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कौन हैं सरयू राय? जिन्हें कुमार विश्वास ने कहा झारखंड के राजनीति का सबसे बड़ा फिल्टर   

कौन हैं सरयू राय? जिन्हें कुमार विश्वास ने कहा झारखंड के राजनीति का सबसे बड़ा फिल्टर   

रांची(RANCHI): साल 2000 में अलग हुए झारखंड ने कुछ दिनों पहले ही अपने 22 साल पूरे किए हैं. इस 22 साल के दौरान झारखंड ने कई उतार-चढ़ाव देखें. झारखंड यानी “जंगलों का प्रदेश” जहां की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है. वहीं, यहां बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग भी रहते हैं. लेकिन 22 साल के दौरान इस राज्य का जिनता विकास होना चाहिए था उतना हो नहीं सका. इसका सबसे बड़ा कारण रहा राज्य की राजनीतिक अस्थिरता.

आपको जानकर हैरानी होगी कि झारखंड निर्माण के बाद रघुवर दास पहले ऐसे मुख्यमंत्री बने थे, जिन्होंने पूरे पांच साल(2014-2019) का कार्यकाल बतौर मुख्यमंत्री पूरा किया था. हालांकि, रघुवर दास जो कि राज्य के सीटिंग मुख्यमंत्री थे उन्हें उनके ही पार्टी के और उनके ही कार्यकाल के दौरान मंत्री रहे एक नेता ने चुनाव हराया था. उस नेता का नाम है सरयू राय. आज हम इस स्टोरी में आपको सरयू राय के बारे में बतायेंगे.

झारखंड को अपनी राजनीतिक कर्मभूमि के रूप में चुना

सरयू राय शुरुआत से ही आरएसएस, जन संघ और बाद में भाजपा में शामिल हो गए. हालांकि, उन्होंने अपना पहला चुनाव झारखंड राज्य अलग होने के बाद लड़ा. साल 2005 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. हालांकि, साल 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन साल 2014 में उन्होंने फिर चुनाव जीता और रघुवर दास की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. इसके बाद साल 2019 में उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम की जगह जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय चुनाव लड़ा और सीटिंग मुख्यमंत्री को वहां से चुनाव हरा दिया.

अपने ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ा था चुनाव

सरयू राय ने अपने ही पार्टी और राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. जिसके बाद सरयू राय पहली बार जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़े और रघुवर दास को करीब 10 हजार से ज्यादा वोट से हराया. आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि रघुवर दास वहां से लगातार पांच से विधायक चुने गए थे और सरयू राय उस सीट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे थें.

क्यों गए पार्टी के खिलाफ?

दरअसल, सरयू राय अपने शुरुआती राजनीतिक जीवन से ही मुखर वक्ता रहे हैं. ऐसे में जब उन्हें रघुवर सरकार में मंत्री बनाया गया तो उनके और सीएम के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था. ऐसे में सरयू राय सरकार की कई नीतियों के खिलाफ बोलते थे. इसी दौरान दोनों में थोड़ी कम बनने लगी और साल 2019 के चुनाव में ऐसा लगने लगा कि पार्टी सरयू राय को टिकट नहीं देगी. ऐसे में सरयू राय ने निर्दलीय सरयू राय के खिलाफ चुनाव लड़ा और रघुवर दास को हराया.

भ्रष्टाचार मामले पर दिलाई कई नेताओं को सजा

सरयू राय विधायक जब नहीं थे, तब भी वो भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करते रहते थे. सरयू राय ने सबसे पहले 1994 में पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था. जिसके बाद मामले की सीबीआई जांच हुई. इस दौरान सरयू राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया. जिसके बाद इस मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा था. वहीं, 1980 में किसानों को आपूर्ति होने वाले घटिया खाद, बीज और नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली शीर्ष सहकारिता संस्थाओं के विरूद्ध भी आवाज उठायी थी. तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया. इसके अलावा सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था. इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में सरयू राय की अहम भूमिका रही थी.

कुमार विश्वास ने कहा था फिल्टर

दरअसल, झारखंड विधानसभा स्थापना दिवस के 22वें वर्ष गांठ के संस्कृतिक कार्यक्रम की संध्या में शिरकत करने डॉ कुमार विश्वास पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने अपनी तंज कसने वाले अंदाज में सभी पार्टियों को घेरा. लेकिन इस दौरान एक लम्हा ऐसा रहा जब सभी ने तालियों के साथ इसका स्वागत किया. कार्यक्रम में निर्दलीय विधायक सरयू राय भी पहुंचे हुए थे. इस दौरान कुमार विश्वास ने सरयू राय को झारखंड की राजनीति का सबसे बड़ा फिलटर बताया. उन्होंने कहा सरयू राय ऐसे फिलटर हैं जो अपने घर(पार्टी) तक में सफाई कर देते हैं. उनके इस बात से पूरा कार्यक्रम स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

   

Published at:24 Nov 2022 06:24 PM (IST)
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