टीएनपी डेस्क(TNP DESK): रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को लेकर यूपी और बिहार की राजनीति में बवाल है. सपा और राजद की कोशिश दलित-पिछड़ों के जख्म पर मरहम लगा भाजपा के हिन्दुत्व कार्ड का तोड़ खोजने की थी. यही कारण है कि जब से मानस विवाद गहराया है, या यों इसे एक सोची-समझी रणनीति के तहत सामने लाया गया है, सपा प्रमुख हर मंच से एक ही सवाल पूछ रहें थें कि मैं सदन में योगी बाबा से पूछूंगा कि मैं शूद्र हूं की नहीं. लेकिन अखिलेश यादव को इस बात का तनीक भी एहसास नहीं था कि यह बयान उनके लिए भारी पड़ सकता है.
भगवान कृष्ण का वंशज बताने वाले अखिलेश अपने नये अवतार में अपने को शूद्र बताते फिर रहे हैं
यहां बता दें कि कभी अपने आप को भगवान कृष्ण का वंशज बताने वाले अखिलेश अपने नये अवतार में अपने को शूद्र बतला-बतला कर खूब वाहवाही भी लूट रहे थें. योजना साफ थी कि ज्योंही मानस की चौपाइयों को उद्धृत कर इसे पिछड़ों का अपमान बताया जायेगा, हिन्दुत्ववादी ताकतों के द्वारा इसे निशाना बनाया जायेगा, और भाजपा भी इसे हिन्दूओं का अपमान बतलाकर राजनीति की शुरुआत करेगी और हुआ भी वही, सब कुछ अखिलेश यादव और इस विवाद को सामने लाने वाली टीम की मर्जी से चलता रहा, भाजपा इसे हिन्दू धर्म का अपमान बताकर विवाद में फंसती नजर आने लगी, दलित-पिछड़ों में भाजपा के प्रति नाराजगी भी देखी जाने लगी. उसका जनाधार खिसकता नजर आने लगा. हालांकि बाद में भाजपा को भी इस बात को एहसास हो गया कि वह इस विवाद में मंडलवादी ताकतों के हाथों खेल चुकी है. उसका आधार वोट पिछड़ा और दलित इस विवाद के बाद उससे दूरी बना सकता है.
कृष्ण का वंशज बता फंस गये अखिलेश
लेकिन खुद अखिलेश यादव के सामने तब एक अप्रिय स्थिति पैदा हो गयी, दरअसल अखिलेश यादव एक वैवाहिक समारोह में शामिल होने के लिए मैनपुरी आए थें, वहां मीडिया की ओर से एक सवाल दाग दिया गया, उनसे पूछा गया कि आप तो अपने आप को कृष्ण का वंशज बताते फिरते थें. अपने आप को भाजपा से बड़ा हिन्दू बताते थें, फिर आप शूद्र कैसे हो गये?
अब अखिलेश ने बताया कि महाभारत में भी शूद्रों को मिला था अपमान
और यहीं अखिलेश यादव बुरी तरह फंसते नजर आयें. उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था. गोलमोल जवाब देने की कोशिश की जाने लगी. उन्होंने कहा कि भाजपा भगवान को मानती कहां है? ये लोग तो इनोवेटर्स हैं, रिलीजियस साइंटिस्ट हैं. कब क्या इनोवेशन कर दें, धर्म में कौन सी नई बात जोड़ दें. किसी को पत्ता नहीं. उसके बाद उनके द्वारा महाभारत का उदाहरण दिया जाने लगा, महाभारत पढ़ने की सलाह दी जाने लगी, कहा गया कि ध्यान से महाभारत को पढ़िये, शूद्र होने के कारण वहां भी कइयों को अपमान सहना पड़ा, लेकिन उनके पास इस बात को कोई जवाब नहीं था कि क्या भगवान शूद्र थें, और यदि वह शूद्र थें तो क्या कभी भगवान कृष्ण को शूद्र होने के कारण कभी अपमान भी सहना पड़ा. संभव है कि भाजपा अब महाभारत को लेकर अखिलेश के खिलाफ कोई नयी रणनीति के साथ सामने आये, लेकिन डर है कि यहां फिर से भाजपा अखिलेश के जाल में फंस सकती है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार