टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पहली बार विपक्षी एकता के अगुआ बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़के से मुलाकात की. इस वक्त राहुल गांधी भी मौजूद थे. नीतीश कुमार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की है. मतलब नीतीश कुमार अपने मकसद की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहे है. इधर, भाजपा भी 2024 के लिए अपनी तैयारी तेज कर दी है. विपक्षी एकता के प्रयास पर भाजपा की ओर से लगातार तंज कसे जा रहे है. कर्नाटक की जीत ने कांग्रेस को संजीवनी जरूर दे दी है और कॉन्ग्रेस के विरोधी विपक्षी दल भी अब सीधे तौर पर कोई बयान देने से परहेज कर रहे है. अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी तो कांग्रेस का विरोधी हैं ही लेकिन नीतीश कुमार लगातार उन लोगों के संपर्क में हैं और कोई न कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे है. यह बात भी सच है कि कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा है और अब तक पूरी तरह से बैकफुट पर चल रही कांग्रेस को थोड़ी ताकत मिली है.
कर्नाटक ने कोंग्रेस को कर दिया है रिचार्ज
पूरे देश के कांग्रेसियों को कर्नाटक की जीत ने उत्साहित किया है. इधर, विपक्षी एकता को लेकर भाजपा लगातार नीतीश कुमार पर हमलावर है. कभी नीतीश कुमार के साथ बिहार के डिप्टी सीएम रहे सांसद सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है. कहा है कि नीतीश कुमार किस एकता मिशन की बात कर रहे है. ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया है. इसलिए तो भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अफसरों को परेशान करने वाले अरविंद केजरीवाल के समर्थन में दिल्ली पहुंच जा रहे है. सुशील मोदी ने कहा है कि केजरीवाल के दो मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद है. दिल्ली सरकार के आधे दर्जन से अधिक अधिकारियों ने लिखित शिकायत की है कि भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री ऋतुराज सिन्हा ने नीतीश सरकार पर सवाल उठाया है और कहा है कि विपक्षी एकता को एकजुट करने में सरकार इतनी व्यस्त है कि बिहार के जनता को भूल गई है.
चाचा और भतीजे की सरकार को राज्य की कोई चिंता नहीं
बिहार की 13 करोड़ जनता के पक्ष में कोई निर्णय नहीं हो रहा है. चाचा और भतीजे की सरकार भले ही प्रधानमंत्री बनने का सपना देख कर विपक्षी एकता को एकजुट करने में लगी हो, मगर उन्हें सफलता नहीं मिलेगी. इधर कर्नाटक में बीजेपी की हार को भी पार्टी नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है. बीजेपी को इतनी बड़ी हार की उम्मीद नहीं थी. 2000 के नोट बंद करने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कहा है कि 2000 का नोट खर्च करने के बाद भी कर्नाटक में भाजपा नहीं जीत पाई, इसलिए 2000 के नोट को बंद कर दिया है. बहरहाल जो भी हो ,2024 के चुनाव को लेकर भाजपा भी चुनावी स्ट्रेटजी पर मंथन कर रही होगी और इधर विपक्षी एकता की शुरुआत भी तेज हुई है. देखना है ऊंट किस करवट बैठता है. विपक्षी एकता पर नीतीश कुमार की मुहिम रंग लाएगी या अधर में लटक जाएगी, यह सवाल पूरे देश में गूंज रहा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो