रांची (TNP Desk) : सियासत में लड़ाई सत्ता के लिए होती है. विचारधारा हथियार होती है. लेकिन जब हुकूमत आती है यानि सत्ता आती है तो गाहे-बगाहे सिंडिकेट भी बन ही जाता है. या यूं कहें कि आज की तारीख में सत्ता और सिंडिकेट एक सिक्का का दो पहलू हो गया है. अगर झारखंड की बात करें तो यहां बीते कुछ सालों में सत्ता में सिंडिकेट हावी दिखाई दिया है. ये सिंडिकेट किसी भी हद को पार कर जाता है. इसके लिए विचारधारा कोई मायने नहीं रखती. वो सिर्फ अपने मुनाफे के लिए काम करता है. वहीं सत्तारुढ़ पार्टी अगर सिंडिकेट पर हावी हो जाए तो उसे बेदखल करने में भी देर नहीं लगाती है. हम जिसकी बात कर रहे हैं उसके बारे में आप भी भलीभांती जानते हैं कि कैसे तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी एक झटके में चली गई. हेमंत की कुर्सी जाने के कई पहलु भी हैं. जिसे जानकर आप भी हैरान हो गये हैं
कैसे फंसे हेमंत सोरेन
झारखंड जब से अलग हुआ तब से सिर्फ एक ही बार पांच साल किसी पार्टी ने सत्ता पर राज किया और उसे बखूबी अंजाम दिया. वो है रघुवर के कार्यकाल का. इसके बाद हेमंत के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ. लोगों को लगा कि अब राज्य में स्थिर सरकार ही चलेगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका. सिंडिकेट ने ऐसा अपना जाल फैलाया जिसमें हेमंत सरकार फंसते चले गए. और हेमंत सोरेन की सरकार स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकी. ये लोग इतने चतुर थे कि सरकार को अपने जाल में फंसाकर अपने अनुसार नीति बदल देता था. खुद पूर्व मुख्यमंत्री भी इसके गिरफ्त में थे और वे चाहकर भी निकल नहीं पाये. स्थिति ऐसी हो गई कि खुद हेमंत की कुर्सी चली गई. आज ईडी के गिरफ्त में हैं.
बड़गाईं के बाद मेडिका के सामने वाली जमीन भी ईडी के रडार पर
सत्ता और सिंडिकेट का एक और कारनामा जल्द ही ईडी खुलासा करने वाली है. जिसे जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे. आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या इतना बड़ा घोटाला भी हो सकता है वो भी जमीन का. अभी बड़गाईं जमीन घोटाले का मामला शांत भी नहीं हुआ एक और जमीन घोटाले का मामला सामने आने वाला है. रांची के बरियातू थाना क्षेत्र में स्थित मेडिका अस्पताल के सामने वाली जमीन का भी घोटाला हुआ है. जो ईडी की रडार पर है. इसका भी जल्द ही बड़ा खुलासा ईडी करने वाली है. हालांकि अभी ईडी जांच कर रही है.
विनोद सिंह के व्हाट्सएप चैट से खुलासा
बता दें कि जब गिरफ्तार पूर्व सीएम हेमंत सोरेन से ईडी पूछताछ कर रही थी उसी दरमियान उनके करीबी आर्किटेक्ट विनोद सिंह को पूछताछ के लिए ईडी ने अपने दफ्तर बुलाया और पूछताछ करनी शुरू की. विनोद ने कई खुलासे किये. उसके बाद विनोद के व्हाट्सएप चैट की जानकारी मिली. ईडी ने व्हाट्सएप चैट का 539 पेज का प्रिंट पीएमएलए कोर्ट को सौंपा. जिसमें बड़गाई जमीन से लेकर जेएसएससी पेपर लीक मामले का जिक्र है. उसके बाद विनोद के दूसरे मोबाइल की जांच की. उस मोबाइल के व्हाट्सएप चैट का प्रिंट 201 पेज में है. जिसमें बड़गाईं अंचल की 8.5 एकड़ जमीन पर पूर्व सीएम हेमंत और आर्किटेक्ट विनोद सिंह आलीशान बैंक्वेट हॉल बनाना चाहते थे. जिसका नक्शा आर्किटेक्ट के मोबाइल से मिला.
विनोद सिंह के करीबी के ठिकानों पर ईडी का छापा
प्रवर्तन निदेशालय को जब इसकी जानकारी मिली तो उसके अधिकारियों ने विनोद सिंह के करीबी के ठिकानों पर छापेमारी की. अधिकारियों ने मंगलवार को बड़गाईं की 8.5 एकड़ जमीन से जुड़े मामले में विनोद सिंह, रमेश गोप और हिलेरियस कच्छप के ठिकानों पर छापा मारा. ईडी ने विनोद सिंह के ठिकानों पर दूसरी बार छापा मारा है. इससे पहले छह जनवरी को उसके ठिकानों पर छापेमारी हुई थी. दूसरी छापेमारी उसके दूसरे मोबाइल से मिले ब्योरे के आधार पर की गयी. छापेमारी के दौरान जमीन कारोबारी रमेश गोप के कोकर के अयोध्यापुरी स्थित घर से जमीन व निवेश से जुड़े दस्तावेज मिले. ईडी के अधिकारियों ने संभावना जताया है कि रमेश गोप के ठिकानों से जो दस्तावेज मिले हैं उससे जमीन की खरीद बिक्री के कुछ और मामलों के उजागर होगा. इसके अलावा बड़गाई स्थित 8.5 एकड जमीन की चहारदीवारी कराने वाले हिलेरियस कच्छप के बरियातू स्थित घर पर रेड मारा. ईडी की टीम ने हिलेरियस कच्छप से पूछा कि किसने कहने पर जमीन की चहारदीवारी करायी. इसके निर्माण पर होनेवाले खर्च का भुगतान किसने किया. तो वो कुछ बोल नहीं पाया.
एक और जमीन घोटाले का जल्द होगा बड़ा खुलासा
ईडी की कार्रवाई जिस तेजी से चल रही है उससे अनुमान यही लगाया जा रहा है कि जल्द ही एक और जमीन घोटाले का पर्दाफाश होने वाली है. अब देखने वाली बात होगी की कि ईडी के रडार पर अब कौन आता है. ईडी की कार्रवाई से जमीन माफिया भयभीत हैं. उन्हें ये डर अभी से सताने लगा है कि कहीं अब हमारे यहां तो नहीं ईडी की छापेमारी होने पड़ने वाली है.
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