Ranchi-दुमका की सियासत में पिछले चंद दिनों से भूचाल है, सियासी उलझनों का दौर है, बढ़ते सियासी पारा के बीच अविश्वास और संदेह की गहराती खाई है, और इसके केन्द्र बिन्दू में हैं, सोरेन परिवार की बड़ी बहू और सियासी पलटी के बाद कमल की सवारी कर चुकी सीता सोरेन. दरअसल सीता सोरेन हर दिन एक नया बयान देकर सुर्खियों में हैं. कभी भी वह अपने नामांकन की पूर्व संध्या देवर बसंत से मुलाकात कर सियासी गलियारों में संदेह का बाजार गर्म करती है, तो कभी विवाद बढ़ता देख इसे पारिवारिक मुलाकात बता अविश्वास की पसरती खाई को ढकने की कोशिश करती है. एक तरफ सीता सोरेन इस बात का दावा करती इस मुलाकात का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. लेकिन जैसे ही बसंत सोरेन यह दावा करते हैं कि मोदी परिवार से भाभी सीता का मन भर चुका है, और वह सोरेन परिवार में शामिल होने को इच्छुक हैं.
देवर भाभी के बीच कोई भी सियासी बात नहीं!
जैसे ही यह बयान सामने आया है सीता का एक नया दावा सामने आता है, अपनी घर वापसी की खबर को नकारते हुए सीता सोरेन यह दावा करती है कि देवर बसंत खुद ही भाजपा में इंट्री की राह ढूढ़ रहे हैं, जबकि इसके पहले सीता सोरेन ने दावा किया था कि इस मुलाकात में देवर भाभी के बीच कोई भी सियासी बात नहीं हुई. लेकिन महज 24 घंटों में सीता सोरेन अपने ही बयान से पलटती नजर आयी.
क्या सीता सोरेन और दिशोम गुरु के बीच संवाद खत्म हो चुका है
सीता का दावा है कि सोरेन आवास जाने की मुख्य वजह नामांकन से पहले दिशोम गुरु शिबू सोरेन और सास रुपी सोरेन से जीत का आशीर्वाद लेने की चाहत थी, लेकिन गुरुजी से मुलाकात नहीं हुई, तो क्या सीता सोरेन को इस बात की जानकारी नहीं थी कि गुरुजी दुमका स्थित अपने आवास पर नहीं है? क्या सीता सोरेन ने जाने के पहले संपर्क नहीं साधा था? और सवाल यह भी है कि क्या सोरेन परिवार की इस बड़ी बहू का दिशोम गुरु और अपनी सास से कोई सीधा संपर्क नहीं है? जिसके कारण सीता को बगैर किसी सूचना के जाना पड़ता है? या मुख्य मकसद देवर बसंत से मुलाकात ही थी. और यदि ऐसा है तो निश्चित रुप से यह किसी बड़े सियासी बदलाव का संकेत हैं, यह मानने का पर्याप्त कारण है कि देवर भाभी के बीच कुछ ना कुछ सियासी खिच़ड़ी पक रही है.
देवर भाभी के बीच कौन सी सियासी खिचड़ी पक रही
हालांकि यह सियासी खिचड़ी क्या है? सीता की घर वापसी है, जैसा की बसंत सोरेन दावा कर रहे हैं या फिर सीता के इस दावे में दम है कि खुद बसंत भी पलटी मारने की तैयारी में हैं. फिलहाल दावे के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना साफ है कि देवर भाभी ने अपने-अपने दावे के सियासी पारा बढ़ा दिया है, और शक की सुई सीता सोरेन की ओर ही बढ़ती नजर आ रही है, दोनों के दावों-प्रतिदावों से ज्यादा महत्वपूर्ण यह सवाल है कि अपने नामांकन से ठीक पहले सीता सोरने को देवर बसंत मुलाकात करने की बेचैनी क्या थी, और दोनों के बीच कौन सी गुफ्तगू हुई. और क्या वाकई 14 मई के बाद झारखंड की सियासत करवट लेने वाली है.
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