टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-जंग कभी किसी का भला नहीं कर सकती, इसकी गोली-बारूद किसी का न तो चेहरा देखती है और न किसी की मासूमियत पर ही दया दिखाती है. इतिहास गवाह है कि युद्ध हमेशा जख्म, दर्द औऱ तबाही ही लेकर आती है. जहां इंसान के वजूद मिटाने के लिए पागलों की तरह एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. हालांकि, इसके भयावह इतिहास औऱ इसकी तल्खियों से हम जानकर भी अनजान बनें रहते है. बावजूद आज दुनिया में जंग हो रही है. पिछले साल शुरु हुई युक्रेन और रुस के बीच घमासन अभी भी थमा नहीं बल्कि जारी है. युक्रेन के शहर दर शहर सन्नाटा पसरा है, इमारते खंडहर में तब्दील हो गयी है और वहां के बाशिंदे जंग की जख्म लिए भटक रहे हैं. वही, इजरायल औऱ हमास के बीच शुरु हुई जंग का तो बेहद ही खौफनाक मंजर देखने और सुनने को मिल रहा है. गाजा शहर तो बारुद की ढेर पर है. जहां ताबड़तोड़ रॉकेट के हमले और टेंको से बरसते गोल से शहर में आग लगी हुई है.शहर मानो शम्सान में बदलने वाला हो. हालांकि, आतंकी हमास ने जो खूनी खेल की शुरुआत इजरायल में घुस कर किया. बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के साथ जो बेतहाशा दरिंदगी दिखाई. उसकी कायरना और क्रूर हरकत बेहद ही शर्मनाक है. जिसे कतई माफ नहीं किया जा सकता. हालांकि, इस जंग में बेचारे मासूम बच्चे बेवजह शिकार बन रहे हैं.
मसूम बच्चे बन रहें शिकार
दरअसल, इस युद्द में मासूमियत कराह रही है, चीख रही है औऱ पूछ रही है कि आखिर इन बच्चो का कसूर क्या है. उसने तो अभी जिंदगी का फलसफा भी नहीं समझा है और न ही दुनिया देखी है और न ही दुनियादारी समझा है. इसके बावजूद कत्लेआम मचा हुआ . इनकी नन्हीं निगाहे आसमान में काली-काली धुंए के गुब्बार देख रही है. इन्हें क्या पता भी की जिंदगी क्या होती है. हां उसके कानों को लगातार बमों, गोलियों और रॉकेट के धमाके बेइंतहा शोर जरुर मचा रहे हैं. कईयों को तो इसी शोर और धमाकों ने जान ही ले ली है. उसकी मुस्कराहटों को जंग के इस बादल ने ढंक लिया औऱ उसके हसीन बचपन जवान होने से पहले ही दम तोड़ने के दिन गिन रहा है. हालांकि इस युद्ध के एक हफ्ते होने को है, आगे लगता है कि संकट और गहरायेगा और यमराज कईयों की और जान लेंगे. दरअसल, इजरायल में कत्लेआम करने वाले वहशी हमास के दरिंदे अभी भी घुसे हुए है और पूरी तरह निस्तेनाबूत नहीं हुए. वही, इजरायल भी बदले की आग में झुलसकर ताबतोड़ रॉकेट और बम बरसाकर शहर को मुर्दा करने पर आमदा है. मां के आंचल में खुद को छुपा रहे बच्चे तो महफूज समझते होंगे, लेकिन, वह तो एक मां की दर्द औऱ छटपटाहट ही यह जानती है कि किस इम्तहान से वह गुजर रही है. जहां उसकी पहली ख्वाहिश अपनी नन्हीं जान की सांसों को बचाना है. इस कड़वी अग्निपरीक्षा से तो लगता है कि अभी थमने वाली नहीं है. जहां इससे पार पाने के लिए आखिरी सांस तक लड़नी होगी, जद्दोजहद करनी होगी और दिलासा देना होगा कि हम जीत जायेंगे.
300 से ज्यादा बच्चों की मौत
अभी तक 300 से ज्यादा मासूम बच्चे अपनी जान गवा चुके हैं. जिसमे गाजा में 260 से अधिक औऱ इजरायल के 40 बच्चे है. इजरायल ने हमास को चेतावनी दी है कि जब तक हमास उनके देश के बंधकों को नहीं छोड़ता, तब तक हमले के साथ-साथ बिजली और पानी की स्पलाई भी गाजा में रुकी रहेगी.
गाजा में रह रहे आम बाशिंदो को बम,गोलियों और रॉकेट से बचने के साथ-साथ उस बेरहम भूख से भी लड़ना है. जो इस लड़ाई में उसके साथ-साथ साये की तरह चल रही है. हालांकि, कब ये जंग के बादल छंटेंगे और कब फिर आसमान काले धुंए से हटकर नीला होगा. इसका इंतजार लोगो को लगता है अभी और करना पड़ेगा. हालांकि, अभी तो असली जद्दोजहद खुद की सांसो को बचाने की है.