रांची(RANCHI)- पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव का लगभग आधा दौर समाप्त हो चुका है. कई राज्यों में चुनाव प्रचार भी समाप्त हो चुका है. हालांकि राजस्थान में अभी भी चुनावी प्रचार की उंचाईयां छूना बाकी है, लेकिन कुल मिलाकर लोगों को अब तीन दिसम्बर का इंतजार है, जिस दिन इन पांच राज्यों का चुनाव परिणाम आयेगा और इससे साथ ही देश का मन- मिजाज क्या है, इसकी जानकारी सामने आ जायेगी. लेकिन इन पांच राज्यों के सियासी शोर के बीच 2024 के महाजंग की पटकथा भी समानान्तर रुप से लिखी जा रही है. सियासी दलों के द्वारा बेहद खामोशी से इसकी सरजमीन तैयार की जा रही है. इस हालत में यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि झारखंड का प्रवेश द्वारा माने जाने वाले कोडरमा संसदीय सीट पर सियासी दलों की तैयारी क्या है.
वह कौन-कौन से सियासी चेहरे होंगे, जिनके इर्द-गिर्द इस सियासी जंग की पटकथा लिखी जायेगी, और इन किरदारों का अपनी ही पार्टियों में क्या हैसियत है. यदि हम इस छानबीन की शुरुआत भाजपा से करें, जिसके हिस्से मे आज के दिन 14 में से 11 लोकसभा की सीटें हैं, और जिसका दावा है कि वह इस बार लोकसभा की कुल 14 सीटों पर वह जीत का परचम फहराने जा रही है. हालांकि तमाम राजनीति दलों के द्वारा इस प्रकार के दावे आम है, और यह दावे महज अपने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का हौसला बनाये रखने के लिए किये जाते हैं, जमीनी हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं होता.
अन्नपूर्णा की राह आसान या भाजपा के भीतर से ही खड़ी हो सकती है चुनौती
कोडरमा संसदीय सीट को लेकर भाजपा में कोई खास उलझन नजर नहीं आती, यदि सारे समीकरण ठीक रहे तो भाजपा एक बार फिर से वर्तमान सांसद अन्नपूर्णा देवी को मैदाने जंग में उतार सकती है, हालांकि बीच बीच में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के द्वारा भी इस सीट से एक बार फिर से अपनी किस्मत आजमाने का दावा किया जा रहा है. और यदि वाकई बाबूलाल एक बार फिर से कोडरमा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो यह लालटेन छोड़ कमल का दामन थामने वाली अन्नपूर्णा के लिए एक बड़ा झटका होगा.
यहां ध्यान रहे कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बाबूलाल कोडरमा संसदीय सीट से जेवीएम (पी) के बैनर तले मैदान में थें. लेकिन तब अन्नपूर्णा देवी ने करीबन चार लाख मतों से बाबूलाल को पटकनी देकर यहां कमल खिलाया था. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस सीट पर सिर्फ बाबूलाल की नजर है, 2014 में इस सीट से कमल खिलाने वाले रविन्द्र राय की नजर भी इस सीट पर लगी हुई है. दावा किया जाता है कि जिस तरीके से 2019 में उनकी दावेदारी का ठुकराते हुए भाजपा ने अन्नपूर्णा पर दांव लगाया और उसके बाद भी रविन्द्र राय ने अपनी वफादारी नहीं बदला, इसका इनाम इस बार उन्हे दिया जा सकता है. इसके साथ ही एक और नाम हैं प्रणय कुमार बर्मा का, पूर्व सांसद रीतलाल बर्मा के बेटे प्रणय की गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में की जाती है, और प्रणय कोयरी जाति से आते ही, कोयरी कुर्मी आबादी कोडरमा संसदीय सीट पर करीबन 2.20 हजार मानी जाती है. इस नाते उन्हें भी एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
अन्नपूर्णा को किनारा करने से भाजपा हो सकता है नुकसान
बाबूलाल के नाम पर चर्चा और कोडरमा में उनके जीत का इतिहास के बावजूद यह ध्यान रखना होगा कि यदि भाजपा अन्नपूर्णा देवी को मैदान से हटाने का फैसला करती है, उसके सामने तीन लाख यादव मतों को अपने साथ खड़ा रखने की चुनौती होगी, और इसके साथ ही इंडिया गठबंधन के लिए यह बेहद आसान मोर्चा साबित हो सकता है. क्योंकि बिहार से उठे जातीय जनगणना की सियासी तपिश से आज झारखंड भी अछूता नहीं है. लेकिन भाजपा की तरह ही इंडिया गठबंधन के अंदर भी कई मजबूत दावेदार हैं और कांग्रेस के साथ ही कोडरमा सीट पर राजद और झामुमो की नजर भी बनी हुई है. राजद की कोशिश यहां लालटेन छोड़ कमल खिलाने वाली अन्नपूर्णा को सबक सिखाने की है, लेकिन राजद की मुश्किल यह है कि इंडिया गठबंधन के अन्दर उसे एक सीट से ज्यादा मिलने की गुंजाईश दिख रही नहीं रही, और वह है सीट है पलामू संसदीय सीट.
झामुमो जयप्रकाश वर्मा तो धनंजय सिंह को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में कांग्रेस
इसके साथ ही झामुमो की नजर भी इस सीट पर बनी हुई है, इसमें सबसे अधिक चर्चा गांडेय के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा का हैं. और आम रुप से माना जाता है कि जयप्रकाश वर्मा ही इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार होंगे. लेकिन कुछ सियासी जानकारों का दावा है कि इस संसदीय सीट पर यादवों की तीन लाख आबादी को देखते हुए इंडिया गठबंधन की ओर से अन्नपूर्णा देवी के सामने राजकुमार यादव को भी अखाड़े में उतारा जा सकता है, लेकिन धनवार विधान सभा सीट से पूर्व विधायक रहे राजकुमार यादव का सीपीआई माले से जुड़ाव इसमें एक बड़ी बाधा है, हालांकि राजकुमार यादव इस संसदीय सीट पर पहले भी अपना भाग्य आजमाते रहे हैं, और वह यादव जाति का एक बड़े हिस्सा को अपने साथ खड़ा करने में कामयाब भी हुए हैं. लेकिन मुश्किल यह है कि इंडिया गठबंधन के अन्दर लोकसभा चुनाव के लिए माले को कोई सीट मिलती नजर नहीं आती. लेकिन इस बीच कांग्रेस खेमे की ओर से भी कोडरमा सीट पर अपनी दावेदारी की जा रही है. और धनंजय सिंह को मैदान में उतारने की बात कही जा रही है, ध्यान रहे कि धनंजय सिंह कोडरमा सीट से दो बार के सांसद रहे तिलकधारी सिंह के बेटे हैं. हालांकि दावा है कि झामुमो अपनी ओर से जयप्रकाश वर्मा का नाम लगभग तय कर है, और सबसे बड़ी बात यह कि झामुमो कोशिश इस सीट पर किसी भी हालत में किसी पिछड़ा को ही चेहरा बनानी की है, क्योंकि बिहार से उठे जातीय जनगणना के बवंडर के बाद बिहार से सटे इस इलाके में पिछड़ों की अनदेखी इंडिया गठबंधन को मंहगा पड़ सकता है.
हम यहां बता दें कि कोडरमा लोकसभा क्षेत्र में यादव -2.60 लाख, मुस्लिम-2 लाख, बाभन- 2 लाख, कोयरी कुर्मी- 2.20 लाख, आदिवासी-1.50 लाख, दलित-2 लाख, वैश्य-1.50 हैं. इस सामाजिक समीकरण को सामने रख कर दावा किया जा रहा है कि दोनों ही गठबंधनों की ओर से इस बार पिछड़ो को अपना चेहरा बनाया जायेगा.
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