टीएनपी डेस्क : अपना देश छोड़ कर भागी शेख हसीना इस वक्त शरण की तलाश में है. कई देशों ने उन्हें अपने यहां आने पर प्रतिबंध लगा दिया है तो किसी ने उनका वीजा ही रद्द कर दिया है. अचानक से बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट ने शेख हसीना की किस्मत को भी पलट कर रख दिया है. छात्रों द्वारा बांग्लादेश में 5 अगस्त को हुए हिंसा ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना ही देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया. प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर शेख हसीना को बांग्लादेश की ही आर्मी ने सिर्फ 45 मिनट में देश छोड़ने का हुकूम सुना दिया. वहीं, अपना देश छोड़ कर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस वक्त शरण की खोज में हैं. ब्रिटेन में पनाह लेने की उनकी आस को ब्रिटिश सरकार ने भी तोड़ दिया है. क्योंकि, शेख हसीना लंदन जाने वाली थी लेकिन ब्रिटेन ने उन्हें आने की अनुमति नहीं दी. वहीं, जानकारी के मुताबिक अमेरिका ने भी उनका वीजा रद्द कर दिया है. फिलहाल बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना इस वक्त भारत की शरण में हैं. भारत से वह 48 घंटों के अंदर यूरोप जा सकती हैं. हालांकि, इस वक्त रूस व अन्य देशों से भी वह खुद को शरण में रखने की बात कर रही हैं.
फिलहाल भारत में ही रहने का प्लान बना रही हैं शेख हसीना
वहीं, जानकारी के मुताबिक इस बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे वाजेद जॉय ने जर्मन वेबसाइट डॉयचे वेले को बताया कि, शेख हसीना फिलहाल भारत में ही रहने का प्लान बना रही हैं. उन्होनें किसी और देश से राजनीतिक शरण नहीं मांगी हैं. हालांकि, भारत में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित हिंडन एयरबेस के एक सेफ हाउस में पूरी सुरक्षा के साथ रह रही शेख हसीना को भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह लंबे समय के लिए भारत की शरण में नहीं रह सकती हैं. ऐसे में शेख हसीना से मुलाकात करने गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उन्हें भारत सरकार को अपना आगे का प्लान बताने के लिए कहा है. मोदी सरकार उन्हें अनिश्चित काल के लिए भारत में नहीं रख सकती है. बता दें कि, शेख हसीना को दूसरे देश भेजने के लिए सुरक्षा के साथ सारे इंतजाम की जिम्मेदारी अब भारत की होगी. क्योंकि, बांग्लादेश की वायु सेना जिस विमान से शेख हसीना को भारत छोड़ने आई थी वह विमान वापस बांग्लादेश चली गई है.
कौन है शेख हसीना
28 सितंबर 1947 में ढाका में जन्मी शेख हसीना बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बड़ी बेटी हैं. स्कूली पढ़ाई-लिखाई से लेकर शेख हसीना का जीवन पूर्वी बंगाल के तुंगीपाड़ा में बीटा जिसके बाद उनका पूरा परिवार बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शिफ्ट हो गई. पिता के राजनीतिक करियर में शेख हसीना जरा भी दिलचस्प नहीं थी. लेकिन साल 1966 में ईडन महिला कॉलेज में पढ़ने के दौरान शेख हसीना को धीरे धीरे राजनीति में दिलचस्पी आने लगी और वह अपने कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़कर वाइस प्रेसिडेंट बन गई.
साल 1975 में भी हुआ था 2024 वाला हाल
साल 1975 शेख हसीना के लिए भूचाल लेकर आया. 5 अगस्त 2024 की तरह ही साल 1975 में भी बांग्लादेश में सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया. बांग्लादेश की सेना द्वारा किए गए बगावत में शेख हसीना की मां, उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और तीन भाइयों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस दौरान शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां और छोटी बहन के साथ यूरोप में थीं. अपने परिवार को खोने के बाद शेक हसीना कुछ समय के लिए जर्मनी में रहीं. अभी मोदी सरकार की तरह ही उस वक्त इंदिरा गांधी की सरकार ने शेख हसीना को शरण दिया था. जिसके बाद शेख हसीना करीब 6 साल तक अपनी बहन के साथ दिल्ली में रहीं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और इंदिरा गांधी द्वारा शेख हसीना को पूरी तरह से मदद दी गई थी.
वापस बांग्लादेश पहुंच कर राजनीति में आने का फैसला लिया
साल 1981 में शेख हसीना जब वापस बांग्लादेश पहुंची तो उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया. शेख हसीना का राजनैतिक जीवन आसान नहीं था, कभी भ्रष्टाचार के मामले में तो कभी कुछ मामले में शेख हसीना को गिरफ्तार कर लिया जाता था और फिर रिहा कर दिया जाता था. 1986 में जब चुनाव होने वाले थे तब शेख हसीना को रिहा कर दिया. अपनी रिहाई के बाद वह अपनी पिता की पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए साल 1986 में पहली बार आम चुनाव में उतरीं. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हर का स्वाद चखना पड़ा. लेकिन विपक्ष में उन्हें 100 सीटें हासिल हो गईं. इसके बाद साल 1996 के चुनाव में बांगलादेश के पीएम के रूप में वह चुनी गईं.
2024 में पांचवी बार संभाला पीएम का पदभार
साल 2001 में फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन साल 2009 में शेख हसीना ने दूसरी बार पीएम की गद्दी संभाली और बांग्लादेश के पीएम के रूप में शपथ ग्रहण किया. इसके बाद उनका राजनैतिक दौर शुरू हो गया और वह साल 2014 में एकबार फिर तीसरी बार पीएम बनी और साल 2018 में उन्होंने चौथी बार पीएम पद का शपथ ग्रहण किया. इतना ही नहीं, इसी साल 2024 में भी उन्होंने पांचवी बार पीएम पद के लिए शपथ ग्रहण किया. लेकिन शायद उनकी किस्मत को कुछ और मंजूर था और उन्हें पीएम के पद से इस्तीफा देना पड़ा.