Ranchi-राजनीति की दुनिया भी बड़े कमाल की होती है. सियासत का हर दांव सत्ता की उड़ान के लिए होता है, जैसे ही इस उड़ान पर खतरा मंडराता है, एक बारगी सारी प्रतिबद्धता और वैचारिक समर्पण हवा-हवाई होता नजर आता है. हजारीबाग की सियासत में कुछ कुछ यही होता नजर आ रहा है, हजारीबाग में ‘मोदी परिवार’ पर संकट गहराता दिख रहा है. मोदी परिवार का कुनबा बिखरता नजर आ रहा है. पूरे देश में जिस ‘मोदी परिवार’ की ताल ठोंकी जाती है, अपने को ‘मोदी परिवार’ का हिस्सा बताकर विपक्षी दलों को बदलते भारत की तस्वीर दिखलायी जाती है, वह मोदी परिवार आज पूर्व वित्त मंत्री और अटल-आडवाणी के दौर में झारखंड भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा माना जाने वाला यशवंत सिन्हा के परिवार में कहां खड़ा है? हजारीबाग के सियासी गलियारों में यह एक बड़ा सवाल है.
20 मई को हजारीबाग में होना है मतदान
यहां ध्यान रहे कि 20 मई को हजारीबाग लोकसभा में मतदान होना है. लेकिन 1998 के बाद पहली बार हजारीबाग के सियासी अखाड़े से सिन्हा परिवार का कोई उम्मीदवार नहीं है. भाजपा ने इस बार 2014 और 2019 में हजाराबाग संसदीय सीट से कमल का फूल खिलाने वाले पूर्व वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को बेटिकट कर मनीष जायसवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. दावा किया जाता है जयंत सिन्हा का टिकट कटने के पीछे उनके पिता और 1998,1999 और 2009 में हजारीबाग में कमल खिलाने वाले यशवंत सिन्हा का पीएम मोदी के खिलाफ बगावती तेवर है.
भाजपा में आडवाणी कैंप का हिस्सा रहे हैं यशवंत सिन्हा
ध्यान रहे कि यशवंत सिन्हा को भाजपा में आडवाणी कैंप का आदमी माना जाता था, लेकिन पीएम मोदी के इंट्री के बाद यशवंत सिन्हा अपने आप को इस बदलते भाजपा के साथ सहज नहीं पा सकें. बेटे जयंत के मंत्री रहते हुए भी यशवंत सिन्हा ने तृणमूल की सवारी कर ली. अपनी इस सियासी पलटी को तर्कसंगत बताते हुए य़शवंत सिन्हा ने दावा किया था कि आज की भाजपा अटल-आडवाणी की भाजपा नहीं रही, पूरी पार्टी पर कॉरपोरेट घरानों का कब्जा है, विचारधारा और नीतियों की बात बेगानी हो चुकी है. इस हालत में यह सियासी पलटी वक्त की मजबूरी और देश में लोकतंत्र और संविधान को बचाने की लड़ाई है.
पिता यशवंत की सियासी चाहत में उलझती गयी बेटा जयंत की राहें
इधर पिता यशवंत अपनी राजनीति को धार देते रहे, आक्रमक अंदाज में पीएम मोदी की नीतियों को देश के भविष्य के घातक बताते रहें, अर्थव्यवस्था पर बोझ साबित करते रहें, उधर बेटा जयंत की मुश्किलें बढ़ती गयी और इसकी अंतिम परिणति इस बार उन्हे अपनी टिकट से चुकानी पड़ी. हालांकि जयंत सिन्हा अभी भी मोदी परिवार का हिस्सा है, उनके सोशल मीडिया एकाउंट पर मोदी परिवार की खुबसूरत तस्वीर है. लेकिन अब खुद उनका बेटा आसिर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. इस प्रकार आज सिन्हा परिवार तीन हिस्सों में विभक्त है. दादा तृणमूल कांग्रेस के साथ है, पिता जयंत मोदी परिवार का मजबूत हिस्सा और बेटे आसिर को कांग्रेस के पंजे में देश का भविष्य नजर आ रहा है, यानि दादा पोता दोनों को ही भाजपा के कमल में देश की दुर्गती दिख रही है.
20 तारीख के मतदान के पहले खेला क्यों?
जानकारों का दावा है कि हजारीबाग में मतदान के ठीक पहले पोता आसिर का पंजे की सवारी करना, एक सोची समझी सियासी चाल है, एक तरफ पिता जयंत “मोदी परिवार” का हिस्सा बने रहेंगे और इधर बेटा आसिर कांग्रेस के साथ सियासी डगर बढ़ाते हुए आने वाले लोकसभा चुनाव में हजारीबाग पर अपनी दावेदारी ठोंकता नजर आयेगा, इसके साथ ही यह अपने समर्थक वर्ग को एक संदेश देने की कोशिश भी है. यह बताने का प्रयास है कि आप पिता जयंत के बजाय बेटे आसिर का चेहरा देखें, उनके सिर पर अपने पिता और दादा का आशीर्वाद है, और यह आशीर्वाद जेपी पटेल के भारी मतों से विजय दिलवाने के लिए है. यानि मोदी परिवार का हिस्सा रहते हुए, जयंत सिन्हा ने बेहद खूबसूरती के साथ मोदी परिवार को बेगाना बना दिया. देखना होगा कि 20 मई को मतदान के दिन इसका क्या असर पड़ता है? लेकिन जिस तरीके से इस परिवार का पिछले तीन दशक से हजारीबाग की सियासत पर दखल रहा है, प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता.
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