Ranchi-एक तरह समन दर समन भेज कर ईडी सीएम हेमंत को अपने कार्यालय में आने का हुक्म सुना रही है, दूसरी ओर सीएम हेमंत उसकी नीयत पर ही सवाल खड़ा करते हुए उसे सुप्रीम कोर्ट में घसीट चुके है. पहले समन के बाद ईडी को भेजे अपने जबाव में सीएम हेमंत ने बेहद साफ शब्दों में यह कहा था कि आप अपने पॉलिटिकल मास्टर के आदेश पर बेबजह तंग करने के रास्ते पर निकल पड़े हैं. मेरे खिलाफ कुल मामला महज इतना है कि हम आपके पॉलिटिकल मास्टर यानि आका की राह पर चलने को तैयार नहीं है, उसकी शर्तों को मानने को इंकार कर चुके हैं और यही कारण है कि आप जानबूझ कर हमें 14 सितम्बर को आने का समन भेज रहे हैं, किसी भी मुख्यमंत्री को 14 सितम्बर को बुलाने भर से साफ है कि आपकी नीयत में कितनी बड़ी खोट है, आप सिर्फ मामले को उछलाना चाहते हैं, ताकि एक निर्वाचित सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा किया जा सके और इसका लाभ आपके पॉलिटिकल मास्टर को मिल सके.
मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है
इससे साथ ही सीएम हेमंत ने ईडी को बेहद साफ अल्फाज में अपना समन वापस लेने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने को कहा था, और वही हुआ जैसे ही ईडी ने दूसरा नोटिस भेजा और उन्हे कार्यालय आने के लिए तलब किया, सीएम हेमंत इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट चले गये, उनके पीछ पीछे ईडी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट से किसी नतीजे पर पहुंचने के पहले उनका पक्ष सुनने का अनुरोध किया, अब जबकि मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला कब सुनाया, यह तो सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर है, लेकिन इस बीच ईडी एक बार फिर से सीएम हेमंत को समन भेज कर अपने कार्यालय में आने का हुक्म सुना चुकी है, अब चूंकि यह मामला कोर्ट में पेंडिंग है, खुद ईडी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष सुनने का अनुरोध किया है और इधर ईडी 9 सितम्बर को एक बार फिर से सीएम हेमंत को कार्यालय आने का हुक्म सुना चुकी है, मामला पेचीदा हो चुका है, यही कारण है कि सुप्रियो भट्टाचार्य इस मामले में लीगल टीम की राय के अनुसार फैसला लेने की बात कर रहे हैं. लेकिन इतना निश्चित है कि ईडी और सीएम हेमंत का यह संघर्ष रोचक मोड़ पर पहुंच चुका है. और यदि हर बार इसी तरह ईडी के फैसले और समन को कोर्ट में चुनौती दी जाने लगी तो ईडी के समक्ष मुश्किलें खड़ी हो सकती है.
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