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यो-यो और डेक्सा टेस्ट क्या होता है? BCCI ने टीम चयन में इसे क्यों किया अनिवार्य

यो-यो और डेक्सा टेस्ट क्या होता है? BCCI ने टीम चयन में इसे क्यों किया अनिवार्य

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): बीसीसीआई ने बीते कल यानी 1 जनवरी को एक अहम बैठक की. जिसमें बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी, सचिव जय शाह, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा, भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़, एनसीए में क्रिकेट के प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण और वरिष्ठ पुरुष चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा ने भाग लिया. बैठक के दौरान आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 के रोडमैप के साथ-साथ खिलाड़ियों की उपलब्धता, कार्यभार प्रबंधन और फिटनेस मापदंडों पर भी चर्चा की गई. विश्व कप को ध्यान में रखते हुए 20 खिलाड़ियों को चुना गया है. बैठक में कई अहम सुझाव दिए गए. उनमें से एक यह था कि उभरते खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में चयन के योग्य होने के लिए पर्याप्त घरेलू सत्र खेलना होगा. यो-यो टेस्ट और डेक्सा अब चयन मानदंड का हिस्सा होंगे और खिलाड़ियों के केंद्रीय पूल के अनुकूलित रोडमैप में लागू होंगे. चलिए हम आपको बताते हैं कि यो-यो टेस्ट क्या होता है और डेक्सा क्या है.

यो-यो टेस्ट

यो-यो टेस्ट पूरी तरह से टेक्नोलॉजी की मदद से लिया जाता है. इस टेस्ट में कुल 23 लेवल होते हैं. पूरी टेस्ट एक सॉफ्टवेयर की मदद से ली जाती है और सारे नतीजे को रिकॉर्ड किया जाता है. यो-यो टेस्ट में कई कोन बनाई जाती है और 20 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियां बनाई जाती है, वहीं, टेस्ट दे रहे खिलाड़ियों को एक कोन से दूसरे कोन तक भागना होता है. खिलाड़ियों को एक कोन से दूसरे और उसी तरह जितने कोन बने होते है सभी में उन्हें दौड़ना होता है. इस पूरी प्रक्रिया को शटल कहते है, इसके पूरा करने के लिए खिलाड़ियों को एक तय समय दिया जाता है. इस टेस्ट के लिए तीन कोन बनाए जाते हैं. जहां कोन B से कोन C की दूरी 20 मीटर होती है. जैसे ही सॉफ्टवेयर से बीप की आवाज सुनाई देती है टेस्ट दे रहे खिलाड़ी को कोन C को टच करके वापस आना पड़ता है, वहीं, तीसरा बीप बजने से पहले खिलाड़ी को कोन B को पार करना पड़ता है. वहीं, कोन B से कोन A की दूरी मात्र पांच मीटर होती है, ये दूरी रिकवरी के लिए होती है. इसका मतलब ये होता है कि खिलाड़ी तय समय में अगर अपने मार्क को टच नहीं कर पाता है, तो उसे 10 मिनट का ग्रेस दिया जाता है. ये सारी प्रक्रिया लेवल वन की थी. इसके बाद शुरू होता है लेवल दो टेस्ट शुरू होता है. इसमें स्पीड बढ़ा दी जाती है, इसमें अगर खिलाड़ी कोन B को पार करने से पहले बीप की आवाज सुन लेता है, तो इसका मतलब ये है कि उसकी स्पीड कम है और तीसरी बीप की आवाज से पहले खिलाड़ी कोन B पर नहीं आता तो उसे दूसरी वॉर्निंग मिल जाती है. ऐसे में दो वॉर्निंग के बाद खिलाड़ी टेस्ट में फेल हो जाता है.

डेक्सा टेस्ट क्या होता है ?

भारतीय खिलाड़ियों को टीम में सेलेक्शन के लिए यो-यो टेस्ट के अलावा डेक्सा टेस्ट भी पास करना होगा. डेक्सा एक प्रकार की बोन डेंसिटी टेस्ट (bone density test) है. इस पूरे प्रोसेस में एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. डेक्सा एक सेफ, दर्द रहित और जल्दी से होने वाला टेस्ट है, इसके माध्यम से खिलाड़ियों के हड्डियों की मजबूती को मापा जाता है. बता दें कि इस टेस्ट में दो प्रकार की बीम बनती है जिसमें एक बीम की ऊर्जा काफी उच्च होती है, वहीं दूसरी बीम की ऊर्जा लो होती है. यह पूरा स्कैन हड्डी में किसी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाओं को भी बता देता है. इतना ही नहीं इस टेस्ट के जरिए बॉडी का फैट प्रतिशत, वजन और टिशू के बारे में भी जानकारी मिल जाती है. शइ टेस्ट को पूरा करने में लगभग 10 मिनट का समय लगता है.  

Published at:02 Jan 2023 01:26 PM (IST)
Tags:YO YO TEST DEXA TEST BCCI bcci review meeting iccbcci meetingjay shah बीसीसीआईयो-यो टेस्ट डेक्साडेक्सा टेस्ट क्रिकेट न्यूज
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