टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- बिहार की सियासत में गर्मी कुछ ज्यादा ही रहती है, अभी इस ठिठुरती ठंड में भी सियासी गलियारों में कुछ बवंडर आने की आहट तो पहले सुनाई दे दी है. बस अब उसके आने का इंतजार है. लोकसभा चुनाव की इस बेला में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलने की चर्चा तेज है . पलटू राम और पलटू चाचा जैसे नामों में शुमार नीतीश कुमार के पलटने का इंतजार शिद्दत से किया जा रहा है.
अटकलों का बाजार गर्म
अटकले लग रही है कि सुशासन कुमार फिर से राजग के साथ हो जायेंगे और महागठबंधन से छिटक जायेंगे. हालांकि, चर्चाओं के बाजार में तो तमाम तरह की बाते फिंजा में तैर रही है. लेकिन, हकीकत की जमीन पर देखे तो अभी सिर्फ और सिर्फ बतोलेबाजी ही है. यानि कयास, अटकले और आशंकाओं के बादल ही घेरा हुआ है. महागठबंधन को धोखा देने और पाला बदलने की खबरों का असर सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गांव,कस्बों में भी दिख रहा है. तमाम तरह की बाते हो रही है. किसान, मजदूर से लेकर आम आवाम की निगाहे टिकी हुई है. चाय की टपरियों ,पान दुकानों, चौक-चौराहों और दुकानों में चिंतन और चर्चा हो रही है. बिहार के किसान खेतों में काम की बजाए अभी इस चर्चा में ज्यादा शिरकत ले रहे . ऐसे सोच रहे हैं कि उनकी फितरत तो पाला बदलने की है, तो शायद इस बार भी उनकी पलटी दिख जाए. तरह-तरह के दावें इसे लेकर किए जा रहे हैं और क्या होगा और क्या नहीं. इसकी भविष्यवाणियां भी कर दी गई है. शुरु से ही माना जाता है कि बिहार की मिट्टी में ही सियासत रची-बसी है. लिहाजा लोगों की दिलचस्पी भी रखना लाजमी है. कही-कहीं तो दांव भी लग रहा है कि नीतीश नहीं पलटेंगे, तो कोई पलटने का जोर-शोर से दावा कर रहा है.
क्या फिर भाजपा से मिलेंगे नीतीश
चर्चा इस बात की भी हो रही है कि नीतीश कुमार अगर भाजपा के साथ एकाबर फिर मिलते है. तो मुख्यमंत्री का पद तो उनके ही जिम्मे रहेगा . किसी का तर्क ये है कि शायद नीतीश कुमार इस बार सीएम की कुर्सी पर बैठे. कोई तो यहां तक चर्चा कर रहा है कि इस बार तगड़े समझौते के साथ जेडीयू की एंट्री भाजपा में होगी . क्योंकि, कई बार भाजपा ने रैलियों में एलान कर दिया है कि नीतीश के लिए सारे दरवाजे बंद हो गए हैं.
कई जगहों पर तो ये इसे लेकर समीक्षाएं भी की जा रही है. इसके पीछे उनका तर्क है कि भाजपा बिहार में ज्यादा सीटे लायेगी और जेडीयू को इस बार 16 सीटें जीतना मुश्किल है. इसलिए भाजपा से जेडीयू मिलना चाहती है. बहस का विषय ये भी है कि भाजपा के गठबंधन के चलते ही पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 16 सीट जीता था. इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश इन चिज को भांप गये है कि मोदी लहर में उनकी पार्टी के लिए इतनी सीटें जीतना मुश्किल होगी.
शहरों,गांव और कस्बों में चर्चा
सीट बंटवारे से लेकर जीत-हार की भी बातें खूब हो रही है. चर्चाओं में इस बात का जिक्र हो रहा है कि जिस तरह पिछली बार 17-17 सीट पर जेडीयू और बीजेपी लोकसभा चुनाव लड़ी थी. यही फर्मूला इस बार फिर बिहार में लागू होगा, क्योंकि दोनों दल पहले से ही साथ-साथ चल चुके हैं. चर्चाओं का बाजार तो गर्म है और पल-पल की खबरों से लोग अपटेड हो रहे हैं कि आखिर अब क्या हुआ और आगे क्या होने वाला है. इंतजार और मन में एक बेचैनी तो हो ही रही है. लेकिन, अभी तक ऐसी कोई भी आहट या फिर आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. गणतंत्र दिवस के मौके पर नीतीश बाबू जलेबी बांटते हुए जरुर दिखाई दिए, आखिर वह अभी क्या सोच रहे हैं और क्या उनके मन में चल रहा है. ये तो वे खुद जानते होंगे. दूसरी बात ये भी है कि पहले भी उनके पाल बदलने की कई बार खबरें सामने आई थी. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ था. अब देखना है कि क्या सच में पलटी सुशासन कुमार मारते हैं या फिर एकबार फिर ये चर्चा,बहस फितूर साबित होगी.