धनबाद(DHANBAD): धनबाद पुलिस के बहाने हजार. एक तो कोयला चोरी पर कोई रोक नहीं लगती और यदि चोरी का कोयला पकड़ा जाए तो थाने का विवाद सामने आ जाता है. तो कुल मिलाकर हम यह कह सकते है कि देश को ऊर्जा देनेवाले इस धनबाद में अंधेर नागरी चौपट राजा वाली बात चरितार्थ हो रही. अभी ताजा तरीन घटनाओं में जहां सीआइएफ ने चोरों को मार भगाया वहीं चोरों के खून से भी ये खदान लाल हो गया बावजूद इसके यह कोयला चोरी रोकने के कोई सकारात्मक परिणाम निकल कर नहीं आ रहे हैं. जब भी कोयला जब्त होता है थानों की पुलिस का अपना ही राग आरंभ हो जाता है. जब्ती के बाद थाना कहती है कि यह कोयला उसके इलाके में नहीं है. कई बार ऐसा हो चुका कि कोयला जब्ती के बाद थानों के बीच सीमा क्षेत्र का विवाद शुरू हो जाता है
क्यों 50 टन कोयले को थाना अपना नहीं मान रहा
ऐसा ही एक मामला झरिया के लोदना में सामने आया है. गुरुवार को झरिया सीओ ने 50 टन से अधिक अवैध कोयला पकड़ा. कोयला जब्त करने के बाद जब उन्होंने संबंधित थानों को बुलाया तो कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि जब्त कोयला उनके इलाके में मिला है. धनुडीह और लोदना की पुलिस लगातार कहती रही कि यह मामला उनके सीमा क्षेत्र का नहीं है. बार-बार कहने के बाद भी पुलिस इसके लिए तैयार नहीं हुई कि वह इलाका उनका है. थक हार कर लोगों से पूछताछ करनी पड़ी कि आखिर यह इलाका किस थाना क्षेत्र का है. इस बाबत सीओ ने घनुडीह और लोदना के पुलिस अधिकारियों को भी खरी खोटी सुनाई. कोलियरी के अधिकारियों को भी फटकार लगाई.
क्या अधिकारियों, बीसीसीएल कर्मियों की मदद से चोरी हो रहा कोयला!
दरअसल सीओ ने गुरुवार को क्षेत्र के पांडे बेड़ा के समीप जोरिया के किनारे 50 टन से अधिक कोयला जब किया. जब्ती के बाद घनुडी ह ओपी प्रभारी को सूचना दी. ओपी प्रभारी पहुंचे और कहा कि जिस जगह पर कोयला जमा कर रखा गया है वह उनका सीमा क्षेत्र नहीं है, बल्कि लोदना ओपी का है. सीओ ने लोदना ओपी प्रभारी को सूचना दी तो लोदना से अधिकारी पहुंचे. उन्होंने इसे खुद के सीमा क्षेत्र का होने से इनकार किया. इतना ही नहीं सीओ के सामने थाना क्षेत्र को लेकर 2 थानों की पुलिस थोड़ी देर तक विवाद करती रही. स्थानीय लोगों ने सीओ को बताया कि यह इलाका घनुड़ीह ओपी क्षेत्र का है. हालांकि कुछ देर के बाद सीमा विवाद सुलझ गया. इस दौरान बीसीसीएल के अधिकारी को बुलाकर भी फटकार लगाई गई. मामला चाहे जो भी हो लेकिन इसे यह तो साबित होता ही है कि कोयला चोरी पुलिस अधिकारियों और कोलियरी के पदाधिकारियों की मिलीभगत से हो रही है. पुलिस न तो सूचना पर त्वरित कार्रवाई करती है और ना ही कोलियरी के अधिकारी. इसका मतलब साफ है की सारी निरोधात्मक एजेंसियों को कोयला चोरी की सूचना रहती है बावजूद कार्रवाई नहीं की जाती.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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