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झारखंड में फिर से शुरु हो सकती है आर्थिक नाकेबंदी का दौर, 60:40 की नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों के रुख से गहराया संकट

झारखंड में फिर से शुरु हो सकती है आर्थिक नाकेबंदी का दौर, 60:40 की नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों के रुख से गहराया संकट

रांची(RANCHI)-हेमंत सरकार की नयी नियोजन नीति के खिलाफ संताल परगना के अलग-अलग इलाके से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही है. इसी कड़ी में पाकुड़ में भी छात्रों ने अपनी गिरफ्तारी देते हुए अनिश्चिकालिन आर्थिक नाकेबंदी की धमकी दी है.

हालांकि छात्रों की यह गिरफ्तारी सांकेतिक ही रही, कुछ ही समय के बाद इन सभी को छोड़ दिया गया, लेकिन इस छात्रों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस नियोजन नीति को वापस नहीं लिया गया तो पूरे झारखंड में अनिश्चिकालिन आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा की जा सकती है.

1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति की मांग

छात्र नेता मार्क बास्की ने कहा है कि हम किसी भी कीमत पर 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति की मांग से पीछे हटने वाले नहीं है. वर्तमान नियोजन नीति सीधे-सीधे झारखंडी छात्रों की हकमारी है, आदिवासी-मूलवासियों के साथ अन्याय है, इस नियोजन नीति ने झारखंड में बाहरी छात्रों के लिए दरवाजा खोल दिया है, झारखंड की नौकरी झारखंडियों को नहीं देकर यूपी बिहार वालों को देने की साजिश रची जा रही है.

इधर उधर देखना बंद करे सरकार

छात्र नेता कमल मुर्मू ने कहा कि सरकार इधर-उधर देखना बंद कर झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों को केन्द्र में रखकर नीतियों का निर्माण करें, यह 60:40  का फार्मूला हमारी हकमारी है, हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दास्त नहीं करेंगे, यह लड़ाई लंबी चलेगी, हम पीछ हटने वाले नहीं है.

पहले की नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने किया था निरस्त

ध्यान रहे कि हेमंत सरकार ने अपनी पूर्व की नियोजन नीति को हाईकोर्ट के द्वारा रद्द किये जाने के बाद 60:40  का फार्मूला लेकर सामने आयी है, इसमें 60 फीसदी सीटें यहां के स्थानीय निवासियों के लिए सुरक्षित रहेगी जबकि 40 फीसदी सीटों को खुला रखा गया है, इन 40 फीसदी सीटों पर किसी भी राज्य का निवासी आवेदन कर सकता है. इस नियोजन नीति के सामने आते ही पूरे झारखंड में इसका विरोध शुरु हो चुका है. जगह जगह विरोध प्रर्दशनों का दौर जारी है.

सरकार का दावा, झारखंडी हितों के साथ कोई समझौता नहीं

हालांकि सरकार का दावा है कि 60:40 फार्मूला के तहत 40 फीसदी सीटों को भले ही खुला रखा गया है, लेकिन इन सभी सीटों पर बहाली यहां के स्थानीय निवासियों की ही होगी.

खतियान पर आधारित नियोजन नीति की पक्षधर है हेमंत सरकार

हेमंत सरकार का दावा है कि हम आज भी 1932 के आधार पर नियोजन नीति के पक्ष में है, लेकिन कानूनी विवशता के कारण अभी यह रास्ता अपनाया गया है, क्योंकि 1932 की लड़ाई काफी लम्बी चलने वाली है, और तब तक नियुक्ति की प्रक्रिया को बाधित करना छात्रों के हित में नहीं होगा. हेमंत सोरेन ने सदन के पटल पर यह बात कही है कि उनका लक्ष्य 1932 का खतियान था और रहेगा,  दो कदम आगे और एक कदम पीछे हटना उनकी रणनीति का हिस्सा है, ताकि छात्रों का भविष्य अंधकारमय नहीं हो.

आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा सरकार के लिए नयी मुसीबत

लेकिन जिस प्रकार से अब छात्रों के द्वारा अनिश्चितकालिन आर्थिक नाकेबंदी की धमकी दी जा रही है, सरकार के समक्ष चुनौतियां गंभीर होने वाली है.   

Published at:01 Apr 2023 04:44 PM (IST)
Tags:The phase of economic blockadeJharkhandf students against the planning policy of 60:40
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