रांची(RANCHI):झारखंड गठन के बाद से ही सूबे में PESA एक्ट को लागू करने की मांग उठ रही है.बावजूद इस कानून को लेकर सिर्फ राजनीतिक हुई किसी ने इसे लागू करने के दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किया.लेकिन कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर पेसा एक्ट क्या है,और इसके लागू हो जाने से झारखंड के लोगों को क्या फायदा होगा. दरअसल पेसा एक्ट को 1996 में पास किया गया है.यह कानून संविधान के अनुच्छेद 243-23ZT के भाग 9 में नगरपालिका और सहकारी समितियों से संबंधित प्रावधान है.
अब आप इसे आसान भाषा में समझिए की आखिर इसके लागू होने से राज्य में किसे फायदा होगा.और इस कानून के तहत किसे क्या अधिकारी मिलेगा.
पेसा कानून लागू होने से सीधे तौर पर ग्राम सभा मजबूत होगी.इसका सीधा उद्देश्य जल,जंगल,जमीन और आदिवासी परंपरा को बचाना है.पेसा लागू होने से किसी भी जमीन की लूट नहीं हो सकती है,साथ ही जल संरक्षण और जमीन अधिग्रहण,जनजाति क्षेत्र में विकास योजनाओं को बनाने के साथ- साथ जनजाति वर्ग को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी मिलेगी ग्राम सभा को मिलेगी. अगर जनजाति क्षेत्र से कोई नेशनल हाइवे या अन्य कोई काम के लिए जमीन की जरूरत है तो बिना ग्राम सभा के अनुमति के कुछ नहीं हो सकता है.साथ साथ आदिवासी परंपरा को बचाए रखने की भी जिम्मेदारी ग्राम सभा को इस कानून के तहत मिलती है.
झारखंड में पेसा लागू नहीं होने के कारण जंगल कट रहे,आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी बाहुबल के बल पर लूट रहे है.हाल में कई ऐसे मामले आये है.जिसमें जबरन आदिवासी जमीन को कब्जे में लेकर उनपर बड़े बड़े कॉम्प्लेक्स या अपार्टमेंट बना दिया गया.जब पेसा लागू हो जायेगा तो सीधे जमीन की पूरी जिम्मेदारी ग्राम सभा की हो जाएगा.ऐसे में कोई भी आदिवासी जमीन को कब्जे में नहीं ले सकेगा.साथ ही आदिवासी की परंपरा को बचाने में अहम योगदान पेसा का रहेगा.अगर कोई जमीन पर कब्जा कर लेता है तो ग्राम सभा के पास अधिकार रहेगा की उस जमीन को वापस खाली कर मूल व्यक्ति को दिलवाना.
पेसा की विशेषता
पेसा कानून संविधान के भाग 9 से जुड़ा प्रावधान है.इस कानून के तहत आदिवासी समुदाय को स्वशासन का अधिकार देता है.लोकतंत्र के तहत ग्राम प्रशासन स्थापित कर ग्राम सभा को गतिविधियों का केंद्र बनाना है.इस ग्राम सभा में जनजाति समुदाय की परंपरा और रीति रिवाज को सुरक्षा के साथ- साथ इसे बचाये रखने का प्रावधान है.
रिपोर्ट. समीर हुसैन