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कोलकाता में 150 साल पुरानी कौन सी सेवा अब बनने जा रही इतिहास,पढ़िए इस रिपोर्ट में

कोलकाता में 150 साल पुरानी कौन सी सेवा अब बनने जा रही इतिहास,पढ़िए इस रिपोर्ट में

TNP DESK: कोलकाता में 150 साल पुरानी ट्राम सेवा अब इतिहास बन जाएगी. ब्रिटिश काल से शुरू इस हेरिटेज को बंद करने के निर्णय का विरोध भी शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने ट्राम सेवा को जल्द ही बंद करने का फैसला किया है. यह अलग बात है की धरोहर के लिए एक रूट पर यह सेवा फिलहाल जारी रहेगी.  सरकार के निर्णय के अनुसार मैदान से एस्प्लेनेड तक यह सेवा धरोहर के रूप में जारी रखी जाएगी. कोलकाता देश का एकमात्र शहर है, जहां ट्राम सेवा चल रही है. हालांकि ट्राम सेवा के पक्षधर सरकार के इस फैसला का विरोध किया है .शहर के कई मार्गों पर ट्राम सेवाएं पहले से ही बंद कर दी गई है.

ट्राम सेवा बंद करने का विरोध तेज

परिवहन मंत्री के अनुसार  कोलकाता के कुल क्षेत्रफल में सड़के मात्र 6 प्रतिशत हैं. भीड़भाड़ बढ़ने की वजह से, वाहनों की संख्या अधिक होने के कारण ट्राम एक ही समय में, एक ही मार्ग पर अन्य वाहनों के साथ अब नहीं चल सकती. यह अलग बात है कि ट्राम सेवा बंद करने का विरोध भी तेज हो गया है. विरोध करने वालों का कहना है कि सरकार को दूसरे किसी उपायों पर विचार करना चाहिए.

 ट्राम सेवा के क्या हैं फायदे

जानकारी के अनुसार 1873 में ट्राम सेवा शुरू हुई थी. 1969 में 71 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर ट्राम सेवा चलती थी. 1970 में महानगर के 50 रूट पर चलने लगी थी. फिलहाल केवल तीन रूट पर ही ट्राम सेवा चल रही है. लोगों का कहना है कि महानगर की घुमावदार सड़कों पर चलती ट्राम का किराया सड़क की दुकानों पर मिलने वाली चाय से भी कम है. वाहनों के बीच अपना रास्ता बनाती हुई ट्राम जब अपने सफ़र पर निकलती है, तो हजारों लोग इसका इंतजार करते हैं. ट्राम यातायात में फंसती नहीं है और अधिकतम 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है. इससे न धुआं निकलता है और नहीं कोई शोर होता है. कम किराए के साथ ट्राम  बस की तुलना में 5 गुना अधिक यात्रियों को आने-जाने की सुविधा प्रदान करती है.

ट्राम कोलकाता की विरासत का हिस्सा 

सरकारी तर्क है कि  धीमी गति से चलने वाली ट्राम के कारण व्यस्त समय में सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा होती है. इसके अलावा मौजूदा समय में भी इन्हें नहीं चलाया जा सकता, क्योंकि यात्रियों को परिवहन के लिए तेज साधनों की जरूरत है. 'ट्राम निस्संदेह कोलकाता की विरासत का हिस्सा है. 1873 में घोड़ागाड़ी के रूप में इसकी शुरुआत हुई थी और पिछली सदी में परिवहन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. लेकिन, कोलकाता के कुल क्षेत्रफल में सड़कें केवल 6 प्रतिशत हैं और वाहनों की आवाजाही में वृद्धि के कारण  ट्राम एक ही समय में एक ही मार्ग पर अन्य वाहनों के साथ सड़कों पर नहीं चल सकती. इससे भीड़ जैसी स्थिति पैदा हो रही है.'

रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो

Published at:25 Sep 2024 10:11 AM (IST)
Tags:Kolkata Kolkata news West Bengal government decided to stop tram service Tram service in kolkataTram service stop in kolkata West Bengal Government
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