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बिहार में एनडीए की जीत की तपिश पहुंची झारखंड तो कैसे मच गई सनसनी, एक ट्वीट से क्यों मचा तहलका

बिहार में एनडीए की जीत की तपिश पहुंची झारखंड तो कैसे मच गई सनसनी, एक ट्वीट से क्यों मचा तहलका

TNP DESK- बिहार में एनडीए की अप्रत्याशित जीत की तपिश  झारखंड पहुंच गई है.  बिहार में अभी सरकार का गठन हुआ नहीं है, लेकिन उसकी तेज तपिश  झारखंड में महसूस की जा सकती है.  "अब नया बम झारखंड में- हेमंत अब जीवंत होंगे" वर्सेस "हेमंत जीवंत है- भाजपा का अंत निश्चित है" की लड़ाई झारखंड में शुरू हो गई है.  भाजपा के प्रवक्ता डॉक्टर अजय आलोक ने सोशल मीडिया एक्स पर  पोस्ट किया कि अब "नया बम झारखंड में- हेमंत अब जीवंत होंगे" यह  पोस्ट आते ही एक तरह से सनसनी फैल गई.  लोगों के मन में कई तरह की चर्चा और शंकाएं पैदा हो गई.  इसके माने - मतलब निकाले  जाने लगे.  फिर झामुमो के प्रवक्ता का बयान आया कि "हेमंत जीवंत  थे- भाजपा का अंत निश्चित है".  मतलब साफ है कि डॉक्टर अजय आलोक ने झारखंड की राजनीति पर करारा तंज  कसा है. लेकिन झामुमो भी कड़ा प्रतिवाद किया है.  

बिहार चुनाव में झामुमो  को सीट नहीं मिलने के बाद हो रही चर्चाये 

दरअसल, बिहार चुनाव में झामुमो  को सीट नहीं मिलने के बाद कुछ इस तरह की बातें चल पड़ी है, जिससे थोड़ी भी आहट से सनसनी फैल जाती है.  दरअसल, टिकट नहीं मिलने के बाद झामुमो  के मंत्री ने कहा था कि -हम बिहार में सीट नहीं मिलने के मामले की समीक्षा करेंगे.  इसका मतलब यह निकाला  गया कि- हो सकता है कि कांग्रेस और राजद  कोट के मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाए.  हालांकि अभी झारखंड में झामुमो  ,राजद  और कांग्रेस गठबंधन की सरकार चल रही है.  कांग्रेस कोटे  के चार मंत्री हैं, जबकि राजद  से एक मंत्री है.  यह  अलग बात है कि बिहार में कांग्रेस की "दुर्गति" हुई है.  कांग्रेस केवल 6 सीट जितने में कामयाब रही है.  अब तो बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर भी सवाल किये  जा रहे है.  उनके खिलाफ भी नाराज  की फौज खड़ी हो गई है. 

बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ भी चल रही गोलबंदी 
 
नाराज कांग्रेस के लोग  अब दिल्ली जाने की तैयारी में है.  दिल्ली में आलाकमान से बताएंगे कि क्यों बिहार में राजेश राम को अध्यक्ष रखना पार्टी के लिए ठीक नहीं है? यह अलग बात है कि क्षेत्रीय दल भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में है.  लेकिन जिस  अनुपात में कांग्रेस सीट  हार  रही है, उससे  निश्चित रूप से क्षेत्रीय दलों का मोह भंग हो सकता है.  यह भी बात सच है कि बिहार चुनाव में कांग्रेस तेजस्वी यादव की शर्तों पर ही चुनाव लड़ा.  माले  भी बिहार में फिसड्डी साबित हुई.  स्वाभाविक है कि भाजपा का उत्साह चरम पर है.  बीजेपी बिहार में अब तक की सर्वाधिक सीट  लेकर आई है.  ऐसे में डॉक्टर अजय अलोक  के पोस्ट को हल्के में लेना ठीक नहीं है.  हो सकता है कि बिहार की राजनीति का असर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से झारखंड में भी दिखे. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:18 Nov 2025 06:41 AM (IST)
Tags:DhanbadJharkhandBiharTapisPolitics
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