रांची(RANCHI)-टाइगर जगरनाथ हमारे बीच नहीं रहें, चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में उन्होंने आज अपनी अंतिम सांस ली. इस प्रकार झारखंड के आदिवासी- मूलवासियों का एक सच्चा हितैषी खो गया, यह टाइगर जगरनाथ महतो ही थें, जिसमें हर झारखंडी अपना चेहरा देखता था. उसे लगता था कि और कोई हो नहीं हो टाइगर तो हमारी बात सुनेंगे ही. जगरनाथ महतो का होना ही एक आम झारखंडी के लिए उसके सपनों को जिंदा रहना था, लेकिन आज वह भरोसा भी टूट गया.
कौन लेगा उनका स्थान
लेकिन इसके साथ ही आज एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि अब उनकी खाली जगह को कौन भरेगा, यहां हम उनकी राजनीतिक विरासत की बात नहीं कर रहे हैं, उसके लिए अभी हमें कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ेगा, जब डुमरी विधान सभा के लिए उपचुनाव की घोषणा होगी, तब ही देखा जायेगा कि झामुमो किसे अपना प्रत्याशी बनाती है, हालांकि परिवार में उनका एक भाई है, साथ ही एक बेटा भी. यह निर्णय तो पार्टी का होगा.
शिक्षा और उत्पाद विभाग की जिम्मेवारी का सवाल
लेकिन यहां सवाल शिक्षा और उत्पाद विभाग की जिम्मेवारी का है. सवाल यह है कि अब इस विभाग को कौन संभालेगा, कौन होगा वह चेहरा जिस पर सीएम हेमंत सोरेन भरोसा करेंगे.
झामुमो के अन्दर चेहरे की कोई कमी नहीं
हालांकि झामुमो के अन्दर चेहरे की कोई कमी नहीं है, लेकिन टाइगर जैसी एकनिष्ठा और समर्पण की कमी तो जरुर है. बावजूद इसके पार्टी को किसी ना किसी को तो यह जिम्मेवारी तो देनी ही होगी. याद रहे कि शिक्षा मंत्री के रुप में जगरनाथ महतो ने एक लम्बी लकीर खिंची थी. उनकी कोशिश राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचुक बदलाव लाने की थी. परीक्षाओं का समय पर संचालन और परिणाम जारी करने की थी. उनके स्थान पर शिक्षा मंत्री बनाये जाने वाले के सामने जगरनाथ महतो के सपनों को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी.
किन-किन नामों पर हो सकती है चर्चा
निश्चित रुप से झामुमो के अन्दर इसकी चर्चा होगी, देर सवेर इस विभाग को किसी ना किसी को सौंपा ही जायेगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सीएम हेमंत के पास विकल्प कितने हैं. जानकारों का मानना है कि इसमें सबसे बड़ा नाम गिरिडीह से विधायक सुदिव्य कुमार सोनू का है. हालिया दिनों में वह सीएम हेमंत के सबसे विश्वनीय सहयोगी के रुप में उभरे हैं, जिस प्रकार से सुदिव्य कुमार सोनू ने कई मुद्दे पर विधान सभा के अन्दर सीएम हेमंत का बचाव किया है, झामुमो की ओर से अपना पक्ष रखा है, उससे उनकी दावेदारी मजबूत होती है.
वैद्यनाथ राम की भी चर्चा
हालांकि कुछ लोग लातेहार विधायक वैद्यनाथ राम की भी चर्चा करने लगे हैं. बैद्यनाथ राम की शिक्षा दीक्षा भी काफी अच्छी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल उनकी प्रतिबद्धता का है. राजनीतिक शास्त्र में स्नातक की डिग्री रखने वाले वैद्यनाथ राम ने सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में शिक्षण का कार्य किया है, उन्होंने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, खेल मंत्री बनाये गयें, लेकिन इन्होंने पाला बदला और भाजपा में चले गयें, और अब ये झामुमों में है. यही राजनीतिक प्रतिबद्धता की कमी इनकी सबसे बड़ी बाधा होने वाली है.
विधायक मथुरा प्रसाद महतो
इसके साथ एक और नाम की भी चर्चा जोरों पर है, वह है टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो का. महतो समुदाय से आने वाले मथुरा प्रसाद महतो 2024 के चुनाव में हेमंत सोरेन के लिए काफी मददगार हो सकते हैं. खासकर तब रामगढ़ उपचुनाव में यूपीए को एक बड़ा झटका लग चुका है. आजसू की राजनीतिक धार को कमजोर करने में मथुरा प्रसाद की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता.
मथुरा महतो के पास विनोद बिहारी महतो की राजनीतिक दृष्टि
जहां तक शिक्षा दीक्षा की बात है इनके पास कोई बड़ी डिग्री तो नहीं है, लेकिन मथुरा महतो के पास विनोद बिहारी महतो की राजनीतिक दृष्टि है, विनोद बिहारी महतो का संदेश पढ़ो और लड़ो को मथुरा महतो ने अपने जीवन का ध्येय बना लिया है, यही कारण है कि आज कोयलाचंल के सुदूर ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की ज्योति जल रही है. पांच-पांच डिग्री कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि यह पांचों डिग्री कॉलेज विनोद बिहारी महतो, ए के राय व शिबू सोरेन के नाम पर खोले गये हैं. साफ है कि शिक्षा के क्षेत्र में मथुरा प्रसाद के काम काज से इंकार नहीं किया जा सकता. अब देखना होगा कि सीएम हेमंत की पसंद कौन बनता है.