रांची(RANCHI)- चतरा के लावालौंग जंगल में पुलिस की गोली से पांच इनामी नक्सलियों की मौत को फर्जी मुठभेड़ बतलाते हुए भाकपा माओवादी के प्रवक्ता प्रतीक के द्वारा 20 और 21 अप्रैल को बिहार-झारखंड बंद की घोषणा की गयी है.
प्रवक्ता प्रतीक ने कहा कि हमारे सभी साथियों के पास अत्याधुनिक हथियार थें, उनके निशाने भी अचूक थें, लेकिन बावजूद इसके किसी भी पुलिस कर्मी को एक खरोंच तक नहीं आयी, कोई भी पुलिस कर्मी घायल नहीं हुआ, यह कैसी मुठभेड़ थी? क्या यह संभव है कि गोली सिर्फ पुलिस की ओर से चलाई जा रही थी और हमारे साथी एक एक कर ढेर हो रहे थें? क्या उनकी ओर से कोई भी जवाबी कार्रवाई नहीं की गयी? आखिर किसी भी पुलिस कर्मी को कोई चोट क्यों नहीं आयी. यह कई सवाल खड़े करता है, यह निश्चित रुप से एक फर्जी मुठभेड़ था, जिसमें बेहद सधे अंदाज में हमारे साथियों का कोल्ड मर्डर किया गया.
संगठन के अन्दर गद्दार
प्रतीक ने इस बात को भी स्वीकार किया कि इन साथियों की मौत से माओवादियों को गहरा धक्का लगा है, सांगठिक ढांचे को क्षति पहुंची है, बावजूद इसके अभी भी हमारी मारक क्षमता कम नहीं हुई है.
हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि हमारे संगठन के अन्दर ही कॉमरेड के वेश में कुछ गद्दार छुपे हैं, जिनके द्वारा पुलिस को हमारी हर गतिविधियों की बेहद सटीक सूचना दी जा रही है, और इसी सूचना के आधार पर हमारे साथियों को मार गिराया जा रहा है. संगठन की नजर उन गद्दारों पर बनी हुई है, बहुत जल्द ही इन गद्दारों को चिह्नित कर कार्रवाई की जायेगी.
ग्रामीण क्षेत्रों को पुलिस छावनी में बदले जाने से ग्रामीणों के बीच दहशत
प्रवक्ता प्रतीक ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल को उतारा गया है. इन इलाकों को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में पुलिस की बर्बरता बढ़ी है और ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल है.
तीन अप्रैल को लावालौंग जंगल पांच नक्सलियों को मार गिराया गया था
ध्यान रहे कि तीन अप्रैल को पुलिस ने पलामू-चतरा बोर्डर पर लवालौंग जंगल में पांच इनामी नक्सलियों को मार गिराया का दावा किया गया था. इसमें से दो नक्सलियों पर 25-25 लाख और बाकी के तीन नक्सलियों के उपर 5-5 लाख रुपये का इनाम था.
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