रांची(RANCHI)- आदिवासी-मूलवासियों का अधोषित मसीहा, झारखंड की बेबाक आवाज, अंतिम पायदान के संघर्ष को राजनीति का केन्द्र बिन्दु बनाने वाले टाइगर जयराम महतो हमारे बीच नहीं रहें. इसके साथ ही झारखंड की राजनीति का एक सितारा हमसे दूर चला गया, अब वह कौन होगा, जो अपनी बुंलद आवाज में यहां के मूलवासियों को यह विश्वास दिलायेगा कि चाहे कुछ भी हो 1932 ही हमारी पहचान रहेगी और हम किसी भी कीमत पर इससे पीछे नहीं हटेंगे. अब वह कौन होगा जो यहां के युवाओं को यह विश्वास दिलायेगा कि झारखंड झारखंडियों के लिए है, और उसके अधिकारों की अभिरक्षा के लिए एक टायगर जिंदा है, अब जब वह आवाज झारखंड की वादियों में गुम हो गयी है, वह कौन होगा जो झारखंड की सतरंगी समाज में अमन और भाईचारे की बात करेगा, अब वह कौन होगा जो जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ेगा. कुदरत ने हमसे आज हमारा टाइगर छीन लिया, बहुत संभव है कि उसकी भी कुछ मजबूरी रही होगी, शायद कुदरत को भी टाइगर की जरुरत रही होगी, लेकिन हाय! अब इस झारखंड में माय मिट्टी की बात कौन करेगा, अब वह कौन होगा हो सत्ताधारी दल में रहकर भी अपनी बेबाकी से सब का दिल मोह लेगा. शायद आज झारखंड का सबसे अभागा दिन है, और हम और आप इसके बदनसीब गवाह है.
चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में ली अंतिम सांस
यहां बता दें कि आज गुरुवार को चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में टाइगर जगरनाथ महतो ने अपनी अंतिम सांस ली. डुमरी विधान सभा से अपनी राजनीति जीवन की शुरुआत करने वाले जगरनाथ महतो ने कभी अपना राजनीतिक पाला नहीं बदला, हमेशा जेएमएम की संघर्ष की राजनीति से उनका जुड़ाव बना रहा. यही कारण है कि वह तीन-तीन बार जेएमएम के झंडा तले विधान सभा पहुंचे और शिक्षा मंत्री से लेकर मद्य निषेध विभाग तक की जिम्मेवारियों का निर्वाह किया.
कोरोना महामारी से पूरी तरह टूट चुके थें टाइगर
यहां बता दें कि जगरनाथ महतो कोरोना महामारी से पूरी तरह टूट चुके थें. करीब एक महीने तक रांची में उनका इलाज चला था. जिसके बाद उन्हे एमजीएम अस्पताल, चेन्नई में भर्ती करवाया गया था. जहां उनका लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया. लंग्स ट्रांसप्लांट होने के वह करीब 4 महीने तक चेन्नई में इलाजरत रहे. कुछ स्वस्थ होने के बाद वे झारखंड वापस आए. हालांकि बीच-बीच में उनकी तबीयत कई बार बिगड़ती रही, लेकिन बावजूद इसके वह सामान्य रूप से अपने राजनीतिक-सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते रहें. इस बीच बजट सत्र के दौरान भी उनकी तबीयत एक बार फिर से बिगड़ गयी और सीएम हेमंत ने बिना देरी किये उन्हे एक बार फिर से एमजीएम अस्पताल, चेन्नई भेजा, हर बार की तरह पूरे झारखंड को यह विश्वास था कि टाइगर फिर लौटेगा, लेकिन नहीं, इस बार हमारा टाइगर हमें दगा दे गया.
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