दिशोम गुरु के अस्सी साल, देखिये कैसे रावण को कुलगुरु बता आदिवासी-मूलवासी सियासत को दिया था एक नई धार

कहा जा सकता है कि महिषासुर को आज बहुजन नायक के बतौर प्रतिस्थापित करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन फिर सवाल वही है, आदिवासी मूलवासी सियासत का दंभ भरने वालों दूसरे राजनेता जब इस बदलाव को समझने में नाकामयाब रहें, शिबू सोरेन की आंखों ने बहुत पहले ही बदलती सरजमीन को पहचान लिया था. शिबू  सोरेन की सुक्ष्म दृष्टि उनका दिशोम गुरु के रुप में प्रतिस्थापित होने की मुख्य वजह है.

दिशोम गुरु के अस्सी साल, देखिये कैसे रावण को कुलगुरु बता आदिवासी-मूलवासी सियासत को दिया था एक नई धार