टीएनपी डेस्क(TNP DESK): विनेश फोगट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे भारत के कुछ सबसे प्रमुख पहलवान नई दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के शोषण का आरोप लगाया है. उनका आरोप है कि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह कई वर्षों से महिला पहलवानों को कथित रूप से परेशान कर रहे हैं.
बता दें कि बृजभूषण शरण सिंह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा सांसद हैं. अपनी ओर से उन्होंने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि अगर ये आरोप सही पाए जाते हैं तो वह फांसी पर चढ़ने को तैयार हैं.
हम इस आर्टिकल में आज ये जानेंगे कि बृजभूषण शरण सिंह कौन हैं और वो कैसे इस पद तक पहुंचे.
छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रहनेवाले 65 वर्षीय बृजभूषण शरण सिंह छह बार के सांसद हैं और उन्होंने गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने इनमें से पांच बार भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की. इसमें से एकमात्र अपवाद 2009 का चुनाव था, जब उनका समाजवादी पार्टी के साथ एक छोटा कार्यकाल था. उनकी पत्नी केतकी देवी सिंह गोंडा जिला पंचायत की अध्यक्ष रह चुकी हैं और पुत्र प्रतीक भूषण सिंह वर्तमान में गोंडा सदर सीट से विधायक हैं.
बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ टाडा के तहत भी दर्ज हो चुका है मामला
इसके अलावा बृजभूषण शरण सिंह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के आरोपियों में से एक हैं. अपनी युवावस्था के दौरान एक पहलवान रहे बृजभूषण शरण सिंह की 90 के दशक में बाहुबली की छवि थी. उनके खिलाफ 90 के दशक के मध्य में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों सुभाष सिंह ठाकुर, जयेंद्र ठाकुर उर्फ भाई ठाकुर, परेश देसाई और श्याम किशोर गरिकापट्टी को कथित रूप से शरण देने के लिए आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों (टाडा) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था. उन पर दाऊद से बात करने के लिए उन्हें अपना फोन मुहैया कराने का भी आरोप था. बाद में उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया गया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अयोध्या और गोंडा में चार मामले लंबित हैं. उन पर डकैती, हत्या के प्रयास और दंगा सहित अन्य आरोप भी हैं.
अपनी ही सरकार पर उठा चुके हैं उंगली
बृजभूषण शरण सिंह करीब एक दशक से डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष हैं. उनकी कार्यशैली की आलोचना के बावजूद उन्होंने महासंघ पर अपनी पकड़ बनाए रखी है. यहां तक कि उन्होंने एक समारोह के दौरान मंच पर एक पहलवान को कथित तौर पर थप्पड़ भी मारा था. महासंघ पर उनके दबदबे की एक बड़ी वजह उनके राजनीतिक रसूख को बताया जा रहा है. हालांकि, बीजेपी के भीतर उनके लिए पिछले कुछ समय से तनाव चल रहा है. 2022 में उन्होंने विशेष रूप से गोंडा जिले में बाढ़ के दौरान घटिया व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि मैंने अपने जीवन में कभी भी इस तरह की खराब व्यवस्था नहीं देखी. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि उन्हें सच बोलने के लिए विद्रोही करार दिया जा सकता है. जब राज ठाकरे की मनसे भाजपा के करीब बढ़ रही थी. उस समय उन्होंने अयोध्या में प्रवेश करने पर राज ठाकरे को सबक सिखाने की धमकी भी दी थी.
भाजपा नेताओं के समर्थन से हो रहा आन्दोलन?
भाजपा के केंद्रीय और उत्तर प्रदेश नेतृत्व में उनके कई आलोचक हैं और भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा के भीतर शक्तिशाली तत्वों के मौन समर्थन के बिना यौन दुराचार के आरोप इस तरह से सार्वजनिक नहीं होते. भाजपा के एक सूत्र ने खुलासा किया कि जिस तरह से यह हो रहा है, उसे देखें. प्रमुख एथलीट बाहर आ रहे हैं. वे जंतर-मंतर पर हैं. उनमें से कुछ के पास खोने के लिए बहुत कुछ है. यह शक्तिशाली लोगों के समर्थन के बिना नहीं होता.
भाजपा के लिए बहुत ही पेचींदा मामला
फिर भी यह भाजपा के लिए एक पेचींदा मामला है. हाल ही में हरियाणा में इसके मंत्री संदीप सिंह ने एक कोच द्वारा यौन दुराचार का आरोप लगाए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया. हालांकि, बृजभूषण शरण सिंह के पास कोई मंत्री पद नहीं है और इसलिए उन्हें बर्खास्त करना सरकार पर निर्भर नहीं है. सवाल यह है कि सरकार इस मामले को कानूनी रूप से कैसे आगे बढ़ाएगी. विपक्षी दलों के बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोरस में शामिल होने के साथ यह समय की बात हो सकती है.