पटना(PATNA): राम चरित मानस की कुछ चौपाइयों को सामने लाकर बिहार और यूपी की राजनीति में सियासी भूंकप मचाने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इन विवादित बयानों से पीछे हटने वाले नहीं है. उनका यह कतई इरादा नहीं है कि इन विवादों को राजनीतिक रुप से समेट लिया जाए. और बिहार की राजनीति से इस विवाद का पटाक्षेप हो जाए.
कई विवादित चौपाइयों को सामने लाना बाकी
अपने ताजातरीन बयान में प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने अपने पूर्व के बयानों को एक बार फिर से दुहराते हुए कहा है कि ये बयान तो कुछ भी नहीं है, यह तो महज झांकी है, अभी तो रामचरित मानस की कई विवादित चौपाइयों को सामने लाना बाकी है.
प्रोफेसर चन्द्रशेखर सियासी अखाड़े के पुराने खिलाड़ी है, उनके हर बयान का एक राजनीतिक आशय होता है, उसमें उनकी भविष्य की कार्ययोजना छुपी होती है. साफ है कि प्रोफेसर चन्द्रशेखर ने यह बयान भी सियासी नफा-नुकसान का आकलन कर ही दिया होगा.
प्रोफेसर के बयान को उछालने से भाजपा को नहीं मिला सियासी लाभ
दरअसल पिछले दिनों जिस प्रकार से उनके बयान को उछालकर भाजपा ने सियासी लाभ लेने की रणनीति अपनाई, और प्रोफेसर चन्द्रशेखर के बहाने राजद को घेरने की रणनीति तैयार की गयी, उसका लाभ भाजपा को मिलता नजर नहीं आया.
दलित-ओबीसी और दूसरी वंचित जातियों का ध्रुवीकरण
जिस प्रकार से उनके बयानों को हिन्दू अस्मिता पर प्रहार बतलाया गया, राजद और दूसरे दलों को हिन्दू विरोधी साबित करने की कोशिश हुई और उसके समानान्तर ही दलित-ओबीसी और दूसरी वंचित जातियों का ध्रुवीकरण हो गया. उसका साफ तौर पर सियासी लाभ राजद को मिलता नजर आया.
2024 के महासमर तक विवाद को बनाये रखने की साजिश
यही कारण है कि प्रोफेसर चन्द्रशेखर बड़े ही सधे अन्दाज में एक बार इस विवाद को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं या इस विवाद बिहार के सियासी परिदृश्य से गायब होते देखना नहीं चाहते. और बीच-बीच में इस बयान को दुहराते हुए इस विवाद को कम से कम 2024 के महासमर तक बनाये रखना चाहते हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार