टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-जिंदगी एक ऐसा सफर हैं, जहां खुशी और गम नाम के मोड़ हर किसी के साथ टकराता रहता हैं. ये एक ऐसी कशमकश और फलसफा है, जिससे न तो कई बचा है औऱ न कोई बचेगा. चेन्नई की सड़क पर एक ऐसा ही दिल को तोड़ने वाला नजारा दिखा, जहां म्यंमार की एक इंग्लिश टीचर गुरबत की चादर ओढ़े दाने-दाने को मोहताज है. उसकी फार्राटेदार अंग्रेजी एकबारगी लोगों का ध्यान खींच लेती है. औऱ सोचने को मजबूर कर देती है. ये कैसी जिंदगी है आखिर, ये इतने कड़वे इम्तहान क्यों लेती है.
म्यंमार के टीचर की कहानी
तमिलनाडु के राजधानी चेन्नई की सड़क पर बुजुर्ग म्यंमार की इंग्लिश टीचर मर्लिन सड़कों पर भीख मांगती है.जिसके चेहरे की झुर्रियां बताने के लिए काफी है, कि वक्त क्या से क्या बनाकर किस मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है. हालांकि, मर्लिन की फर्राटेदार अंग्रेजी ये बताने के लिए काफी थी कि उसके जिवन का पिछला पन्ना किस कदर रंगीन था. इस शिक्षिका के अंग्रेजी के ज्ञान से तो किसी को भी रश्क हो जाए. हर किसी की ख्वाहिश उनसे सीखने की होगी. लेकिन, वक्त ने उसकी किस्मत के साथ ऐसा धोखा किया कि, हालात बेजार हो गये औऱ सारी तमन्नाएं बिखर गई. पेट की भूख को शांत करने के लिए दाता के सामने हाथ फैलाने पड़े. हालांकि, समय एक जैसा नहीं होता, उसका पहिया भी घूमते रहता है. मर्लिन की मुलाकात डिजिटल कंटेट क्रिएटर मोहम्मद आशिक से हुई, तो उसकी जिंदगी में बदलाव की शुरुआत हुई, वह उसकी माली मदद उसकी काबिलयत से ही कर रहें है. दरअसल, आशिक ने जब इस शिक्षिका की जिंदगी के पिछले पन्नें को झांका तो अचरज से भर गये. मर्लिन के दर्द औऱ जख्मों पर मरहम लगाने के लिए उन्होंने भरपूर मदद की.
एक टीचर थी मर्लिन
मर्लिन म्यंमार जो की पहले बर्मा नाम के देश के तौर पर जाना जाता था. वहां इंग्लिश की टीचर हुआ करती थी, शादी के बाद वह अपने पति के साथ चेन्नई आकर बस गई. लेकिन, वक्त के साथ एक-एककर सभी को खो दिया. आज वह अकेली सड़क पर अपनी पुराने दर्द औऱ जख्मों के सहारे जिंदगी जी रही है. मर्लिन वृद्धा आश्रम में नहीं रहना चाहती, वह जहां जिस हाल में अभी जिंदगी बसर कर रही है. उसी में खुश औऱ सहज है.
अग्रेजी पढ़ायेगी मर्लिन
मर्लिन को इस उम्र में आराम मिले औऱ एक खुशगवार दिन बीते, इसके लिए मोहम्मद आशिक ने एक डील की है. इसके तहत मर्लिन इंग्लिश पढ़ायेगी और बदले में जो भी पैसा आयेगा, उसे उसकी माली हालत को बेहतर करने के लिए आर्थिक मदद करेंगे. मर्लिन एक टीचर रही है, आज उम्र के इस पायदान पर सबकुछ खोने के बाद भी शिक्षा के बलबूते ही अपनी बची जिंदगी को संवारेगी. इससे ये कहा जा सकता है ज्ञान औऱ शिक्षा वो ताकत है, जो आखिर सांस तक हालात से लड़ने का हौंसला देती है. म्यंमार की मर्लिन की बेचारगी की कहानी यही सीख देती है.