टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कर्नाटक में भाजपा के लिए सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा, कर्नाटक की नसों को समझने वाले येदियुरप्पा को किनारे कर जिस बासवराज बोम्मई को राज्य की बागडोर सौंपी गयी, अब वह भाजपा पर भार बनते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस सहित दूसरे विपक्षी दलों की बात छोड़ भी दें तो खुद भाजपा के अन्दर से ही बोम्मई के नेतृत्व पर उंगुलियां उठायी जा रही है. राज्य में भ्रष्ट्राचार की बातें भी आम है. लेकिन बावजूद इन तमाम आरोपों के भाजपा राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का संकेत देकर अपनी कमजोरियों को सामने लाना नहीं चाहती, शायद यही कारण है कि भाजपा के चाणक्य माने जाते रहे अमित शाह ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की किसी भी संभावना से इंकार किया है. अमित शाह के द्वारा हमेशा की तरह इस बार भी 224 सदस्यीय विधानसभा में 136 सीटें जितने का लक्ष्य कार्यकर्ताओं को दिया गया है.
मजबूत टक्कर देने की तैयारी में कांग्रेस
लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं है, पिछले चुनाव में भी भाजपा को यहां कांग्रेस के हाथों शिकस्त मिली थी. हालांकि बाद में जोड़-तोड़ की रणनीति बना कांग्रेसी सरकार को अपदस्थ कर भाजपा ने सत्ता में वापसी कर ली थी. माना जा रहा है कि इस बार कांग्रेस की टक्कर और भी मजबूत हो सकती है.
मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और प्रधानमंत्री मोदी के बीच लम्बी बैठक
लेकिन सोमवार को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस प्रकार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और प्रधानमंत्री मोदी के बीच लम्बी बैठक हुई. उसके पास इस मुलाकात के मायने निकाले जाने लगे. यहां बता दें कि राज्य में इसी वर्ष दूसरे नौ राज्यों के साथ चुनाव होने वाला है. इसी चुनाव के मद्देनजर रणनीतियां बनाने के लिए यह बैठक आयोजित की गयी थी.
भाजपा प्रमुख नलिन कुमार कटील की भी गतिविधियां तेज
यहां यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी से येदियुरप्पा की मुलाकात के बाद ही कर्नाटक भाजपा प्रमुख नलिन कुमार कटील की भी गतिविधियां तेज हो गयी है, उन्होंने अचानक से भाजपा महासचिव अरुण कुमार सिंह के साथ मुलाकात की है.
कर्नाटक में गुजरात मॉडल आजमाने की तैयारी
भाजपा के अन्दर चल रहे इन सारी राजनीतिक गतिविधियों को सामने रख राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बहुत सम्भव है कि भाजपा यहां गुजरात की तरह प्रयोग कर सकती है, बहुत संभव है कि सारे सारे मंत्रियों और विधायकों को बदल सरकार के उपर लग रहे दाग को धोया जा सकता है, और राज्य में कमल खिलाने की महत्ती जिम्मेवारी एक बार फिर से पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के कंधों पर डाली जा सकती है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार, रांची