Tnp Sports:-भला भारतीय जमीन पर 2011 में हुए विश्व कप को कौन भूल सकता है. उस यादगार लम्हे का एक-एक पल क्रिकेट प्रेमियों को याद होगा, क्योंकि धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया विश्व विजेता बनीं थी. इस हसरत को पूरा होने में तीन दशक से ज्यादा का वक्त बीत गया था. लेकिन, मुराद और अरमान तो माही की कप्तानी में तेंदुलकर, सहवाग, युवराज और जहीर जैसे धुरंधर प्लेयर्स ने पूरा किया. टीम इंडिया अपनी धरती पर चैंपियन बनीं थी. एकबार फिर क्रिकेट वर्ल्ड कप का मंच सजा हुआ है, और इस बार भी हिन्दुस्तान की जमीन पर क्रिकेट का महासंग्राम आयोजित हो रहा है. अबकी बार भारतीय क्रिकेट टीम की कमान रोहित शर्मा के हाथों में हैं. लिहाजा भारतवासियों की निगाहे और आशाएं भी इस बार अपने घर मे कप जीतने की होगी. आईए रोहित और धोनी की टीम में अंतर को समझिए
धोनी और रोहित की टीम में उम्र का अंतर
रोहित जिस टीम की अभी नेतृत्व कर रहें है, इसकी तुलना अगर धोनी की अगुवाई वाली 2011 की विश्वविजेता टीम से की जाए तो काफी कुछ अंतर दिखेगा. खासकर माही की वर्ल्ड कप विनर टीम की औसत आय़ु 28 साल थी, जबकि इस बार टीम की एवरेज एज 30.06 साल है. 2011 की टीम में सिर्फ मास्टर ब्लास्टर सचिन ही 30 साल की उम्र के पार थे. जबकि, धोनी, रैना, युवराज, सहवाग गंभीर जैसे मैच विनर प्लेयर्स की उम्र 30 वर्ष के नीचे थी. वही, 2023 की विश्प कप टीम में खुद कैप्टन रोहित शर्मा 36 साल के हैं. जबकि, विराट कोहली 34, सूर्यकुमार यादव 32 और केएल राहुल 31 साल की उम्र के हैं. यानि रोहित की टीम की तुलना में धोनी की टीम कही ज्यादा युवा थी.
विराट कोहली सबसे अनुभवी खिलाड़ी
2011 वर्ल्ड कप के तकरीबन सभी प्लेयर्स ने संन्यास ले लिया है . लेकिन , अचरज होगा कि रोहित की सेना में एक ऐसा खिलाड़ी भी है. जिसने भारतीय टीम को 2011 में विजेता टीम का सहभागी था. जी हां विराट कोहली ही वो इकलौते प्लेयर्स है , जो रोहित की अगुवाई वाली 2023 विश्व कपटीम में भी शामिल है. लाजमी है कि इससे अंदाजा लग सकता है कि विराट कोहली कितने तजुर्बेकार औऱ किस तरह की फिटनेस और फॉर्म में होंगे. रोहित शर्मा को विराट के अनुभव का इस क्रिकेट के महाकुंभ में फायदा होगा. इससे इंकार नहीं किया जा सकता
दोनों टीमों की बैटिंग लाइन अप
2011 के विश्व कप में भारती टीम की बैटिंग ऑर्डर काफी मजबूत औऱ अनुभवी थी. सचिन, सहवाग, गंभीर, रैना , युवराज जैसे विशेषज्ञ बल्लेबाज थे. वही, कप्तान धोनी विकेटकीपर के साथ-साथ संकटमोचक की भूमिका में हर वक्त तैयार रहते थे. श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मैच को कौन भूल सकता है, जब धोनी ने खुद मोर्चा संभाल कर टीम को फाइनल जीता दिया था.दूसरी तफर रोहित शर्मा के टीम की बैटिंग लाइनअप को देखे तो टीम में बल्लेबाज तो हैं, लेकिन अनुभव के मामले में थोड़ा कमजोर है. रोहित, कोहली बेहतरीन बल्लेबाज के साथ-साथ अनुभवी भी है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. लेकिन, शुभमन गिल, लोकेश राहुल, श्रेयस अय्यर और ईशान किशन के पास अभी उतना तजुर्बा नहीं है.
दोनों टीम में आलराउंडर्स का अंतर
2011 की वर्ल्ड कप में धोनी की टीम के पास बेहतरीन अलाराउंडर्स से सजी थी. विश्व कप के मैन ऑफ द सीरीज चुने गये युवराज की धुआंधार बैटिंग और फिरकी गेंदबाजी ने तो कमाल कर दिया था. उनका हरफनमौला खेल भारतीय टीम को काफी मदद की थी. इसके अलावा सहवाग, युवराज, सचिन, रैना औऱ युसुफ पठान जैसे प्लयर्स मौजूद थे, जिनका ऑलराउंडर खेल टीम के लिए उपयोगी साबित हुआ.
वही, 2023 की रोहित की टीम को देखे तो इसमे रविन्द्र जडेजा, हार्दिक पांडया, अक्षर पटेल , शार्दुल ठाकुर जैसे ऑलराउंडर्स है. इसमे सिर्फ जडेजा और हार्दिक पंडया को छोड़ दिया जाए तो उतना अनुभवी कोई नहीं है. इसके साथ ही इन खिलाड़ियों में कोई न तो शुद्ध बल्लेबाज है औऱ न ही गेंदबाज. जबकि, 2011 वर्ल्ड कप में युवराज, रैना, सचिन टॉप बैटसमेन के साथ-साथ बॉलिंग भी कर लेते थे. लेकिन, रोहित की टीम में ऐसा नहीं दिखता है.
दोनों टीमों में स्पिनर्स का भी हैं फर्क
धोनी की नेतृत्व वाली विश्व विजेता टीम में तीन फिरकी गेंदबाज मौजूद थे, जिनकी घूमती गेंदें विपक्षी बल्लेबाजों के लिए मुश्किल पैदा करती थी. टर्बनेटर हरभजन सिंह, पीयूष चावला और रविचंद्रन अश्विन की स्पिन काफी मदद टीम इंडिया को की थी. वही, रोहित की टीम को देखे तो कुलदीप यादव को छोड़ दिया जाए तो कोई विशेषज्ञ स्पिनर उतना नहीं दिखता है. हालांकि, तेज गेंदबाजी में बुमराह, शमी और सिराज की मौजूदगी है. मुख्यता इन्हीं के कंधों पर भारत की बालिंग डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी रहेगी.
रिपोर्ट-शिपवूजन सिंह