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CHHATH SPECIAL: आस्था के महा पर्व छठ का दूसरा दिन आज, खरना के साथ शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

CHHATH SPECIAL: आस्था के महा पर्व छठ का दूसरा दिन आज, खरना के साथ शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

रांची(RANCHI): छठ महापर्व शुरू हो गया है. नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है. गुड़,चावल और गन्ने के रस से बने खरना के प्रसाद के साथ व्रतियों का 36 घन्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. छठ महापर्व एक ऐसा पर्व है जो अन्य पर्व से काफी अलग है. हर कोई की हिम्मत महा पर्व करने की नहीं होती. इसी वजह से तो इसे महापर्व कहा जाता है. छठ का इंतजार हर एक लोग को होता है. इसमें बनाये जाने वाले प्रसाद का भी विशेष ख्याल रखा जाता है. खासकर  झारखंड बिहार और उत्तरप्रदेश में बड़े पैमाने पर छठ पर्व का आयोजन होता है. हर ओर  जय हो छठी मइया के गीत सुनाई देने लगते है. वैसे तो अब लोग देश और दुनिया में छठ महापर्व मना रहे है. लेकिन झारखंड, बिहार और  यूपी की बात ही अलग होती है.

तभी तो बिहार, झारखंड और यूपी के लोग दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे हों वह छठ महापर्व पर अपने घर पहुंच ही जाते हैं. सभी को इस पर्व का इंतजार रहता है. छठ  एक ऐसा पर्व है जिस पर छुट्टी ना मिले तो नौकरी छोड़ कर भी बंदा घर पहुंच ही जाता है. यह पर्व लोगों की भावना से जुड़ा हुआ है. इसके प्रसाद का अलग स्वाद रहता है. खास कर खरना का प्रसाद जैसा स्वाद दुनिया के किसी भी 5 स्टार होटल में भी नहीं मिलता है.

नहाए- खाए के दिन से शुरू हो जाता है महापर्व 

खरना का प्रसाद खाने के लिए लोग एक दूसरे के घरों पर जाते हैं और प्रसाद ग्रहण कर छठी मइया का आशीर्वाद लेते हैं.जब खरना की बात हो और छठ के गीत ना गाए जाए ऐसा हो ही नहीं सकता. वैसे तो नहाए- खाए यानि कद्दू भात के साथ ही हर तरफ छठ के गीत सुनाई देने लगते है.यह गीत ऐसा होता है जिससे मन और आत्मा दोनों को एक अलग सी शांति की अनुभूति होती है.

खरना के साथ शुरू होता है 36 घंटे का उपवास 

खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 26 घन्टे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. व्रत में तीसरे दिन व्रती अपने- अपने निकटतम छठ घाट पर पहुंचती है. जब अपने घरों से व्रती परिवार के साथ में सूप दउरा और ईख लेकर घाट के लिए निकलती है तो यह तस्वीर देखने लायक रहती है. जिस सड़क ग़ली से व्रती छठ के गीत गाते जाती है वहां पूरे वातावरण में छठ के गीत गूंजने लगते हैं. और जैसे ही छठ घाट पर पहुंच कर व्रती एक साथ जब डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य देती है तो नदी से लेकर आसमान तक का वातावरण शुद्ध हो जाता है. यह एक ऐसा मात्र पर्व है जिसमें डूबते हुए को भी उम्मीद मान कर पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद रात भर व्रती घाट पर मौजूद रहती है. फिर सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देने के साथ आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न होता है. इसके बाद ही निर्जला व्रत खत्म होता है और व्रती अन्न ग्रहण करती है.

छठ में टेकुआ का महत्व 

टेकुआ छठ का विशेष प्रसाद होता है. छठ महापर्व हो और ठेकुआ ना बने तो छठ अधूरा सा हो जाएगा.जब ठेकुआ की बात कर रहे है तो ठेकुआ कई मायनों में काफी फायदेमंद है.जो शर्दी समेत अन्य कई बीमारियों से बचाता है. माना जाता है कि ठेकुआ की परंपरा भी सालों पुरानी है. लेकिन इसके पीछे यह भी कारण है कि ठंडे पानी में व्रती और परिवार के लोग रहते है इससे शर्दी खासी स्वाभाविक रूप से हो जाती है लेकिन ठेकुआ गुड़ से बना होता है और गुड़ शर्दी खासी से बचाव के लिए एक उपयोगी बताया जाता है. 

Published at:18 Nov 2023 12:49 PM (IST)
Tags:Today is the second day of Chhath the great festival of faith: 36 hours of waterless fast will start with Kharna.chhath puja specialChhath SpecialChhath NewsKharna PrasadBiharJharkhandNahay Khaaye
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