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झारखंड में घट जाएगी आदिवासी आरक्षित सीट! मचा सियासी बवाल, समझिए परिसीमन का पूरा खेल

झारखंड में घट जाएगी आदिवासी आरक्षित सीट! मचा सियासी बवाल, समझिए परिसीमन का पूरा खेल

रांची (RANCHI) : 2026 में देश में परिसीमन होने वाला है. ऐसे में कई राज्यों में आरक्षित सीट कम हो जाएगी तो कई राज्यों में सीट बढ़ भी सकती है. ऐसे में इसे लेकर झारखंड में अभी से ही घमासान मचा है. आदिवासी सीट कम होने की आशंका से सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों चिंता में साथ आकर इस मामले में केंद्र सरकार के पास जाने की बात कहते दिख रहे हैं. विपक्ष आदिवासियों की घटी संख्या पर सवाल उठा रही है और साफ बोल रही है कि अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिन में कोई भी आदिवासी विधायक नहीं बन पाएगा.

समझिए परिसीमन का पूरा खेल

दरअसल 2026 में जब परिसीमन होगा तो जनगणना के आधार पर सीट आरक्षित रहेगी या नहीं यह उसपर निर्भर होगा. साथ ही विधानसभा की सीट आबादी के आधार पर बढ़ा भी सकती है, जिसे लेकर चर्चा अभी से ही शुरू है. सदन के बजट सत्र में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने आशंका जताई कि 2026 में होने वाले परिसीमन के बाद झारखंड में आदिवासी सीट घट जाएगी. इस पर उन्होंने विपक्षी दल भाजपा से आग्रह किया कि सरकार का साथ दीजिए.

परिसीमन पर पक्ष-विपक्ष साथ-साथ

मंत्री ने नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी को बोला कि मुद्दे पर साथ लिए केंद्र में आपकी सरकार है. साथ चलेंगे और बात करेंगे. इस पर बाबूलाल ने सदन में ही हामी भर दी. कहा कि इस मसले पर सरकार के साथ हैं, लेकिन यह जांच का विषय है कि आखिर आदिवासियों की संख्या कैसे घटी. एक आयोग बने जो इस पूरे मामले की जांच करें या फिर झारखंड में एनआरसी लागू कर दिया जाए. आखिर मुसलमान कैसे बढ़ गए और आदिवासी घट गए.

जैसे ही बाबूलाल मरांडी ने आदिवासियों की घटती संख्या पर जोर दिया, इस पर संसदीय कार्य मंत्री सदन में खड़े हुए और उन्होंने कहा कि आदिवासी कैसे घट गए यह जांच करने की बात है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की संख्या बढ़ गई यह बड़ा विषय नहीं है.

सदन में इरफान हुए आग बबूला 

वहीं जब बात मुसलमान पर आयी कि जनसंख्या कैसे बढ़ गई इस पर मंत्री इरफान अंसारी आग बबूला हो गए. सदन में ही कहा कि बाबूलाल यही करते-करते पार्टी को खत्म कर देंगे. झारखंड में कभी परिसीमन नहीं होने देंगे.

जानिए परिसीमन पर जयराम महतो ने क्या कहा

सदन में डुमरी विधायक जयराम महतो ने कहा कि परिसीमन होगा, जिससे तस्वीर साफ होगी. इसमें कई लोगों को फायदा होगा लेकिन कुड़मी हमेशा से अपेक्षित रहा है.

साफ तौर पर देखें परिसीमन एक समय में सभी राज्य में होता ही है. अगर पहले बात करें तो 2002 में हुआ था इसके बाद फिर 2008 में परिसीमन हुआ. 2008 के परिसीमन में झारखंड में 6 सीट कम हो रही थी. इसके बाद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात कर इस मामले को झारखंड में रोकने का काम हुआ था. अब फिर से कुछ ऐसे ही हालत बना रहे हैं. पक्ष-विपक्ष एक साथ आकर परिसीमन रोकने पर विचार कर रहा है, जिससे आदिवासी सीट काम ना हो.

रिपोर्ट-समीर

Published at:19 Mar 2025 04:07 PM (IST)
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