टीएनपी डेस्क(TNP DESK): राम मंदिर में मूर्तियों के निर्माण के लिए नेपाल में गंडकी नदी तट से हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के प्रतीक दो शालिग्राम पत्थरों को गुरुवार को अयोध्या लाया गया.
भगवान राम की जन्मभूमि पर पुजारियों द्वारा पवित्र पत्थरों का स्वागत किया गया और स्थानीय लोगों ने शिलाखंडों को मालाओं से सजाया और उन्हें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपने से पहले अनुष्ठान किया. नेपाली अधिकारियों ने बताया कि नेपाल के जनकपुर, सीता की जन्मभूमि, से भारी शुल्क वाले ट्रकों पर अयोध्या पहुंचे लगभग 30 टन वजन के दो पवित्र पत्थरों को मूर्ति बनाने के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक दोनों तरह से मंजूरी दे दी गई है.
काली गंडकी से लाए गए दोनों शिलाखंड
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र, महासचिव, चंपत राय ने बताया कि "नेपाल में काली गंडकी नाम का एक झरना है. यह दामोदर कुंड से निकलता है और गणेश्वर धाम गंडकी से लगभग 85 किमी उत्तर में है. ये दोनों शिलाखंड वहीं से लाए गए हैं. यह स्थान समुद्र तल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. लोग यहां तक कहते हैं कि यह करोड़ों साल पुराना है. दो शिलाखंडों का वजन लगभग 30 टन और 14-15 टन है".
नेपाली नेता ने कहा कि जानकी मंदिर बाद में राम मंदिर ट्रस्ट के विनिर्देश के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर को धनुष भेजेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ऐतिहासिक फैसला
9 नवंबर, 2019 को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दशकों पुराने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. शीर्ष अदालत की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया और पूरी विवादित जमीन एक ट्रस्ट को सौंप दी.
यह निर्णय 134 वर्षों के लंबे और कठिन कानूनी संघर्ष के बाद आया जो 1885 में शुरू हुआ और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के साथ समाप्त हुआ. इसमें कहा गया कि संविधान एक धर्म और दूसरे धर्म की आस्था और विश्वास के बीच अंतर नहीं करता है और कहा कि सभी प्रकार की मान्यता, पूजा और प्रार्थना समान हैं. पिछले महीने जनवरी में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि अयोध्या में राम मंदिर 1 जनवरी, 2024 को तैयार होगा.