पटना(PATNA)- तेजस्वी यादव का विदेश का दौरा समाप्त कर पटना की धरती पर कदम रखते ही बिहार की राजनीति में सिर्फ एक शब्द सुनाई पड़ता है, वह है तेजस्वी यादव का इस्तीफा. आज विधान सभा के अन्दर भी सिर्फ तेजस्वी यादव इस्तीफा दो की गूंज सुनाई पड़ी, तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग के साथ भाजपा विधायकों ने कुर्सियों और टेबुलों को पटकने की शुरुआत कर दी. मात्र छह मिनट की सदन की कार्यवाही के बाद इसे दोपहर के लिए स्थगित कर दिया गया.
17 वर्ष पुराने लैंड फॉर जॉब मामले में पुरक चार्जशीट में आया है तेजस्वी का नाम
तेजस्वी यादव को लेकर अब तक भिन्न-भिन्न पैतरें अपना चुकी भाजपा लैंड फॉर जॉब के 17 वर्ष पुराने मामले में तेजस्वी यादव का नाम सीबीआई के द्वारा दायर पुरक चार्जशीट में आने के बाद उनके इस्तीफे की मांग कर रही है. लेकिन सत्र का पहला दिन ही जिस प्रकार से सीए नीतीश तेजस्वी यादव और तेजप्रताप को अपने साथ कार में बैठाकर विधान सभा पहुंचे थें, उसके बाद यह साफ हो गया था कि जिस जीरो टॉलरेंस का हवाला देकर भाजपा के द्वारा तेजस्वी के इस्तीफे की मांग की जा रही है, नीतीश कुमार अब उससे काफी आगे निकल चुके हैं. अब वे इस लड़ाई को आर पार की लड़ाई बनाना चाहते हैं.
भाजपा के कई मंत्रियों के नाम दर्ज हैं कई आपराधिक मामले
शायद यही कारण है कि जदयू राजद प्रवक्ताओं के द्वारा उन मंत्रियों के नाम गिनाये जा रहे हैं, जिनके नाम एक नहीं कई-कई मामले वर्षों से दर्ज है, बावजूद इसके वह मंत्री पद की शोभा बना रहे हैं. ध्यान रहे कि नीतीश तेजस्वी की इस जोड़ी को तोड़ऩा भाजपा के लिए बिहार में उसके पॉलिटिकल सर्वाइवल का सवाल बन कर खड़ा हो गया है, बगैर इस जोड़ी को तोड़े सत्ता तो दूर उसके लिए अपने वर्तमान संख्या बल को बचाना भी मुश्किल हो सकता है. 2015 के विधान सभा चुनाव में भाजपा इस संयुक्त ताकत को परख चुकी है, जब वह महज 53 विधायकों पर अटक गयी थी. जिसके बाद अपनी हार की समीक्षा करते हुए एक साक्षात्कार में खुद अमित शाह ने यह स्वीकार किया था कि बिहार में राजद, जदयू दो महत्वपूर्ण राजनीतिक शक्तियां हैं, और इन्ही दोनों के इर्द गिर्द बिहार की पूरी सियासत घूमती है. यदि ये दोनों दल एक साथ खड़ा हो जाते हैं, तो किसी भी तीसरे दल के लिए अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाता है.
दोनों के बीच अविश्वास की खाई पैदा करने की साजिश
2015 का यही चुनाव परिणाम भाजपा के लिए एक चुनौती और उसकी राजनीतिक बेचैनी कारण है और यही कारण है कि सीएम नीतीश और तेजस्वी की इस जोड़ी को तोड़ने के लिए कई चाल एक साथ चले जा रहे हैं, दोनों के बीच अविश्वास की खाई पैदा करने की कोशिश की जा रही है, कभी यह दावा किया जा रहा है कि जदयू का राजद में विलय करने की तैयारी हो रही है, जिसके कारण जदयू विधायकों में बेचैनी है, तो कभी यह दावा किया जा रहा है कि सीएम नीतीश तेजस्वी को धोखा देने की तैयारी में जुटे हैं, कभी कहा जाता है कि तेजस्वी के साथ हाथ मिलाकर नीतीश ने जंगल राज पार्ट-2 की शुरुआत की है, तो कभी कहा जाता है कि राजद के दवाब के कारण नीतीश राज्य हित से जुड़े फैसले नहीं ले पा रहे हैं. वह इस राजद के द्वारा दिन प्रति दिन बनाये जा रहे इस राजनीतिक दवाब को झेलने की स्थिति में नहीं है, और कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं, कुल मिलाकर नीतीश तेजस्वी इस जोड़ी से भाजपा में हाहाकार है, इस राजनीतिक हाहाकार से निकलने की कोशिश में वह कभी तेजस्वी को सहलाती है, तो कभी नीतीश को एक बार फिर से साधने की रणनीति पर काम करती है, लेकिन फिलहाल यह दोस्ती टूटती नजर नहीं आ रही है.
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