टीएनपी डेस्क: बांग्लादेश के ये हालात कुछ नए नहीं हैं. इससे पहले भी कई बार देश में तख्तापलट हो चूका है. साल 2007 की बात करें तो उस वक्त भी देश में पीएम का पदभार खाली था. कमाल की बात तो ये थी की बांग्लादेश की कमान संभालने वाली मौजूदा और पूर्व पीएम दोनों ही भ्रष्टाचार के मामले में जेल में कैद थीं. ऐसे में देश की बागडोर संभालने के लिए सेना ने नोबल पुरुस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को चुना. लेकिन तब इतनी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने के लिए मोहम्मद यूनुस पीछे हट गए. वहीं, आज फिर से वही हालात हैं. पूर्व पीएम शेख हसीना देश छोड़कर भाग गई तो वहीं जिया खालिद अब भी जेल में ही हैं. ऐसे में एक बार फिर बांग्लादेशी सेना ने मोहम्मद यूनुस की ओर उम्मीद जताया है. और 17 साल बाद यूनुस उसी सत्ता को वापस से स्वीकार कर रहे हैं. ऐसे में बांग्लादेश में चल रहे उथल पुथल पर शायद अब विराम लग सकता है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ देने के बाद अब देश की सत्ता नोबेल पुरुस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस संभालने वाले हैं. बांग्लादेश में 8 अगस्त को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने वाली है. मोहम्मद यूनुस आज पेरिस से ढाका वापस लौट रहे हैं और आज रात ही उनकी अंतरिम सरकार शपथ भी ग्रहण करेगी. इस अंतरिम सरकार में 15 सदस्य होंगें. हालातों को देखते हुए आगे सदस्यों में बढ़ोत्तरी भी हो सकती है.
बांग्लादेश के सेना, राष्ट्रपति और विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों के बीच चर्चा करने के बाद लिया गया फैसला
वहीं, यूनुस ने ढाका के लिए फ्लाइट में बैठने से पहले सभी से शांति बनाए रखने व हिंसा से बचने की अपील की. साथ ही उन्होंने कहा कि, “मैं अपने देश के हालात को देखने के लिए इंतजार कर रहा हूं. हम जिस तरह की परेशानी में हैं उससे बाहर निकलने के लिए खुद को उस तरह से व्यवस्थित कर रहा हूं.” बता दें कि, शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हिंसा और भड़क गई है. बांग्लादेश के तीनों सेना प्रमुख, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन, राजनीतिक दलों के नेताओं और विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले छात्रों के बीच चर्चा करने के बाद ही मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश का मुख्य सलाहकार या कार्यवाहक सरकार के तौर पर चुना गया है.
यूनुस हसीना को मानते हैं लोकतंत्र का कातिल
मोहम्मद यूनुस और पूर्व मुख्यमंत्री शेख हसीना में कांटे की टक्कर होते रहती है. शेख हसीना यूनुस को सुदखोर तो यूनुस शेख हसीना को लोकतंत्र का कातिल मानते हैं. वहीं, कुछ दिनों से बांग्लादेश में हो रहे प्रदर्शन और शेख हसीना के भारत में शरण लेने पर यूनुस भारत को भी अपने लपेटे में ले रहे हैं. यूनुस का कहना है कि, भारत की शह में शेख हसीना तानाशाही के जरिए बांगलादेश की सत्ता पर काबिज रही है. हसीना के बांग्लादेश छोड़ते ही यूनुस ने कहा कि, "हम मुक्त हो गए हैं और अब हम एक आजाद देश हैं. जब तक वो यहां थीं, हम कब्जे में थे. वो एक कब्जा करने वाली शक्ति, एक तानाशाह, एक सेनापति की तरह व्यवहार कर रही थीं, वो सब कुछ नियंत्रित कर रही थीं.”
यूनुस को कहा जाता है 'गरीबों का बैंकर'
साल 2006 में शांति के लिए नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस को “गरीबों का बैंकर” भी कहा जाता है. यूनुस एक सोशल वर्कर, बैंकर और इकोनॉमिस्ट हैं. उन्होंने इकोनॉमिक्स विषय से बीए और एमए की पढ़ाई की है. इसके बाद अपने आगे की पढ़ाई के लिए यूनुस अमेरिका चले गए और पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने चिटगांग यूनिवर्सिटी में एचओडी के रूप में काम किया. धीरे धीरे उन्होंने आर्थिक पहलुओं पर रिसर्च करना शुरू किया. जिसके बाद यूनुस ने गरीबों को बिना गारंटी के लोन देने के लिए ग्रामीण बैंक की नींव रखी. गरीबों को छोटे छोटे ऋण देकर यूनुस ने हजारों लाखों लोगों की गरीबी से बाहर निकलने में मदद की. मोहम्मद यूनुस के इस पहल को देखते हुए ही साल 2006 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. जिसके बाद धीरे धीरे यूनुस का झुकाव राजनीतिक की तरफ बढ़ता गया और साल 2007 में उन्होंने खुद की पार्टी बनाने की घोषणा कर दी.
हसीना ने यूनुस पर गरीबों का खून चूसने का लगा दिया आरोप
लेकिन यूनुस के राजनीति में आने की घोषणा शेख हसीना को पसंद नहीं आई और हसीना ने यूनुस पर गरीबों का खून चूसने का आरोप लगा दिया. जिसके बाद से यूनुस और हसीना में दुश्मनी बढ़ने लगी. साल 2008 में जब शेख हसीना सत्ता में आई तब उन्होंने मोहम्मद यूनुस के खिलाफ जांच शुरू करवा दी गई. जिसके बाद से ही यूनुस के बुरे दिन शुरू हो गए. इस दौरान जांच एजेंसियों द्वारा साल 2011 में वैधानिक ग्रामीण बैंक की गतिविधियों को जांचने और समीक्षा करने पर यूनुस को सरकारी सेवानिवृत्ति विनियमन का उल्लंघन करते पाया गया. जिसके बाद उन्हें ग्रामीण बैंक के संस्थापक प्रबंध निदेशक पद से हटा दिया गया.
यूनुस पर भ्रष्टाचार के 100 से अधिक मामले दर्ज
वहीं, यूनुस के खिलाफ कई आरोप लगे हैं. इसी साल 2024 के पहले महीने जनवरी में श्रम कानून उल्लंघन के आरोप में यूनुस को अदालत ने छह महीने की सजा सुनाई थी. इसके बाद यूनुस और 13 अन्य लोगों पर लोगों के 252.2 मिलियन टका (2 मिलियन डॉलर) के गबन का आरोप भी लगाया गया था. इतना ही नहीं, यूनुस पर भ्रष्टाचार के भी 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. हालांकि, यूनुस इन आरोपों को मानने से इंकार करते आए हैं.
हसीना ने यूनुस को बताया था दुनिया से गरीबी हटाने वाला मसीहा
वहीं, दोनों के बीच में यह दुश्मनी पहले से नहीं थी. जबकि बांग्लादेश को अलग करने की लड़ाई में उतरे शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के मोहम्मद यूनुस समर्थक थे. इतना ही नहीं, साल 1997 में यूनुस द्वारा अमेरिका में किए गए एक कार्यक्रम में उन्होनें हसीना को सह-अध्यक्ष बनाया था. जहां हसीना ने यूनुस की तारीफ करते हुए उन्हें दुनिया से गरीबी हटाने वाला मसीहा बताया था. लेकिन यूनुस के रजिनीति में आने की खबर ने दोनों के बीच दुश्मनी की दीवार खड़ी कर दी.