों और नेताओं के बीच सामंजस्य के साथ ही विधायी कार्यों से संबंधित विषयों पर गहन मंथन किया जाएगा, ताकि लोकतांत्रिक पद्धति से स्वस्थ्य भारत के निर्माण के सपना पूरा किया जा सके.
जब जनप्रतिनिधियों का आचरण ही अमर्यादित रहेगा, तब सदन का अप्रासंगिक होना तय
ध्यान रहे कि विधायी कार्यों से संबंधित विषयों पर गहन मंथन को रेखांकित करते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने विधानसभाओं में कानूनी प्रस्तावों पर व्यापक बहस करवाने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा है कि प्रस्तावित कानूनों पर जितनी सार्थक चर्चा और मंथन होगा, उससे निकलने वाला कानून उतना ही प्रभावशाली होगा. कानून का निर्माण के पहले जन मानस पर उसका क्या प्रभाव होगा का आकलन करना बेहद जरुरी है, क्योंकि जनता उस कानून को किस रुप में लेगी, यह कानून बनाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है. यदि जनप्रतिनिधियों का आचरण ही अमर्यादित रहेगा तब सदन का अप्रासंगिक होना तो तय है.
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