टीएनपी डेस्क(TNP DESK):-भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गिरिडीह में आना कई सवाल पैदा कर रहा है . पहला सवाल तो यही है कि गिरिडीह सीट तो आजसू के खाते में है, जो गठबंधन का हिस्सा है. कही बीजेपी गिरिडीह से आजसू के चन्द्रप्रकाश चौधरी को दरनिकार कर खुद तो नहीं लड़ने जा रही है. इसके पीछे तर्क और हकीकत को समझे तो गिरिडीह सीट पर भाजपा की अच्छी पकड़ रही है . 1996 से 2014 तक भाजपा का ही कब्जा रहा है , सिर्फ 2004 में उसे हार मिली थी. पूर्व सांसद रविन्द्र पांडेय की यहां रिकार्ड जीत रही है. लेकिन, 2019 में गिरिडीह सीट गठबंधन के तहत आजसू को दे दी गई. चन्द्रप्रकाश चौधरी ने यहां से जीत हासिल की और निर्वतमान सांसद हैं. कही ऐसा लगता है कि शायद गिरिडीह से फिर बीजेपी अपना प्रत्याशी उतारें. भाजपा के ये अनुमान है कि अगर आजसू को यह सीट नहीं भी दी जाए तो गिरिडीह से बीजेपी अपने बलबूते जीत सकती है. खैर इसमे बीजेपी की क्या माथापच्ची औऱ गणित है. ये तो वक्त आने पर पता चलेगा. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के गिरिडीह आने से सवाल तो उठने ही लगें है.
गिरिडीह और कोडरमा सीट पर नजर
अगर दूसरा पहलू देखे तो जेपी नड्डा के गिरिडीह में सभा करने के मायने ये लगा रही है कि, यहां से वह गिरिडीह के साथ-साथ कोडरमा लोकसभा को भी मजबूत करना चाहते हैं. इसके साथ ही बोकारो और धनबाद को भी साधने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है.कोडरमा और गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में 12सीट है, इसमे कोडरमा, राजधनवार, जमुआ और बाघमारा भाजपा के कब्जेवाली सीट है. वही, झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास गिरिडीह, डुमरी, टुंडी, जबकि कांग्रेस के पास बेरमो और गांडेय सीट है. गिरिडीह लोकसभा में गोमिया विधानसभा पर आजसू का कब्जा है. गिरिडीह में जनसभा करने का मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि जेएमएम और कांग्रेस के पांच विधानसभा सीट पर भी बीजेपी दबदबा बनाए.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का अच्छा-खासा दबदबा झारखंड में रहा है. लिहाजा, उसकी रणनीति एकबार फिर ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने पर होगी. बेजीपी कोशिश में है कि, जहां-जहां भाजपा कमजोर है, वहां अभी से मजबूत कर हवा अपने पक्ष में की जाए.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह