टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) के झारखंड दौरे में अंतिम समय में बदलाव किया गया. दरअसल, राष्ट्रपति पहले दो दिवसीय दौरे पर झारखंड आने वाली थी. लेकिन बीते कल यानी रविवार की शाम उनके कार्यक्रम में बदलाव कर दिया गया. अब वह 14 की जगह 15 नवंबर को ही झारखंड आयेंगी और उसी दिन वापस चली जायेंगी. राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू का यह पहला झारखंड दौरा है.
पहले ऐसा होना था झारखंड दौरा
बता दें कि पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का झारखंड दौरा दो दिवसीय था. वो 14 नवंबर को झारखंड आने वाली थी और 15 नवंबर को उनका दौरा खत्म होने वाला था. इस दौरान 14 नवंबर को वो सबसे पहले देवघर के बाबा मंदिर में पूजा-अर्चना और दर्शन करती. जिसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू दोपहर तीन बजे रांची पहुंचती और रात्रि विराम रांची स्थित राजभवन में होना था. वहीं, मिली जानकारी के अनुसार राजभवन में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होता. अगले दिन यानी 15 नवंबर को राष्ट्रपति रांची एयरपोर्ट से खूंटी के उलिहातू जायेंगी. वहां वह बिरसा मुंडा के भगवान बिरसा मुंडा के घर पहुंच कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी और उनके वंशजों से मिलेंगी. उसके बाद वो खूंटी स्थित बिरसा मैदान के एक कार्यक्रम में शामिल होती. उसके बाद वो रांची आती और मोरहाबादी मैदान के कार्यक्रम में शामिल होती. जिसके बाद शाम तक वापस जाती.
अब ऐसा होगा महामहिम का दौरा
राष्ट्रपति अब 14 की जगह 15 नवंबर को झारखंड आयेंगी और उसी दिन वापस लौट जायेंगी. राष्ट्रपति अब ना देवघर जायेंगी और ना ही किसी कार्यक्रम में शामिल होंगी. राष्ट्रपति अब मंगलवार सुबह 8:20 बजे राष्ट्रपति वायुसेना के विशेष विमान से रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डा पर पहुंचेंगी. 8:30 बजे यहां से वह सेना के हेलिकॉप्टर से सीधे खूंटी के उलिहातू जायेंगी. वह उलिहातू स्थित भगवान बिरसा मुंडा के घर पहुंच कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी और उनके वंशजों से मिलेंगी. राष्ट्रपति 9:35 बजे उलिहातू से हेलिकॉप्टर से बिरसा मुंडा एयरपोर्ट लौटेंगी और यहां से दिन के 11:30 बजे जबलपुर के लिए रवाना हो जायेंगी.
सरकारी कार्यक्रम से क्यों बनाई दूरी !
अंतिम समय में सरकारी कार्यक्रम से दूरी बनाने की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है, लेकिन लास्ट मोमेंट में राष्ट्रपति का सरकारी कार्यक्रम से दूरी बनना कई सवाल खड़े कर रहा है. दरअसल, वर्तमान झारखंड सरकार पर कई आरोप लगे हुए हैं. सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने अपने कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया है. ऐसे में शायद राष्ट्रपति विवादों में नहीं जाना चाहती हैं. इसलिए वो सरकारी कार्यक्रम से दूरी बना रही हैं.
अर्जुन मुंडा के कार्यक्रम से भी दूरी
दरअसल, राष्ट्रपति ने झारखंड के दोनों सरकारी कार्यक्रम से किनारा कर लिया है. राष्ट्रपति ना तो हेमंत सोरेन द्वारा आयोजित मोरहाबादी मैदान के कार्यक्रम में शिरकत करेंगी और ही अर्जुन मुंडा द्वारा खूंटी के बिरसा मैदान में आयोजित “आदिवासी गौरव दिवस” में शामिल होंगी. दरअसल, अर्जुन मुंडा केंद्र में मंत्री हैं. ऐसे में उन्होंने पक्ष और विपक्ष दोनों के कार्यक्रम से दूरी बनाई. ताकि संवैधानिक पद की मर्यादा बरकरार रहे.
झारखंड की राजनीति से अवगत हैं महामहिम
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. वो प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनी थी और लगभग छह साल तक झारखंड की राज्यपाल रही थी. ऐसे में उन्होंने झारखंड की राजनीति को बड़े करीब से देखा है. शायद यही वजह है कि उन्होंने अंतिम समय में सरकारी कार्यक्रम से दूरी बना ली है. ताकि संवैधानिक पद की मर्यादा बरकरार रहे.
केवल झारखंड के सरकारी कार्यक्रम से दूरी
दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केवल झारखंड के ही सरकारी कार्यक्रम से दूरी बनाई है. वो झारखंड दौरे से सीधे मध्य प्रदेश के जबलपुर जायेंगी, जहां वो शहडोल जिले में आयोजित होने वाले ‘जनजातीय गौरव दिवस’ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी. बता दें कि सरकार ने पिछले साल आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती और आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ घोषित किया था और इस साल पूरे देश में गौरव दिवस मनाया जा रहा है.
दो बार भाजपा से विधायक, नवीन पटनायक सरकार में रहीं मंत्री
बता दें कि द्रौपदी मुर्मू ओडिशा प्रदेश से आती हैं, उनका जन्म 20 जून 1958 में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू और पति का नाम श्याम चरम मुर्मू है. द्रौपदी मुर्मू संथाल परिवार से आती हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1997 से की थी. बता दें कि वो ओडिशा में भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक चुनी गईं. वहीं, बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं. द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा विधानसभा ने सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया है.