टीएनपी डेस्क ( TNP DESK): 22 जुलाई को पहली सोमवारी, 29 जुलाई को दूसरी सोमवारी, 5 अगस्त को तीसरी सोमवारी, 12 अगस्त को चौथी सोमवारी और 19 अगस्त को पांचवा सोमवार होगा. आज 3 जुलाई है. 22 जुलाई से सावन की शुरुआत हो रही है. खास बात यह है कि इस बार सावन की शुरुआत भी सोमवार से हो रही है, तो समापन भी सोमवार को ही होगा. सावन महीने में इस साल पांच सोमवारी है.
सावन का समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को होगा
22 जुलाई दिन सोमवार से सावन की शुरुआत सुबह 5:37 से सर्व सिद्धि योग में हो रही है. इसका समापन 19 अगस्त दिन सोमवार को होगा. 18 को शुक्ल पक्ष चतुर्दशी की क्षय तिथि है. इसलिए 19 अगस्त को ही पूर्णिमा का भी प्रवेश हो रहा है, लेकिन जैसे ही पूर्णिमा का प्रवेश हो रहा है, वैसे ही भद्रा का प्रकोप लग रहा है. जो दिन के 1:32 तक रहेगा. यह अलग बात है कि सावन के शुरू होने में अभी 19 ,20 दिन का वक्त है, लेकिन तैयारी शुरू हो गई है.
सावन में दुल्हन की तरह सजता है बाबा नगरी
बिहार हो या झारखंड ,सावन की तैयारी पूरे जोर शोर से होने लगी है. सुल्तानगंज से देवघर तक कांवड़ यात्रा का बड़ा ही महत्व है. सुल्तानगंज बिहार में पड़ता है जबकि देवघर झारखंड में पड़ता है. पूरे सावन महीने में सुल्तानगंज और देवघर एक दूसरे से धागे की तरह जुड़ जाते है. भक्त पहले सुल्तानगंज जाते हैं, गंगा स्नान करते हैं फिर कांवर लेकर बाबा नगरी देवघर को पहुंचते हैं. सुल्तानगंज में बिहार सरकार की ओर से भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है तो देवघर में झारखंड सरकार की ओर से आयोजन किया जाता है. भर सावन देवघर शहर को दुल्हन की तरह सजाने की कोशिश की जाती है. प्रशासनिक व्यवस्था रहती है ,दूसरे जिले से पुलिस अधिकारी, डॉक्टरों की टीम की देवघर में प्रतिनियुक्ति की जाती है. रेलवे की ओर से भी भरपूर तैयारी की जाती है.
देश नहीं, विदेश से भी शिव भक्त सुल्तानगंज से कावर लेकर बाबा धाम पहुंचते हैं
एक महीने तक देवघर शहर का नजारा बदला बदला सा रहता है . देश नहीं, विदेश से भी शिव भक्त सुल्तानगंज से कावर लेकर बाबा धाम पहुंचते हैं. वैसे छोटे-छोटे मंदिरों में भी तैयारी शुरू होने लगी है. रेलवे ने भी तैयारी करनी शुरू कर दी है. तो बस संचालक भी सक्रिय हो गए हैं. अतिरिक्त बसों की व्यवस्था रहती है. झारखंड, बिहार के सभी जिलों से अतिरिक्त बसें सुल्तानगंज के लिए खुलती है, नेपाल से काफी संख्या में शिव भक्त बाबा धाम पहुंचते हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो