टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी अभी भी दांव पर लगी है, उम्मीदें पसरी हुई है कि जल्द ही दोबारा मौत के इस जाल से निकलेंगे. पिछले 9 दिनों से उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव के टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन जिंदगी बचाने के लिए जंग चल रही है. हालांकि, दूसरी तल्ख सच्चाई ये है कि सुनसान अंधेरें में श्रमिकों का सब्र का बांध टूटता जा रहा है. हौंसला अफजाई और जिंदगी की जंग जीत लेने की तकरीरे उन्हें ताकत तो देती है. लेकिन, कब तक सिर्फ जुबानी बातों से तसल्ली दी जा सकती है. हकीकत ये है कि उनकी आवाज कमजोर पड़ने लगी. अब बार-बार ये सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कब इस अंधेरी सुरंग से वास्ता छूटेगा और एक नई जिंदगी की शुरुआत होगी. बाहर निकालने की डेडलाइन लगातार बढ़ती ही जा रही है, दिवाली के दिन से ही फंसे मजदूरों को बताया गया कि 72 घंटे में बाहर निकाल लिया जाएगा. इसके बाद नौवे दिन रेस्क्यू टीम का बयान आया कि मजदूरों के पास पहुंचने के लिए 6 विकल्पों पर काम हो रहा है. इसके बाद इन्हें निकालने में दो से ढाई दिन और लगेंगे. हालांकि, उनका ये भरोसा सच्चाई में तब्दील नहीं हो सका. 200 घंटे से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है.
टनल के बाहर मायूस परिजन
सबसे बड़ी त्रासदी या कहे कि बदकिस्मती ये है कि, टनल के बाहर उनके घर वाले भूखे-प्यासे अपने को देखने के लिए टकटकी लगाए हुए हैं. किसी का पति फंसा है, तो किसी का बेटा तो किसी का भाई. जो मौत को मात देने के लिए एक युद्ध लड़ रहे हैं . परिजनों का दिवाली के बाद से ही उनका खाना-पीना सब दुश्वार हो गया है. टनल के अंदर उनलोगों की क्या हालात होगी. इसकी फिक्र खायी जाएगी.
चार इंच की पाइप का आसरा
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को पाइप से खाने के लिए मुरमुरे, ड्राई फ्रूट्स, दवाइयां और ऑक्सीजन भेजे जा रहे हैं. दरअसल, यही चार इंच की पाइप लाइन फिलहाल मजदूरों को जिंदा रखे हुए है. यही उम्मीद का आसरा बनी हुई है. डिहाइड्रेशन से बचाने वाला ओआरएस, विटामिन बी और विटामिन सी की गोलियों ने उन्हें जिंदा रखने में मदद कर रही है. बचाव दल उन्हें एंटी डिप्रेशन की दवाइयां भी दे रहा है, ताकि मुसीबत में उनका मानसिक संतुलन बना रहे. गनीमत यह है कि सुरंग के अंदर दो किलोमीटर के हिस्से में बिजली की सप्लाई अभी भी चल रही है, जहां से मजदूरों को रोशनी मिल रही है. टनल बनाने के दौरान वहां वॉटर पाइप लाइन बिछाई गई थी, जो आज मुसीबत में उनकी प्यास बुझा रहा है। अब रेस्क्यू टीम ने 6 इंच की पाइप मजदूरों तक पहुंचाने में सफलता हासिल की है. जिसके जरिये अब उन्हें रोटी नसीब हो सकती है।
बचाने के लिए छह प्लान पर काम
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मजदूरों को बचाने के लिए 6 प्लान पर काम किए जाने की बात कही . उनका कहना था कि कुल 6 जगहों से ड्रिल की जाएगा. पहला प्लान यह है कि अगर मशीन से सुरंग में 900 एमएम का पाइप को ड्रिल कर छत को मजबूत किया जाए. फिर सुरंग के आकार का रास्ता बनाकर फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाए. इसके अलावा टनल के एंडिंग पॉइंट पर वर्टिकल खोदाई की जा रही है. मलबा और टनल के बीच खाली स्पेस में रोबोट भेजे जाएंगे. जो देखेगा कि टनल में कितना स्पेस खाली है, फिर उसके अनुसार रास्ता बनाया जाएगा. टनल में 6 इंच का लाइफ सपोर्ट सिस्टम डाला जाएगा, जिससे मदद ज्यादा मिल सके. रेस्क्यू टीम इसके अलावा टनल के पास बाई और दाईं ओर से भी ड्रिलिंग कर एस्केप टनल बनाने की योजना है. जिस रास्ते मजदूरों को बाहर लाने में मदद की जा सकती है. आपको बता दे टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए आरबीएनल, एसजीएनबी, टीएचडीसी और ओएनजीसी की टीमों को जिम्मेदारी सौंपी गई है.