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ISRO की नींव रखने वाले डॉ विक्रम सारा भाई की आज 51वीं पुण्यतिथि, जानिए क्यों उन्हें भारतीय स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है  

ISRO की नींव रखने वाले डॉ विक्रम सारा भाई की आज 51वीं पुण्यतिथि, जानिए क्यों उन्हें भारतीय स्पेस प्रोग्राम का जनक कहा जाता है  

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): 30 दिसंबर यानी कि आज भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखने वाले डॉ विक्रम साराभाई की 51वीं पुण्यतिथि है. उन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखते हुए कहा था कि "कुछ ऐसे हैं जो एक विकासशील राष्ट्र में अंतरिक्ष गतिविधियों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं. हमारे लिए उद्देश्य की कोई अस्पष्टता नहीं है."

डॉ विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष में भारत के उत्थान और हमारे ग्रह की सीमाओं से परे जाने की कल्पना की थी. वो भी तब  जब देश तीन वक्त के भोजन के लिए संघर्ष कर रहा था. उन्होंने 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नींव रखी और तब से पांच दशकों में भारत ने न केवल ग्रह को छोड़ दिया है बल्कि चंद्रमा और मंगल पर भी कदम रखा है.

विक्रम साराभाई कौन थे?

विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था और वे एक प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार से आते थे, जो उस समय उद्योगपति थे. विक्रम साराभाई अंबालाल और सरला देवी के आठ बच्चों में से एक थे. जबकि परिवार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल था, विक्रम साराभाई कम उम्र से ही विज्ञान के प्रति आकर्षित थे. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की. इसके बाद वे उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए और 1947 में एक स्वतंत्र भारत में लौट आए. उन्होंने अपने पी.एच.डी. के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में नोबेल पुरस्कार विजेता सर सी. वी. रमन के मार्गदर्शन काम किया.  

1962 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के अध्यक्ष के रूप में भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के आयोजन की जिम्मेदारी संभाली. स्पुतनिक उपग्रह के रूसी परीक्षण के मद्देनजर वह भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को समझाने में सक्षम थे. हालाँकि, इससे पहले उन्होंने अनुसंधान गतिविधियों को जारी रखने के लिए 1947 में अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) की स्थापना की थी. उन्होंने उस समय कहा था "हमारे पास चंद्रमा या ग्रहों या मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ान की खोज में आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कल्पना नहीं है. लेकिन हम आश्वस्त हैं कि अगर हमें राष्ट्रीय स्तर पर और राष्ट्रों के समुदाय में एक सार्थक भूमिका निभानी है तो हमें मनुष्य और समाज की वास्तविक समस्याओं के लिए उन्नत तकनीकों के अनुप्रयोग में किसी से पीछे नहीं होना चाहिए."

थुंबा में स्थापित किया गया पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन

उन्होंने अरब सागर के तट पर तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा में मुख्य रूप से इसकी भूमध्य रेखा से निकटता के कारण भारत में पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन स्थापित किया. भारत ने 21 नवंबर, 1963 को सोडियम वाष्प पेलोड के साथ अंतरिक्ष में अपनी पहली उड़ान शुरू की. डॉ. साराभाई ने तब एक भारतीय उपग्रह के निर्माण और प्रक्षेपण के लिए एक परियोजना शुरू की. परिणामस्वरूप, पहला भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट 1975 में एक रूसी कॉस्मोड्रोम से कक्षा में स्थापित किया गया था.

PSLV के विकास में उनका अहम रोल

यह उनका प्रयास था जिसने भारत के वर्कहॉर्स रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के विकास का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने भारत के अग्रणी रॉकेट वैज्ञानिक पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का भी मार्गदर्शन किया. डॉ. साराभाई को न केवल इसरो बल्कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), अहमदाबाद, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, तिरुवनंतपुरम, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन प्रोजेक्ट, कलकत्ता, यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल), जादुगुडा, झारखंड के साथ अन्य के निर्माण का श्रेय दिया जाता है.

cosmic ray और स्पेस साइन्टिस्ट डॉ विक्रम सारा भाई को 1962 में भौतिकी के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और 1966 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

Published at:30 Dec 2022 07:19 PM (IST)
Tags:Indian Space Programdeath anniversary of Dr. Vikram Sarabhai Dr. Vikram Sarabhailaid the foundation of ISROISROTHENEWSPOST
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