टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-खेल को खेल ही रहने दीजिए इसे सियासत में न घसीटिए, अक्सर ये नसीहते हमे सुनने को मिलती है. लेकिन, राजनीति ऐसी चिज है, जो बस मौके का इंतजार करती है, विरोधियों सबक सीखाने के लिए, बेशक उसका राजनीति से लेना देना हो या फिर नहीं . विश्व कप के फाइनल में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया से 6 विकेट से हार गई. इस करारी शिकस्त के बाद पूरे देश में क्रिकेट प्रेमियों में मायूसी छा गई थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी ग्राउंड में मैच देखने पहुंचे थे. भारतीय टीम तो ये हार सलाती रहेगी , जो वक्त के साथ ही इसका गम को कम करेगा. लेकिन, देश के प्रधानमंत्री का मैच देखने के लिए पहुंचना राजनीतिक पार्टियों का खटक रहा है
क्रिकेट के बहाने इशारों में प्रधानमंत्री पर वार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का अजीबो-गरीब तर्क है. उनका दावा है कि अगर क्रिकेट के इस महासंग्राम की जंग अहमदाबाद की बजाए कोलकाता या मुंबई में होती तो भारत की टीम जीत जाती. तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यक्रम में इशारों में ही बीजेपी और पीएम मोदी को इस पराजय के लिए जिम्मेवार ठहराया गया. दीदी का तर्क ये था कि भारत ने सभी मैच जीते, सिवाय फाइनल के जिसमे पापियों ने भाग लिया. यहां पापी शब्द का इस्तेमाल किसके लिए किया गया और किस मकसद से किया गया. लाजमी है कि आगामी लोकसभा चुनाव दहलीज पर है. यहां की सियासी पिच पर टक्कर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. ममता बनर्जी इंडिया की अहम साझीदार है. प्रधानमंत्री मोदी के फाइनल में पहुंचने के बाद तिलमिलाहट दीदी को लगी. अगर रोहित की टीम ट्रॉफी जीत जाती, तो शायद पापियों शब्द का इस्तेमाल नही होता.
टीम इंडिया की भगवा जर्सी पर भी दीदी को आपत्ति
भारतीय टीम नीली जर्सी पहनकर खेलती है. लेकिन, जब प्रैक्टिस करती है, तो भगवा पहनकर . ममता बनर्जी इसे लेकर भी पिछले दिनों भड़की हुई थी और सरकार पर क्रिकेट के भगवाकरन की भी तोहमत लगायी थी. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता का मानना था कि पूरे देश को भगवा रंग में रंगने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, उसने भारतीय क्रिकेट टीम पर गर्व जताया औऱ कहा कि बीजेपी के चलते भगवा रंग किया गया, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.
वर्ल्ड कप में हार पर कई नेता उठा चुके हैं सवाल
तृणमूल की चीफ ममता के अलावा शिवसेना से राज्य सभा सांसद संजय राउत ने भी तंज कसा था. उनका कहना था कि हम पिछले दस मैच जीते. लेकिन, नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में फाइनल हार गए. बसपा सांसद दानिश अली तो ये मानते है कि पीएम मोदी को अहमदाबाद स्टेडियम में नहीं जानी चाहिए. क्योंकि भारतीय जीत के करीब थी, लेकिन, मानसिक दबाव के चलते हार गयी.
जीत-हार तो हर खेल का पहलू है. दर्शकों की मौजूदगी एक अलग तरह का उत्साह पैदा करती है. खिलाड़ियों को अपने फैंस की मौजूदगी में अलग तरह का जोश-जुनून का अहसास होता है. अगर देश के वजीरे आजम किक्रेट के इस सबसे बड़े मुकाबले के लिए पहुंचते हैं. तो इसमे गलत ही किया, ये बेहद ही खुशी की बात. लेकिन, इसमे बेवजह सियासत करना और आरोप-प्रत्यारोप लगाना कहा का सयानापन है. भला हर चिज को राजनीति औऱ अपने नफे-नुकसान से तोलना कहा तक सही है. खेल में जो अच्छा खेलता है. वही जीतता है. सीधी सी बात है, जो हर खेल प्रेमी जानता औऱ समझता है कि फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने मेजबान भारत से अच्छा खेल दिखाया और जीत गई .