रांची(RANCHI): 2014 में झामुमो का दामन झटक कर कमल का फूल खिलाने उतरे हेमलाल मुर्मू की आज ढोल नगाड़े क साथ घर वापसी हो रही है. भोगनाडिह में सिदो-कान्हू जंयती पर आज विशाल कार्यक्रम रखा गया है, उसी कार्यक्रम में खुद हेमंत सोरन के हाथों हेमलाल मुर्मू की घर वापसी की औपचारिकता पूरी की जायेगी.
झामुमो के बाद अब कमल को दगा
लेकिन घर वापसी की इस औपचारिकता से पहले भाजपा की राजनीतिक शैली के बारे में हेमलाल मुर्मू की टिप्पणी चर्चा का विषय बन गयी है. दरअसल हेमलाल मुर्मू ने कहा है कि झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों को हरियाणवी कुर्ता-पायजामा पहनाने की राजनीतिक कसरत से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है. हर राज्य की अपनी विशेषता और पहचान होती है, उसकी समस्या अलग होती है, और उसका समाधान भी अलग होता है, लेकिन भाजपा में दिल्ली में बैठकर एक कुर्ता सिलवाया जाता है, और फिर उसी कुर्ते को अलग-अलग राज्यों में भेज दिया जाता है, अब वह कुर्ता आपको ढिला हो या टाइट, पहनने का फरमान जारी हो जाता है. पूरी पार्टी वॉट्सऐप और फेसबुक से चलायी जा रही है.
भाजपा पर फेसबुकिया पार्टी होने का आरोप
जिन्होंने ने कभी संघर्ष नहीं किया, कभी जनसरोकार की राजनीति नहीं की, कभी सड़क पर उतर कर पसीना नहीं बहाया, जिन्हे जनमुद्दों की पहचान नहीं है, जिनका झारखंड की मिट्टी से कोई जुड़ाव और सरोकार नहीं है, उनके द्वारा पार्टी की नीतियां बनायी जा रही है. जबकि इसके विपरित झामुमो यहां की स्थानीय पार्टी है, उसके मुद्दे स्थानीय है, उसकी प्रतिबद्धता के केन्द्र में यहां के आदिवासी-मूलवासी है, उनकी संस्कृति और परंपरायें है. उनकी जीवन पद्धति है.
जारी रहेगी अंतिम व्यक्ति की लड़ाई
हेमलाल मुर्मू ने कहा है कि मैं सांसद और विधायक बनने के लिए भाजपा ने नहीं गया था.तब भी हमारी लड़ाई समाज के अंतिम व्यक्ति की थी और आज भी अंतिम व्यक्ति की ही है, लेकिन इस अंतिम व्यक्ति की लड़ाई को भाजपा में लड़ना मुश्किल हो गया था. वहां जनमुद्दे की बात नहीं होकर फेसबुक पर पार्टी चलाया जा रहा है. मैंने तीन धनुष को संताल में लोगों के खून में पहुंचाया है, आज भी हमारे लोग यह समझ कर वोट देते हैं कि यह तीर धनुष तो हेमलाल मुर्मू का है.