टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक ऐसे नेता है, जो बिना फायदे और गुणा-भाग के कोई काम नहीं करते हैं. बिहार में भाजपा का साथ लेकर मुख्यमंत्री बनें रहे, उन्हें लगा कि एक छलांग ऊपर मारनी चाहिए, तो झटका देकर आऱजेडी के साथ बिहार में सरकार बना ली और मुख्यमंत्री बनें रहे. इस दौरान उनकी अंदर की ख्वाहिशें इतनी ज्यादा हिलोरे मारने लगी कि, केन्द्र की मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम छेड़ दी. पटना में इसकी पहली बैठक भी उन्हीं की निगेहबानी में हुई, बाद में सभी विपक्ष को एकजुट करने में नीतीश ने जोर-शोर से पसीना बहाया, काफी मश्शकत के बाद कांग्रेस पार्टी भी इसमे शामिल हुई, लेकिन, अब इसी कांग्रेस के खिलाफ नीतीश कुमार बोलने से पीछे नहीं हट रहे हैं. आखिर क्या बात है कि नीतीश कांग्रेस से गुस्सा हो चले हैं
कांग्रेस को ऐसे क्यों बोल रहे नीतीश ?
बड़े अरमानों के साथ I.N.D.I.A गधबंधन का गठन हुआ था, इसके चलते पशोपेश में केन्द्र की मोदी सरकार भी आ गयी थी. घमंडिया गठबंधन से इसे नवाजा गया था . लेकिन, पहले ही अंदर-अंदर खटपट की खबरें तो आते रहती थी. लेकिन, नीतीश कुमार ने कुछ ज्यादा ही बोल दिया, जबकि लोकसभा चुनाव अब धीरे-धीरे नजदीक आता दिख रहा है. भाकपा की रैली में नीतीश बाबू कांग्रेस से अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया, उनका कहना था कि इंडिया गठबंधन में काम नही हो रहा है , कांग्रेस पार्टी इस पर ध्यान नहीं देकर पांच राज्यों के चुनावों में मशगूल हो गई है. जबकि, देश को बचाने के लिए और इतिहास बदलने वाले को हटाने के लिए इंडिया गधबंधन का गठन किया गया था. लेकिन, इसकी फिक्र की बजाए कांग्रेस का ध्यान पांच राज्यों में ज्यादा है. हालांकि, नीतीश ने कहा कि चुनाव खत्म होने के बाद फिर से सभी लोगों को साथ बुलांयेंगे.
नीतीश के बोलने के मायने
अभी देश की ताजा राजनीतिक हालात और परिस्थितियां देखे तो इंडिया गठबंधन की हलचल उतनी नहीं है. गठबंधन का हिस्सा रही आप अपने नेताओं के जेल जाने से परेशान है. खुद अरविंद केजरीवाल ईडी के समन पर नहीं गये और उनके विधायक और मंत्री राजकुमार आनंद के घर ईडी की रेड पड़ी है. मध्यप्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव अंदर-अंदर कांग्रेस से खफा ही चल रहे हैं. इधर ममता बनर्जी भी अपना किला बंगाल में मजबूत करना चाती है, लिहाजा यहां कांग्रेस को कोसने से पीछे नहीं हटती. इधर,साउध में डीएमके भी उतना कुछ इंडिया को लेकर नहीं बोल रही है. उदयनिधि स्टालीन के सनातन के खिलाफ बयान देने के बाद कांग्रेस भी ज्यादा लगाव नहीं रखे हुए हैं. वो खुद को अलग रखकर अपनी सियासत आगामी चुनाव को लेकर साध रही है. महाराष्ट्र में एनसीपी अपने ही पार्टी के टूट के चलते डिफिंसिव मोड में दिखाई पड़ रही है. मराठा क्षत्रप शरद पवार भी उतना एक्टिव नही दिख रहा है. देखा और समझा जाए तो, इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ही मुख्य पार्टी है, जिसका जनाधार ओर दलों के मुकाबले ज्यादा है. लिहाजा, उसकी कोशिश खुद अपनी बैटिंग करके मजबूत करने की है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रह-रह कर प्यार एनडीए गठबंधन को लेकर भी उमड़ता रहता है. कभी-कभी उनके जाने की खबरे भी उड़ती रहती है. हालांकि, बीजेपी ने साफ कर दिया कि उनके लिए दरवाजे बंद कर दिए गये हैं. यहां सोचने वाली बात ये है कि आखिर नीतीश कुमार कैसी सियासत कर रहे हैं. कभी इधर तो कभी उधर दोनों तरफ बात करते हुए दिखाते हैं. यहां प्रश्न है कि उनके मन में कैसी मंशा पल रही है. वो आखिर चाहते क्या है . यही सबसे बड़ा अनसुलझा सवाल है.