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हिरणपुर बाजार की गलियों में जलजमाव नहीं, बह रही है जनता की बेबसी, आखिर कब जागेगा प्रशासन

हिरणपुर बाजार की गलियों में जलजमाव नहीं, बह रही है जनता की बेबसी, आखिर कब जागेगा प्रशासन

पाकुड़ (PAKUR) : पाकुड़ जिले के हिरणपुर बाज़ार की गली नंबर-1 की ये तस्वीरें उस सच्चाई को बयान कर रही हैं जिसे नज़रअंदाज़ करना अब मुश्किल है. सड़कें पानी में डूबी हैं, हर कदम कीचड़ से लथपथ है, जहां लोग मजबूरी में गंदे पानी पर चलकर अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतें पूरी करने को लाचार हैं.

यह सिर्फ पानी का जमाव नहीं, बल्कि सिस्टम की सुस्त रफ्तार और ज़िम्मेदारों की चुप्पी का आईना है. निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे दुकानदारों की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ा है और आम जनता को हर दिन परेशानी झेलनी पड़ रही है. गली में चारों ओर पानी का जमाव है, कीचड़ से लथपथ रास्ते हैं, और इन सबके बीच लोग मजबूर, लाचार, और नितांत अकेले—हर रोज़ इन हालातों से जूझ रहे हैं.

सब्ज़ी मंडी की हालत तो और भी भयावह है. जहां ताजगी और साफ़-सफाई होनी चाहिए, वहां गंदगी और बदबू का आलम है. लोग कीचड़ और बदबूदार पानी के बीच से होकर सब्ज़ी खरीदने को मजबूर हैं. कोई विकल्प नहीं है. कोई और रास्ता नहीं है. और सबसे दुखद बात यह है-कोई सुनने  वाला भी नहीं है.

ये सिर्फ बारिश का पानी नहीं है, ये उस व्यवस्था की सड़न है जो बरसों से सुधार का इंतजार कर रही है. हर सुबह जब दुकानदार अपनी दुकानें खोलते हैं, तो पहले पानी से लड़ते हैं. ग्राहक आते हैं, तो उनके चेहरे पर परेशानी और नाराज़गी होती है. महिलाएं साड़ी और सलवार समेटती हुई रास्ता तय करती हैं, और बुज़ुर्ग—वो तो बस किसी सहारे की तलाश में आंखें गड़ा देते हैं. क्या यही है विकास की तस्वीर ? क्या यही है "सुशासन" का सच ?

स्थानीय प्रशासन से कई बार शिकायत की गई. जनप्रतिनिधियों को कई बार, कॉल किए गए, सोशल मीडिया पर मुद्दा उठाया गया. लेकिन नतीजा वही 'देखेंगे', 'जांच करेंगे', 'बहुत जल्द समाधान होगा' जैसी खोखली बातों का पुलिंदा.

यह केवल एक तस्वीर नहीं, यह आवाज़ है उस पीड़ा की जो अब शब्दों से बाहर आ चुकी है. अब सवाल उठता है-कब तक ऐसे हालात बने रहेंगे? और कब सुनी जाएगी जनता की यह कराह.

रिपोर्ट-नंद किशोर मंडल

 

Published at:26 May 2025 11:24 AM (IST)
Tags:pakur news Hiranpur Bazaardranagewaterloggingpublic's helplessness administrationpakur administration
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