TNP DESK- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अध्यादेश लाकर प्रशासन की सारी ताकतों को एक बार फिर से एलजी के पास किये जाने के बाद तिलमिलाये आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधान मोदी पर बड़ा हमला बोला है.
दिल्ली के रामलीला मैदान में खचाखच भीड़ के बीच अरविंद केजरीवाल ने एक कहानी के माध्यम से इशारों ही इशारों में प्रधानमंत्री मोदी को चौथी पास करार दिया है, उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि देश चलाना कैसे है? उनके अन्दर ना तो लोकतांत्रिक मूल्यों की कोई कद्र है और ना ही संवैधानिक मूल्यों की परवाह. यही कारण है कि एक-एक कर लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों को जमींदोज किया जा रहा है. अब दिल्ली में दिल्ली के लोगों की मर्जी और देश की सर्वोच्च अदालत का आदेश नहीं चलेगा, सिर्फ और सिर्फ दिल्ली में एक व्यक्ति की तानाशाही चलेगी, और वह तानाशाह होगा एलजी
पीएम मोदी कहते हैं कि सरकार तो मैं ही चलाऊंगा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली की जनता ही सुप्रीम है, और वहां का शासन उनके द्वारा चुनी गयी सरकार ही चलायेगी, लेकिन पीएम मोदी कोर्ट के इस फैसले को कुचलने पर आमादा हैं. हालत यह हो गयी है कि जनता जिसे भी वोट दे, जिसे भी चुने लेकिन पीएम मोदी कहते हैं कि सरकार तो मैं ही चलाऊंगा.
दिल्ली की जनता को अरविंद केजरीवाल ने सुनाई एक चौथी पास राजा की कहानी
इस मौके पर अरविंद केजरीवाल ने एक कहानी भी सुनाई, और इस कहानी को सामने रख कर पीएम मोदी को चौथी पास करार दिया. उन्होंने कहा कि एक महान राजा था, वह एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था, एक दिन उस गांव में एक ज्योतिषी आया, ज्योतिषी ने उस बच्चे की कुंडली देखकर उसके पिता से कहा कि तेरा बेटा बड़ा होकर बड़ा सम्राट बनेगा. लेकिन परिवार को यह समझ में नहीं आया कि जब उसकी हालत दो जून की रोटी की व्यवस्था करने की भी नहीं है तो उसका बेटा सम्राट कैसे बनेगा? बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो पिता ने उसका नाम किसी सरकारी स्कूल में लिखवाया दिया, लेकिन बच्चे का मन पढ़ने-लिखने में लगता ही नहीं था, चौथी आते-आते वह कई बार फेल हुआ, आखिरकार पढ़ाई लिखाई छोड़ वह बगल के स्टेशन पर चाय बेचने लगा. लेकिन पढ़ाई लिखाई से दूर रहने के बावजूद उस बच्चे की एक खासियत भी थी, वह झूठ भी बड़े शानदार तरीके से बोलता था, विषय चाहे कुछ भी हो, भले ही उसे उस विषय़ का एबीसीडी भी नहीं आता हो, लेकिन वह उस विषय़ पर धाराप्रवाह उस विषय पर घंटों बोलता रहता था, कहानियां सुनाता रहता था.
ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच साबित हुई और बच्चा एक दिन देश का राजा बन गया
आखिरकार बच्चा समय के साथ बड़ा हो गया, और ज्योतिषी की भविष्यवाणी के अनुसार देश का सम्राट बन गया, जैसे की हर राजा के पास हर दिन सैंकड़ों फाइलें आताी है, उस राजा के पास भी फाइलें आने लगी. लेकिन राजा को तो पढ़ना लिखना आता ही नहीं था. अधिकारी जब भी फाइल लाकर बगल में खड़ा होतें, वह बिना देरी किये चुपचाप उस पर अपनी मुहर लगा देता. उसे अधिकारियों से यह कहने में शर्म आती थी कि वह तो चौथी पास है, इन फाइलों को पढ़ना उसके बस की बात नहीं है. अफसरों से पूछने पर खतरा था कि उसके अपढ़ होने की खबर फैल जायेगी. और लोग जान जायेगें कि राजा अपढ़ है, लेकिन यह बात ज्यादा दिन छिपी नहीं रह सकी, यह बात पहले अधिकारियों के बीच फैली, फिर धीरे धीरे जनता के बीच फैल गयी.
जब राजा ने किया फर्जी डिग्री का जुगाड़
जब राजा को इस बात की खबर मिली की उसके अपढ़ होने की खबर तेजी के साथ फैल रही है, तो उसने एक फर्जी डिग्री का जुगाड़ किया, उसके देखा देखी उसके कई मंत्रियों ने भी यही राह पकड़ी.
एक दिन राजा को अपने राज का हालत सुधारने की हुई फिक्र
खैर, राजा को एक दिन अपने राज का हालत सुधारने की फिक्र हुई, उसने अधिकारियों से भ्रष्टाचार और आतंकवाद का खात्मा करने के लिए जुगाड़ लगाने का हुक्म दिया, लेकिन अधिकारियों को कोई जुगाड़ हाथ नहीं लगा तो राजा को नोटबंदी की सलाह दे दी, कहा कि आप नोटबंदी कर दे, नोटबंदी करते ही देश से भ्रष्टाचार और आंतकवाद का सफाया जायेगा. अपढ़ राजा को लगा, यह तो बेहद आसान है, और उसने टीवी पर आकर नोटबंदी की घोषणा कर दी. वह कभी हजार रुपये के नोट बंद करता तो कभी दो हजार का. कभी चालू कभी बंद. यही उसकी दिनचर्या हो गयी. धीरे-धीरे राजा के सारे फैसले अधिकारी लेने लगे. अधिकारियों ने किसानों के लिए एक कानून बनाया, लेकिन किसान उस कानून के खिलाफ सड़क पर उतर गयें, देखते देखते 750 किसानों की मौत हो गयी. बाद में राजा को किसी ने समझाया किसान तो बगावत पर उतारु हैं, आप की सिंहासन पर खतरा है, तो एक दिन अचानक से उसने टीवी पर इन कानूनों को रद्द करने की घोषण कर दी.
जब देश में महामारी फैल गयी तब राजा ने क्या किया
इस बीच देश में महामारी फैल गयी. राजा के सामने अपनी प्रजा को इस आफत से बचाने की चुनौती थी, लेकिन राजा ने महामारी का समाधान खोजने के बजाय प्रजा से थाली बजाने का आह्वान कर दिया, पूरे देश से थालियों की आवाज आने लगी. राजा अपढ़ होने के साथ ही दोस्तवाज भी था. एक दिन राजा के एक दोस्त ने तिजोरी से 12 हजार करोड़ की चोरी कर ली, राजा को लगा कि कानूनी कार्रवाई में तो बड़ी मुश्किल होगी, उसने अपने चोर दोस्त को चुपचाप देश से बाहर भेजवा दिया. राजा के एक दोस्त ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचल दिया लेकिन राजा ने उस दोस्त से भी अपनी दोस्ती नहीं तोड़ी. जब एक कार्टूनिस्ट ने राजा का कार्टून बनाया तो सनकी राजा ने उसे जेल में डाल दिया. एक पत्रकार ने जब राजा का अपढ़ होने की पोल खोली तो उसे पकड़ कर जेल में डाल दिया. धीरे धीरे राजा जजों के फैसले को भी बदलने लगा.
राजा की हालत देख कर एक दिन देवताओं ने बैठक की
राज की यह हालत देख कर एक दिन देवताओं ने एक मीटिंग की. उस मीटिंग में शिव जी भी आयें, राज के हालात को देखकर शिव जी को जोरों का गुस्सा आया, उन्होंने गुस्से में अपना तीसरा नेत्र खोल दिया, जिसके कारण उज्जैन के मंदिर में सप्तऋषि की मूर्ति टूट गई. रेल हादसा हो गया. शिव जी का गुस्सा देख कर एक आकाशवाणी हुई- इस महान देश के महान लोगों उठो, खड़े हो जाओ, इस अहंकारी राजा के खिलाफ आवाज उठाओ और महज एक साल के अंदर जनता ने राजा का राजपाठ उठाकर फेंक दिया. यह कहानी बड़ी पवित्र है. इसको सुनने-सुनाने से परिवार, समाज और देश का कल्याण होता है, उसकी सारी समस्याओं का निदान होता , आप भी इस कहानी को घर घर तक पहुुंचायें ताकि इस देश का कल्याण हो सके.
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