टीएनपी डेस्क(TNPDESK): बिहार से अलग हो कर झारखंड साल 2000 में राज्य बना. राज्य गठन होते ही यहां कई गैंगस्टर भी उभर कर सामने आए. गंगस्टरों के निशाने पर कोयला कारोबारी,ठेकेदार और अन्य कारोबार से जुड़े लोग हैं. गैंगस्टरों के आतंक से कई कारोबारी ने राज्य से पलायन भी कर लिया. सूबे में कई गैंगस्टर सक्रिय हैं लेकिन अमन नाम के गिरोह ने झारखंड पुलिस और कारोबारियों का अमन चैन ही छिन लिया है. हम इस रिपोर्ट में आपको तीन अमन के बारे में बताते हैं. आखिर कैसे अमन नाम सुनते ही राज्य के कारोबारी ठेकेदार और कोयला कारोबारी दहशत में आ जाते हैं. झारखंड के अमन साहू,अमन श्रीवास्तव और अमन सिंह कई इलाकों में आतंक का दूसरा नाम बन गए हैं. पुलिस ने तीनों को सलाखों के पीछे भेज दिया इसके बावजूद ये जेल से ही पूरे गिरोह का संचालन कर रहे हैं. तीनों अमन फिलहाल अलग अलग जेल में बंद है.
इस कहानी की शुरुआत अमन साहू से करते हैं
दरअसल अमन साहू गैंग पिछले 10 सालों से झारखंड के कोयला कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है. डॉन अमन साहू ने 17 साल के उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रखा. किसी को नहीं मालूम था कि एक छोटे से गांव का पढ़ने वाला लड़का एक दिन झारखंड का बड़ा गैंगस्टर बन जाएगा. आज अमन साहू अपराध की दुनिया का एक बड़ा नाम बन गया है.अमन साहू गैंग झारखंड के पलामू,चतरा, लातेहार, रांची, रामगढ़,बोकारो, गिरिडीह, धनबाद सहित कई जिलों के कारोबारी और ठेकेदारों के नाक में दम कर रखा है.अमन साहू के नाम पर कोयला कारोबारी समेत अन्य करोबार से जुड़े लोगों से रंगदारी की मांग फोन पर की जाती है, और फिर पैसे नहीं देने पर खुलेआम गोली मार दी जाती है.
जेल से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा
अमन साहू के गैंगस्टर बनने के शुरुआत में लेकर चलते हैं.अमन के गांव के लोग बताते है कि अमन एक सीधा साधा लड़का था कभी किसी से झगड़ा लड़ाई नहीं करता था लेकिन मैट्रिक में जब वह पढ़ता था तब किसी केस में पहली बार जेल गया. जेल में करीब 10 महीने रहने के बाद उसने आगे की पढ़ाई को पूरा किया.अच्छे नम्बर से इंटर करने के बाद डिप्लोमा किया. इस दौरान उसने एक मोबाइल दुखान खोला.और दुकान खोलने के बाद उसकी मुलाकात कई अपराधियों से हुई. जिसके बाद से उसका कुनबा बढ़ने लगा. इसके बाद उसने हत्या की वारदात को अंजाम देना शुरू किया. धीरे धीरे इसका आतंक पूरे झारखंड में फैला और यह अपने साथ पढ़े लिखे हाई टेक युवाओं को पैसे का लालच देकर जोड़ता चला गया. अमन साहू को पहली बार पुलिस ने 2019 में गिरफ्तार किया था लेकिन वह पुलिस गिरफ्त से किसी तरह भाग गया. दुबारा अमन तीन साल बाद 2022 में पुलिस की गिरफ्त में आया.और फिलहाल वह दुमका जेल में बंद है.लेकिन अमन जेल से ही अपने गैंग को ऑपरेट कर रहा है. जेल से ही रंगदारी की मांग कर रहा है.
अब दूसरा नाम अमन श्रीवास्तव का है
अमन श्रीवास्तव पिछले आठ सालों से गिरोह का संचालन कर रहा है. अमन श्रीवास्तव फिलहाल रांची के बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में बंद है. लेकिन इसके गुर्गे अमन के इशारे पर खुलेआम वारदात को अंजाम देते है. इस गैंग के निशाने पर ज्यादातर ठेकेदार और कोयला कारोबारी है. इसके गुर्गे शहर में घूम कर पूरी गतिविधि का जायजा लेने के बाद अपने आका को देते है उसके बाद अमन जेल से ही लिस्ट तैयार करता है. लिस्ट बनाने के बाद उसमें कितना पैसा कहां और किस्से मांगना है यह आदेश अपने गिरोह के लोगों को देता है. आदेश मिलने के बाद ही रंगदारी की मान की जाती है.रंगदारी नहीं देने पर उसे मौत के घाट उतार देता है. यही कारण है कि अमन गिरोह का नाम सुनते ही राज्य के कारोबारी खौफ खाने लगते हैं. इसका आतंक रामगढ़,हजारीबाग,धनबाद,चतरा,लोहरदग्गा,लातेहार और पलामू में देखने को मिलता है.अमन श्रीवास्तव के काम करने का तरीका अन्य गंगस्टरों से अलग है. यह खुद किसी वारदात को अंजाम नहीं देता है. ना ही रंगदारी का पैसा खुद डायरेक्ट लेता है,इसके गुर्गे पैसा उठाने के बाद हवाला के माध्यम से अमन के रिश्तेदारों को भेजा करते थे.
गैंगस्टर पिता की हत्या के बाद संभाल लिया गैंग
अमन श्रीवास्तव के परिवार को देखे तो इसके पिता सुशील श्रीवास्तव कोयलंचल के बड़े गैंगस्टर में सुमार थे. इसके पिता का ही पूरा गैंग बनाया हुआ है. अगर सुशील श्रीवास्तव की बात करें तो एक हत्या मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. उसे कोर्ट से आजीवन कारवास की सजा मिली थी. इस मामले में इसकी पेशी हजारीबाग कोर्ट में दो जून 2016 को हुई थी. इस दौरान अज्ञात अपराधियों ने इसकी हत्या कोर्ट में ही कर दी थी. सुशील श्रीवास्तव को बदमाशों ने Ak47 समेत अन्य हथियार से गोलियों से भून दिया था.पिता की हत्या के बाद अमन अपराध की दुनिया से दूर होने के बजाय इस गैंग का सरगना बन बैठा. पिता के द्वारा बनाए गए नेटवर्क को आगे बढ़ाते हुए अपने गैंग के गुर्गों के द्वारा दहशत फैलाना शुरू कर दिया. खुद झारखंड से बाहर रह कर पूरे गैंग को ऑपरेट कर रहा था. अमन श्रीवास्तव का गैंग रांची,रामगढ़,लोहरदग्गा,हजारीबाग,और लातेहार में सक्रिय है इस गैंग के सरगना अमन श्रीवास्तव पर 23 से अधिक मामले दर्ज हैं. झारखंड ATS और मुंबई ATS ने संयुक्त अभियान चला कर उसे 17 मई 2023 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
अब तीसरा नाम अमन सिंह का है
अमन मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है लेकिन इसका आतंक झारखंड में है. अमन सिंह गिरोह खास कर कोयलंचल में सक्रिय है. शूटर अमन सिंह का वर्चस्व धनबाद डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के बाद पूरे कोयलंचल में दिखने लगा. मेयर हत्याकांड में पुलिस ने अमन को भले ही सलाखों के पीछे भेज दिया. लेकिन उस हत्या के बाद से अमन सिंह के नाम से लोग खौफ खाने लगे थे. ऐसा लगने लगा की जेल जाने के बाद एक बड़े गैंगस्टर की लिस्ट में अमन सिंह सुमार हो गया. जेल जाने के बाद इसका आतंक और बढ़ता चला गया. इसके गुर्गे ने पूरे कोयलंचल में जमकर उत्पात मचाया है. कोयलंचल में कोयला कारीबरी इसके निशाने पर तो हैं ही इसके अलावा जो भी तरक्की की राह पर आगे बढ़ रहा है वहां उसके पास अमन सिंह के नाम से पर्चा या काल पहुँच जाता है. सूत्रों की माने तो अमन सिंह का गैंग हर माह करीब 30 लाख रुपये रंगदारी वसूलने का काम करता है. अमन सिंह के बड़े भाई अजय सिंह को पुलिस ने यूपी के सुल्तानपुर से 2022 में गिरफ्तार किया था. इसकी गिरफ़्तारी के बाद कई जानकारी पुलिस को मिली थी.
रंगदारी लेने का तरीका अलग
यह वही अमन सिंह है जिसके डर से धनबाद के डॉक्टर समीर ने शहर छोड़ दिया था. डॉक्टर का मामला पूरे झारखंड में बड़ा तूल पकड़ लिया और पुलिस पर सवाल खड़ा होने लगा. आखिर जेल से कैसे गैंग संचालन किया जा रहा है. बाद में धनबद जेल से उसे दुमका शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन फिर बाद में वापस से धनबाद जेल भेज दिया गया है फिलहाल वह धनबद के जेल में ही बंद है.बताया जाता है कि अमन रंगदारी के पैसे को राज्य के बाहर रिश्तेदारों पास भेज कर उसे अलग- अलग कारोबार में निवेश कर दिया करता है. फिलहाल अबतक अमन पर नौ केस दर्ज है.
आपने देखा किस तरह से तीन अमन ने पुलिस और आम लोगों में दहशत बना कर रखा है. तीनों अमन में खास बात यह है कि सभी की उम्र 22 से 30 साल के बीच की है. लेकिन इनका दिमाग काफी तेज है. तीनों अमन अपने गुर्गों से बड़े ही आसानी से किसी की हत्या करवा देते है.