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भारत की ये महिला जिन्हें कहा जाता है ‘ह्यूमन कंप्यूटर’, मशीन से भी तेज था दिमाग, जानिए इनके बारे में .....

भारत की ये महिला जिन्हें कहा जाता है ‘ह्यूमन कंप्यूटर’, मशीन से भी तेज था दिमाग, जानिए इनके बारे में .....

टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिन्हें बहुत कम लोग पसंद करते हैं. स्कूलों में दसवीं के बाद विद्यार्थी को ऑप्शन मिलता है कि वह अपनी मन पसंदीदा सब्जेक्ट को चुने. ऐसे में ज्यादातर देखा गया है कि मैथ्स को काफी कम लोग ही सिलेक्ट करते हैं. कई बच्चों को इस बात का इंतजार होता है कि दसवीं के बाद वह मैथ से अपना पीछा छुड़ाएं. ऐसे में हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिनके लिए मैथ्स किसी बाएं हाथ का खेल हो. जिन्हें मैथ्स को सॉल्व करने के लिए कलम कागज की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि वो जुबानी बड़े से बड़े संख्या वाले प्रॉब्लेम को सॉल्व कर लेती है. इस महिला का नाम है शकुंतला देवी.

मैथ्स की जादूगर- शकुंतला देवी

शकुंतला देवी को ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से भी जाना जाता है. जिन्होंने अपने गजब के मैथमेटिकल स्केल से दुनिया को हैरान कर दिया. शकुंतला देवी गणित के सवालों को ऐसे हल करती थी जैसे कोई कंप्यूटर करता हो यही वजह है कि इन्हें ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से जाना जाता है. बड़े से बड़े सवाल जो  मैथमेटिशियन सॉल्व भी नहीं कर पाते वैसे सवालों को शकुंतला देवी जुबानी सॉल्व कर देती थी. इन्हें मैथ्स का जादूगर कहा जाता है. उन्होंने अपने नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड  किया है. 

कंप्यूटर और कैलकुलेटर से भी आगे 

शकुंतला देवी को ह्यूमन कंप्यूटर उस दौर से कहा जा रहा है जब दुनिया में कंप्यूटर आया भी नहीं था. लोग इसके बारे में जानते तक नहीं थे और ना ही कैलकुलेटर का इन्वेंशन किया गया था. उसे दौर में शकुंतला देवी गणित की कठिन से कठिन सवालों को मिनट में जुबानी हल कर देती थी. भारत की यह गणितज्ञ कैलकुलेटर से भी आगे है. कैलकुलेटर में एक लिमिट में डिजिट कैलकुलेट किया जा सकता है मगर शकुंतला देवी के कैलकुलेशन में नंबर्स का कोई लिमिट नहीं था. वह आज भले ही इस दुनिया में नहीं है मगर उनके काबिलियत की वजह से उन्हें आज भी याद किया जाता है.

कर्नाटक की है शकुंतला देवी 

शकुंतला देवी भारत के साथ बेंगलुरु कर्नाटक की रहने वाली थी. वह एक कन्नड़ परिवार की थी. उनका जन्म 4 नवंबर साल 1929 में हुआ था. गरीब परिवार में जन्मे शकुंतला का काफी मुश्किलों भर था. परिवार में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. पिता सर्कस में काम करते थे, जहां वह करता दिखाई करते थे आर्थिक स्थिति तंगी होने की वजह से शकुंतला अपनी शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाई. मगर इतनी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने अपनी प्रतिभा पर इसका कोई असर नहीं होने दिया. शकुंतला देवी के इस हुनर को देख लोगों को यही लगता होगा कि उन्होंने मैथ में कई डिग्री हासिल की होगी मगर ऐसा नहीं है बड़ी बड़ी डिग्री तो दूर उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा भी ठीक तरीके से पूरी नहीं की थी.

ऐसे शकुंतला देवी हुई मशहूर 

शकुंतला देवी के अंदर गणित की यह प्रतिभा को काफी कम उम्र में ही देखा गया था. महज 3 साल की उम्र में ही उनमें यह हुनर नजर आने लगे थे. एक बार ताश खेलने के दौरान शकुंतला के पिता ने पहली बार उनके हुनर को पहचाना था. 6 साल की उम्र में शकुंतला ने मैसूर यूनिवर्सिटी और अन्नामलाई यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया था जहां पर उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. यही वह समय था जब शकुंतला को भी उनके हुनर का एहसास हुआ. साल 1944 में वह अपने पिता के साथ लंदन चली गई जहां धीरे-धीरे विदेश में भी उनके हुनर की चर्चा होने लगी. वहां के यूनिवर्सिटी में भी उन्हें आमंत्रण मिलना शुरू हो गया. जहां वह अपने हुनर करती थी ऐसा करके वह विदेश में काफी मशहूर हो गई धीरे-धीरे सभी लोगों को उनके होने के बारे में पता चला और देखते हैं देखे वह बहुत बड़ी मैथमेटिशियन बन गई. 

उनके नाम इतने पुरस्कार 

शकुंतला देवी ने अपने नाम कई पुरस्कार किए है. साल 1969 में शकुंतला देवी को वुमन ऑफ द इयर का अवार्ड मिला था. इसके साथ ही उन्हें रामानुजन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया, साथ ही उनकी जबरदस्त हुनर के लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया. साल 2013 में शकुंतला देवी ने दुनिया को अलविदा कह दिया. उनकी इस प्रेरणा भरी कहानी से ये तो साफ है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं.

Published at:24 Aug 2023 01:02 PM (IST)
Tags:Human ComputerShakuntala Deviamazing mathematical scalemathematicians Guinness World Record TRENDINGTHENEWSPOST
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