रांची(RANCHI): राज्य में हर साल 27 नवंबर को शहीद सोबरन सोरेन का शहादत दिवस मनाया जाता है. हर साल की तरह आज भी बरलंगा के लुकैयाटांड़ में शहादत दिवस मनाया जायेगा. शहादत दिवस के कार्यक्रम में राजय्सभा सांसद शिबू सोरेन, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, विधायक बसंत सोरेन, ममता देवी के अलावा कई मंत्री और विधायक शामिल होंगे. वहीं, शहादत दिवस के मौके पर गरीबों और असहाय लोगों के बीच कंबल और कपड़ों का वितरण किया जायेगा. लेकिन क्या आपको पता है कि मास्टर सोबरन मांझी उर्फ सोबरन सोरेन कौन हैं? आखिर उन्हें शहीद क्यों कहा जाता है और उनका शिबु सोरेन से क्या रिश्ता है.
शिबु सोरेन के पिता हैं सोबरन सोरेन
बता दें कि सोबरन सोरेन दिशोम गुरू शिबु सोरेन के पिता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दादा थे. सोबरन सोरेन पेशे से एक शिक्षक थे. सोबरन शिक्षा के महत्व को समझते थे और वो शिक्षा को गांव-गांव तक ले जाना चाहते थे. इसलिए वो शिक्षा का प्रचार गांव-गांव तक जाकर करते थे. सोबरन गांधीवादी थे. इतना ही नहीं सोबरन ने देश के आजादी के लिए हुई लड़ाई में भी भाग लिया था.
महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज की थी बुलंद
सोबरन मांझी ने राज्य में महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. इसलिए महाजन उन्हें पसंद नहीं करते थे. सोबरन महाजन द्वारा किए जा रहे शोषण और दमन के खिलाफ लगातार आवाज उठाते थे. दरअसल, सोबरन हमेशा से ही आदिवासियों के हितों के लिए आवाज लंद करते थे. कई ऐसे भी मौके आए जब महाजन के बच्चों ने आदिवासियों महिलाओं को अपशब्द कहा तब भी इसका विरोध सोबरन ने ही किया था.
महाजनों ने की थी सोबरन की हत्या
सोबरन मांझी महाजनों के लिए धीरे-धीरे बड़ी मुसीबत बनते जा रहे थें. ऐसे में उन्होंने सोबरन की हत्या करने की सोची और अंतत: 27 नवंबर 1957 को उनकी हत्या कर दी गई. दरअसल, सोबरन मांझी और जयराम नेमरा दोनों बरसलंगा ट्रेन पकड़ने जा रहे थे. इसी दौरान दोनों दोनों पर महाजन और उनके लोगों ने इन पर हमला कर दिया. इस हमले में सोबरन सोरेन की मौत हो गई. वहीं, जयराम नेसरा बच गए, जिसके बाद जयराम ने ही पूरी घटना की जानकारी दी थी.
पिता की मौत के बाद आंदोलन में कूदे शिबु
बता दें कि सोबरन सोरेन जब महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद कर थे तब तक शिबु सोरेन आंदोलन से नहीं जुड़े थे. उस वक्त वो छात्रावास में रहकर पढाई करते थे. पिता की मौत की खबर शिबु को छात्रावास में ही मिली थी. पिता की मौत की खबर मिलने के बाद शिबु गांव पहुंचे और फिर उन्होंने आंदोलन को आगे बढ़ाया. शिबु ने फिर महाजनी प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद की.
हेमंत सरकार ने शुरू की धोती-साड़ी योजना
बता दें कि हेमंत सोरेन सरकार ने दादा और दादी के नाम से राज्य में धोती-साड़ी योजना शुरू की है. राज्य सरकार ने सोना-सोबरन धोती-साड़ी योजना शुरू की है. इस योजना के तहत साल में दो बार गरीब लोगों के बीच दस-दस रुपये में साड़ी, लूंगी और धोती का वितरण किया जाता है.