अतीक अहमद सफाया! दांव पर पत्रकारिता की साख, देखिये यह विशेष रिपोर्ट

अतीक के सफाये के साथ ही अतीक के काले अध्याय की समाप्ति हो गयी, अतीक को उसके अंतिम अंजाम तक पहुंचा दिया गया, लेकिन उसकी मौत के साथ ही पत्रकारिता की साख पर एक काला धब्बा लग गया. क्या इस हादसे बाद भी पत्रकारों पर विश्वास कायम रहेगा? क्या यह पत्रकारिता की जर्जर साख पर एक और हमला नहीं है?

अतीक अहमद सफाया! दांव पर पत्रकारिता की साख, देखिये यह विशेष रिपोर्ट