Ranchi- राजधानी रांची से करीबन 30 किलोमीटर दूर इटकी में अजीम प्रेम जी यूनिवर्सिटी के शिलान्यास कार्यक्रम के अवसर पर सीएम हेमंत ने झारखंडी की गरीबी, कुपोषण, पलायन और भूखमरी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि कोयला लोहा अभ्रक से लेकर माईका तक हमारी जमीन में दफन है. बावजूद इसके हम झारखंडियों के हिस्से भूखमरी, बेरोगारी और कुपोषण-पलायन है, जबकि इसी कोयला लोहा और अभ्रक से गैर झारखंडियों में बेलगाम रफ्तार के साथ खुशहाली और समृद्धि फैल रही है, अब हमें विकास के इस मॉडल पर विचार करना होगा, इस लूट को बंद करना होगा, क्योंकि बैगर इसके हम आदिवासी मूलवासियों की जिंदगी में बदलाव नहीं ला सकते.
सीएम हेमंत के भाषणों से मिलने लगा लोकसभा चुनाव के मुद्दे के संकेत
निश्चित रुप से सीएम हेमंत का यह बयान लोकसभा चुनाव के पहले आदिवासी-मूलवासियों को, जो उनका आधार मतदाता है, एक संदेश देने की कोशिश है, और इस संदेश के साथ ही सीएम हेमंत ने यह भी साफ कर दिया है कि 2024 की लड़ाई में झारखंड के संसाधनों की लूट एक बड़ा मुद्दा होगा. क्योंकि इसके पहले भी वह कोयले की रॉयल्टी को लेकर केन्द्र सरकार के टकराते रहे हैं, उनका आरोप है कि केन्द्र सरकार झारखंड के कोयले की रॉयल्टी रोक कर झारखंड के आदिवासी मूलवासियों की जिंदगी को बर्बाद कर रही है, उनके अनुसार यह राशि कोई छोटी मोटी रकम नहीं है, यह करीबन 136 हजार करोड़ की विशाल राशि है, जिसे केन्द्र सरकार झारखंड को देना नहीं चाहती, और यदि यह राशि हमें मिल जाती तो यहां के आदिवासी मूलवासियों की सात पीढ़ी को बैठा कर खिलाया जा सकता था, उनके हिस्से भी खुशहाली और समृद्धि लाई जा सकती है, उनकी बेहतरी के लिए और भी कई योजनाओं का सामने लाया जा सकता था, उनके कुंठित होते सपनों को मूर्छाने से बचाया जा सकता था. लेकिन केन्द्र सरकार इस राशि पर कुंडली मार कर बैठी है.
सौ बरसों का खनन, फिर भी हमारी गरीबी और फटेहाली दूर नहीं हुई
सीएम हेमंत ने यह भी कहा कि करीबन सौ वर्षों से झारखंड में खनन हो रहा है, लेकिन हमारा कोयला लोहा तो बाहर जाता रहा, लेकिन उसके बदले हमारी जिंदगी में बेहतरी नहीँ आयी, उल्टे हमारी गरीबी और फटेहाली बढ़ती गई. और यही कारण है कि अब हमने विकास की नयी संभवानाओं को तलाश करने की कोशिश की है, यह विश्वविद्यालय उसी सोच का नतीजा है. यहां हम यह भी बता दें कि इटकी में विप्रो लिमिटेड के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी के द्वारा करीबन 5 हजार करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है. इसके साथ ही वहा, 500 बेड का मेडिकल कॉलेज, अस्पताल, स्कूल और दूसरी सुविधायें होगी. माना जाता है कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद झारखंड एक शैक्षणिक हब के रुप में सामने आयेगा, खास कर आईटी कंपनियों का भी रास्ता खुल सकता है.
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